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चम्बा ! भारतीय मजदूर संघ चंबा ने बुधवार को मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। भारतीय मजदूर संघ चंबा इकाई के अध्यक्ष रमेश सिंह राणा की अगुवाई में सरकार से मांग की। उन्होंने बताया कि मजदूर संघ ने कई बार सरकार से मांग की है लेकिन उन्हें आश्वासन ही मिला है। जिसके कारण सरकार के खिलाफ उन्हें काफी रोष है। उन्होंने श्रम कानूनों में संशोधन करने की मांग की है। नए कानून के मुताबिक 100 से कम वाले प्रतिष्ठानों में छंटनी के लिए सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं है। जिससे मजदूरों को काफी नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस संख्या को 300 तक किया जाए। ऐसे में कुछ भारी उद्योगों को छोड़कर सभी उद्योगों के कर्मचारी प्रभावित होंगे तथा उनकी नौकरी असुरक्षित हो होगी। नए श्रम अधिनियम के मुताबिक स्टैंडिंग ऑर्डर में भी बदलाव किया गया है। जिसमें मनमाने तरीके से कार्य करने की छूट मिली है। सूचना, हड़ताल संबंधी अधिकार कार्य के साथ दिया जाना अनिवार्य है। जिससे मजदूर अपनी मांगों को पूरा कर सकें। आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं, मिड-डे-मील और सिलाई अध्यापकों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए। जिनका न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये प्रति माह किया जाए। वहीं पुरानी पेंशन बहाली की भी मांग की ताकि मजदूरों को दिक्कत का सामना न करना पड़े। प्रदेश में ठेका मजदूरी को कम किया जाए। ठेका मजदूरी का सीधा लाभ बिचौलियों को हो रहा है।
चम्बा ! भारतीय मजदूर संघ चंबा ने बुधवार को मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। भारतीय मजदूर संघ चंबा इकाई के अध्यक्ष रमेश सिंह राणा की अगुवाई में सरकार से मांग की। उन्होंने बताया कि मजदूर संघ ने कई बार सरकार से मांग की है लेकिन उन्हें आश्वासन ही मिला है। जिसके कारण सरकार के खिलाफ उन्हें काफी रोष है। उन्होंने श्रम कानूनों में संशोधन करने की मांग की है। नए कानून के मुताबिक 100 से कम वाले प्रतिष्ठानों में छंटनी के लिए सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं है।
जिससे मजदूरों को काफी नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस संख्या को 300 तक किया जाए। ऐसे में कुछ भारी उद्योगों को छोड़कर सभी उद्योगों के कर्मचारी प्रभावित होंगे तथा उनकी नौकरी असुरक्षित हो होगी। नए श्रम अधिनियम के मुताबिक स्टैंडिंग ऑर्डर में भी बदलाव किया गया है। जिसमें मनमाने तरीके से कार्य करने की छूट मिली है। सूचना, हड़ताल संबंधी अधिकार कार्य के साथ दिया जाना अनिवार्य है। जिससे मजदूर अपनी मांगों को पूरा कर सकें।
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आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं, मिड-डे-मील और सिलाई अध्यापकों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए। जिनका न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये प्रति माह किया जाए। वहीं पुरानी पेंशन बहाली की भी मांग की ताकि मजदूरों को दिक्कत का सामना न करना पड़े। प्रदेश में ठेका मजदूरी को कम किया जाए। ठेका मजदूरी का सीधा लाभ बिचौलियों को हो रहा है।
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