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चम्बा ! जनजातीय क्षेत्र भरमौर उपमंडल में मुख्यमंत्री मधु विकास योजना युवाओं के लिए आय का एक सशक्त जरिया बनकर सामने आई है, यह योजना किसी वरदान से कम साबित नहीं हो रही है | उद्यान विभाग भरमौर द्वारा गत वर्ष 20 बेरोजगार युवाओं को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना में पांच दिवसीय मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण प्रदान करवाया गया| इन प्रशिक्षित युवाओं को मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के तहत 80% अनुदान पर 50 बॉक्स, मधुमक्खियों के साथ उपलब्ध करवाए गए तथा शहद निकालने के उपकरणों का एक सैट भी युवाओं को अनुदान पर प्रदान किया गया| एक इकाई पर 1 लाख 76 हजार का अनुदान मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी को उपलब्ध करवाया गया है| विषय वस्तु विशेषज्ञ उद्यान भरमौर एसएस चंदेल ने बताया कि वर्तमान समय में विकासखंड भरमौर में इस योजना के तहत लगभग 10 के करीब मोन पालक हैं जो कि विभागीय सहायता लेकर वर्ष भर में डेढ़ से ढाई लाख तक शुद्ध आय अर्जित कर रहे हैं, और अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ कर रहे हैं | ग्राम पंचायत चौबिया के गांव धरोल निवासी श्री जनक राज राजेंद्र सिंह, मनीष कुमार श्री गौतम राम गांव कुगति, भीम सिंह गांव चलेड, जोगिंदर सिंह व रवि कुमार गांव काडोता, मनोहर लाल दिनका, लेखराज चौबिया से मुख्य रूप से मधु पालन व्यवसाय से जुड़े हैं और अपनी आजीविका कमा रहे हैं यह लाभार्थी कृषि एवं बागवानी तथा नकदी फसलों के अतिरिक्त मौन पालन व्यवसाय से प्रतिवर्ष ढाई से 3लाख की शुद्ध आय अर्जित कर अपने परिवार की हर एक जरूरत को पूरा कर संपन्नता से जीवन यापन कर रहे हैं | विषय वस्तु विशेषज्ञ उद्यान चंदेल का कहना है मधुमक्खी पालन व्यवसाय जोकि मानव जाति को सीधे तौर पर लाभान्वित कर रहा हैं और यह बेहद कम खर्चीला घरेलू उद्योग है, और आय में बढ़ोतरी के साथ साथ वातावरण को भी शुद्ध करने की क्षमता रखता है | यह ऐसा रोजगार है जिससे समाज के हर वर्ग के लोग अपना कर लाभान्वित हो सकते हैं | मधुमक्खी पालन कृषि व बागवानी उत्पादन बढ़ाने की अपार क्षमता रखता है, शहद व मोम के अतिरिक्त मधुमक्खियों से फूलों पर परागण होने के कारण फसलों की उपज में भी लगभग एक चौथाई अतिरिक्त बढ़ोतरी होती है | भरमौर उपमंडल के मोन पालको को इटालियन मधुमक्खी एपीस मेलीफेरा उपलब्ध कराई जा रही है जिसे आसानी से इस क्षेत्र में लकड़ी के बक्सों में पाला जा सकता है | कार्यालय विषय वस्तु उद्यान विभाग द्वारा स्वयं भी बागवानो व किसानों को मौन पालन के प्रति प्रोत्साहन व जागरूक व प्रशिक्षित करने के लिए मौन पालन के कार्य को अंजाम दिया जा रहा है, लगभग 120 के करीब बक्सों के माध्यम से शहद का उत्पादन किया जा रहा है | वर्ष 2018 -19 मे 2102 किलोग्राम शुद्ध शहद प्राप्त किया गया था | भरमौर उपमंडल के जंगलों में विभिन्न प्रजातियों के जंगली फूलों विशेषकर स्थानीय प्रजाति छीचड़ी के फूलों के शहद की गुणवत्ता व शुद्धता के कारण इसकी निचले क्षेत्रों में अधिक मांग बढ़ रही है, वर्ष 2019- 20 मे कार्यालय के हनी डेमोंसट्रेशन बॉक्सेस के द्वारा 1950 किलोग्राम शहद का उत्पादन किया, इन 2 वर्षों में कार्यालय के कर्मियों द्वारा लगभग 3996 किलोग्राम शुद्ध शहद की बिक्री कर 7 लाख 99हजार 200 रुपए का राजस्व प्राप्त कर सरकारी कोष में जमा करवाया गया | सर्दियों के मौसम में मोन वंशों को निचले क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया जाता है और इस दौरान उनसे प्राप्त मधु को जिला कांगड़ा के चैतडू शहद प्रोसेसिंग प्लांट में प्रोसेस करने के उपरांत प्रदेश के अन्य जिलों में बढ़ती मांग के अनुरूप 200 रुपए किलो के हिसाब से उपलब्ध कराया जाता है | विषय वस्तु विशेषज्ञ का कहना है कि निजी क्षेत्र में 1 लाभार्थी सौ से डेढ़ सौ बक्सों का संचालन बढ़िया तरीके से कर सकता है, और इस व्यवसाय में बेरोजगार युवकों को आगे आने की जरूरत है तथा इस व्यवसाय को स्वरोजगार के रूप में अपनाना चाहिए जिसके लिए मौजूदा समय में विभाग के द्वारा लोगों को जागरूक कर प्रोत्साहित किया जा रहा है |
चम्बा ! जनजातीय क्षेत्र भरमौर उपमंडल में मुख्यमंत्री मधु विकास योजना युवाओं के लिए आय का एक सशक्त जरिया बनकर सामने आई है, यह योजना किसी वरदान से कम साबित नहीं हो रही है |
उद्यान विभाग भरमौर द्वारा गत वर्ष 20 बेरोजगार युवाओं को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना में पांच दिवसीय मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण प्रदान करवाया गया| इन प्रशिक्षित युवाओं को मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के तहत 80% अनुदान पर 50 बॉक्स, मधुमक्खियों के साथ उपलब्ध करवाए गए तथा शहद निकालने के उपकरणों का एक सैट भी युवाओं को अनुदान पर प्रदान किया गया|
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एक इकाई पर 1 लाख 76 हजार का अनुदान मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी को उपलब्ध करवाया गया है| विषय वस्तु विशेषज्ञ उद्यान भरमौर एसएस चंदेल ने बताया कि वर्तमान समय में विकासखंड भरमौर में इस योजना के तहत लगभग 10 के करीब मोन पालक हैं जो कि विभागीय सहायता लेकर वर्ष भर में डेढ़ से ढाई लाख तक शुद्ध आय अर्जित कर रहे हैं, और अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ कर रहे हैं |
ग्राम पंचायत चौबिया के गांव धरोल निवासी श्री जनक राज राजेंद्र सिंह, मनीष कुमार श्री गौतम राम गांव कुगति, भीम सिंह गांव चलेड, जोगिंदर सिंह व रवि कुमार गांव काडोता, मनोहर लाल दिनका, लेखराज चौबिया से मुख्य रूप से मधु पालन व्यवसाय से जुड़े हैं और अपनी आजीविका कमा रहे हैं यह लाभार्थी कृषि एवं बागवानी तथा नकदी फसलों के अतिरिक्त मौन पालन व्यवसाय से प्रतिवर्ष ढाई से 3लाख की शुद्ध आय अर्जित कर अपने परिवार की हर एक जरूरत को पूरा कर संपन्नता से जीवन यापन कर रहे हैं |
विषय वस्तु विशेषज्ञ उद्यान चंदेल का कहना है मधुमक्खी पालन व्यवसाय जोकि मानव जाति को सीधे तौर पर लाभान्वित कर रहा हैं और यह बेहद कम खर्चीला घरेलू उद्योग है, और आय में बढ़ोतरी के साथ साथ वातावरण को भी शुद्ध करने की क्षमता रखता है | यह ऐसा रोजगार है जिससे समाज के हर वर्ग के लोग अपना कर लाभान्वित हो सकते हैं |
मधुमक्खी पालन कृषि व बागवानी उत्पादन बढ़ाने की अपार क्षमता रखता है, शहद व मोम के अतिरिक्त मधुमक्खियों से फूलों पर परागण होने के कारण फसलों की उपज में भी लगभग एक चौथाई अतिरिक्त बढ़ोतरी होती है |
भरमौर उपमंडल के मोन पालको को इटालियन मधुमक्खी एपीस मेलीफेरा उपलब्ध कराई जा रही है जिसे आसानी से इस क्षेत्र में लकड़ी के बक्सों में पाला जा सकता है |
कार्यालय विषय वस्तु उद्यान विभाग द्वारा स्वयं भी बागवानो व किसानों को मौन पालन के प्रति प्रोत्साहन व जागरूक व प्रशिक्षित करने के लिए मौन पालन के कार्य को अंजाम दिया जा रहा है, लगभग 120 के करीब बक्सों के माध्यम से शहद का उत्पादन किया जा रहा है | वर्ष 2018 -19 मे 2102 किलोग्राम शुद्ध शहद प्राप्त किया गया था | भरमौर उपमंडल के जंगलों में विभिन्न प्रजातियों के जंगली फूलों विशेषकर स्थानीय प्रजाति छीचड़ी के फूलों के शहद की गुणवत्ता व शुद्धता के कारण इसकी निचले क्षेत्रों में अधिक मांग बढ़ रही है, वर्ष 2019- 20 मे कार्यालय के हनी डेमोंसट्रेशन बॉक्सेस के द्वारा 1950 किलोग्राम शहद का उत्पादन किया, इन 2 वर्षों में कार्यालय के कर्मियों द्वारा लगभग 3996 किलोग्राम शुद्ध शहद की बिक्री कर 7 लाख 99हजार 200 रुपए का राजस्व प्राप्त कर सरकारी कोष में जमा करवाया गया |
सर्दियों के मौसम में मोन वंशों को निचले क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया जाता है और इस दौरान उनसे प्राप्त मधु को जिला कांगड़ा के चैतडू शहद प्रोसेसिंग प्लांट में प्रोसेस करने के उपरांत प्रदेश के अन्य जिलों में बढ़ती मांग के अनुरूप 200 रुपए किलो के हिसाब से उपलब्ध कराया जाता है |
विषय वस्तु विशेषज्ञ का कहना है कि निजी क्षेत्र में 1 लाभार्थी सौ से डेढ़ सौ बक्सों का संचालन बढ़िया तरीके से कर सकता है, और इस व्यवसाय में बेरोजगार युवकों को आगे आने की जरूरत है तथा इस व्यवसाय को स्वरोजगार के रूप में अपनाना चाहिए जिसके लिए मौजूदा समय में विभाग के द्वारा लोगों को जागरूक कर प्रोत्साहित किया जा रहा है |
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