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शिमला , 15 नवंबर ! भारत सरकार ने वर्ष 2021 से जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी ‘बिरसा मुंडा’ की जयंती के अवसर पर 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। बिरसा मुंडा न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी, बल्कि समाज सुधारक थे। जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार की शोषणकारी व्यवस्थाओं के खिलाफ उलगुलान (विद्रोह) जनजातीय आंदोलन का नेतृत्व किया था। उन्हें धरती अब्बा के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने जनजातीय लोगों को उनकी सांस्कृतिक जड़ों को समझने और एकता का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया था। जनजातीय गौरव दिवस पूरे अनुसूचित क्षेत्रों में देशभक्ति के उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्वच्छता अभियान, जनजातीय गीत व नृत्य एवं चित्रकला प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। इस उपलक्ष्य में भरमौर में पट्टी से चौरासी परगना तक एक रैली आयोजित की गई। इस मौके पर सरकारी कर्मचारियों, स्वयं-सहायता समूहों, स्कूली बच्चों, महिला मंडलों आदि ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया और पारंपरिक पोशाकों, आभूषण पहन कर जनजातीय संस्कृति की आकर्षक आभा प्रस्तुत की। चौरासी परगना पहुंचने के बाद महिलाओं द्वारा आकर्षक जनजातीय नृत्य भी किया गया। पांगी क्षेत्र में पारंपरिक जीवन शैली, स्वदेशी कृषि पद्धतियों को प्रदर्शित करती झाँकियां और फुलयात्रा, जोकारू इत्यादि मुख्य आकर्षण रहे। इस कार्यक्रम में लगभग 300 लोगों ने पारंपरिक परिधान पहनकर भाग लिया। लाहौल-स्पीति जिले में स्कूलों में वाद-विवाद प्रतियोगिताएं, नारे, पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां मुख्य आकर्षण रहीं। केलांग में लगभग 150 लोग एकत्रित हुए और शहर के बाजार में शोभा यात्रा निकाली गई। काजा में स्वच्छता अभियान और चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में जनजातीय नेताओं के योगदान व जीवनी पर प्रकाश डाला गया।
शिमला , 15 नवंबर ! भारत सरकार ने वर्ष 2021 से जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी ‘बिरसा मुंडा’ की जयंती के अवसर पर 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। बिरसा मुंडा न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी, बल्कि समाज सुधारक थे।
जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार की शोषणकारी व्यवस्थाओं के खिलाफ उलगुलान (विद्रोह) जनजातीय आंदोलन का नेतृत्व किया था। उन्हें धरती अब्बा के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने जनजातीय लोगों को उनकी सांस्कृतिक जड़ों को समझने और एकता का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया था।
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जनजातीय गौरव दिवस पूरे अनुसूचित क्षेत्रों में देशभक्ति के उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्वच्छता अभियान, जनजातीय गीत व नृत्य एवं चित्रकला प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं।
इस उपलक्ष्य में भरमौर में पट्टी से चौरासी परगना तक एक रैली आयोजित की गई। इस मौके पर सरकारी कर्मचारियों, स्वयं-सहायता समूहों, स्कूली बच्चों, महिला मंडलों आदि ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया और पारंपरिक पोशाकों, आभूषण पहन कर जनजातीय संस्कृति की आकर्षक आभा प्रस्तुत की। चौरासी परगना पहुंचने के बाद महिलाओं द्वारा आकर्षक जनजातीय नृत्य भी किया गया।
पांगी क्षेत्र में पारंपरिक जीवन शैली, स्वदेशी कृषि पद्धतियों को प्रदर्शित करती झाँकियां और फुलयात्रा, जोकारू इत्यादि मुख्य आकर्षण रहे। इस कार्यक्रम में लगभग 300 लोगों ने पारंपरिक परिधान पहनकर भाग लिया।
लाहौल-स्पीति जिले में स्कूलों में वाद-विवाद प्रतियोगिताएं, नारे, पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां मुख्य आकर्षण रहीं। केलांग में लगभग 150 लोग एकत्रित हुए और शहर के बाजार में शोभा यात्रा निकाली गई। काजा में स्वच्छता अभियान और चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में जनजातीय नेताओं के योगदान व जीवनी पर प्रकाश डाला गया।
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