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हिमाचल प्रदेश राज्य शिक्षा परिषद् द्वारा आयोजित दो दिवसीय वेबिनार में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेते हुए राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एक नए भारत की परिकल्पना करती है, जो प्रगतिशील, समृद्ध, रचनात्मक और नैतिक मूल्यों पर आधारित है तथा देश के गौरव को पुनर्जीवित करने के लिए कारगर है। राज्यपाल ने कहा कि भारत सरकार ने 34 वर्षों के बाद देश में नई शिक्षा नीति को लागू किया है और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में, इसमें शिक्षा से लेकर सभी को सस्ती और कौशल विकास शिक्षा जैसे कई गुण हैं, लेकिन वहीं इसका कार्यान्वयन भी चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने इसके व्यापक रूप को समझने और लागू करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह हिमाचल के लिए शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी अवसर लेने का एक अच्छा अवसर है। राज्य ने हमेशा शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और यह भी राज्य सरकार पर निर्भर करता है कि वह इस नई शिक्षा नीति को कितनी गंभीरता से लागू करेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि जिस तरह से राज्य सरकार ने इस नीति के प्रति अपनी सक्रियता दिखाई है, जैसे इसके कार्यान्वयन में शिक्षाविदों और आम नागरिकों से राय लेना और एक समर्पित कार्यबल स्थापित करना, यह इसके कार्यान्वयन की व्यावहारिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होगा। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि हिमाचल नई शिक्षा नीति में सुझाए गए कुछ शैक्षिक सुधारों में बेहतर काम कर सकता है। उन्होंने उन क्षेत्रों की पहचान करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जहां राज्य बढ़त ले सकता है। उन्होंने कहा कि पहली बार किसी भी शिक्षा नीति में शिक्षा पर 6 प्रतिशत परिव्यय की बात की गई है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा को इसमें लचीला बनाया गया है और अब स्नातक चार साल का होगा, लेकिन बीच में कोर्स छोड़ने का प्रावधान होगा। अगर कोई एक साल में कोर्स छोड़ता है, तो उसे दो साल में एक सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और तीन साल पूरा करने के बाद डिग्री दी जाएगी। उन्होंने कहा कि रोजगार के इच्छुक युवाओं के लिए तीन साल की डिग्री काफी है। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनीतिक इच्छा के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी देकर इसे संभव बनाया है। उन्होंने कहा कि नीति के अनुसार, मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश में पहले ही बहुत सारे काम किए जा चुके हैं। जल्द ही टास्क फोर्स तैयार हो जाएगा और इस पर काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा और कहा कि इस नीति से संबंधित सभी कार्य हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में पूरे किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत 21वीं सदी में कैसा होगा और हम किस तरह के युवाओं को विश्व गुरु बनने के लिए तैयार करना चाहते हैं, इसके लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप हमारे सामने है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में नीति को लागू करने के लिए राज्यपाल का मार्गदर्शन लिया जाएगा और आश्वासन दिया कि हिमाचल इस नीति को लागू करने में देश का अग्रणी राज्य बनेगा। मुंबई से मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए प्रो. मिलंड मराठे ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत पर केंद्रित है जो भारत में शिक्षा के क्षेत्र में एक पूर्ण परिवर्तन लाएगी। यह नीति समान और समावेशी होगी, जिसके माध्यम से देश में सभी के लिए सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो सकेगी। उन्होंने कहा कि यह नीति प्रौद्योगिकी के ज्ञान के साथ दो या तीन विषयों में मुख्य योग्यता सुनिश्चित करेगी।
हिमाचल प्रदेश राज्य शिक्षा परिषद् द्वारा आयोजित दो दिवसीय वेबिनार में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेते हुए राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एक नए भारत की परिकल्पना करती है, जो प्रगतिशील, समृद्ध, रचनात्मक और नैतिक मूल्यों पर आधारित है तथा देश के गौरव को पुनर्जीवित करने के लिए कारगर है।
राज्यपाल ने कहा कि भारत सरकार ने 34 वर्षों के बाद देश में नई शिक्षा नीति को लागू किया है और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में, इसमें शिक्षा से लेकर सभी को सस्ती और कौशल विकास शिक्षा जैसे कई गुण हैं, लेकिन वहीं इसका कार्यान्वयन भी चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने इसके व्यापक रूप को समझने और लागू करने पर जोर दिया।
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उन्होंने कहा कि यह हिमाचल के लिए शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी अवसर लेने का एक अच्छा अवसर है। राज्य ने हमेशा शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और यह भी राज्य सरकार पर निर्भर करता है कि वह इस नई शिक्षा नीति को कितनी गंभीरता से लागू करेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि जिस तरह से राज्य सरकार ने इस नीति के प्रति अपनी सक्रियता दिखाई है, जैसे इसके कार्यान्वयन में शिक्षाविदों और आम नागरिकों से राय लेना और एक समर्पित कार्यबल स्थापित करना, यह इसके कार्यान्वयन की व्यावहारिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होगा।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि हिमाचल नई शिक्षा नीति में सुझाए गए कुछ शैक्षिक सुधारों में बेहतर काम कर सकता है। उन्होंने उन क्षेत्रों की पहचान करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जहां राज्य बढ़त ले सकता है। उन्होंने कहा कि पहली बार किसी भी शिक्षा नीति में शिक्षा पर 6 प्रतिशत परिव्यय की बात की गई है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा को इसमें लचीला बनाया गया है और अब स्नातक चार साल का होगा, लेकिन बीच में कोर्स छोड़ने का प्रावधान होगा। अगर कोई एक साल में कोर्स छोड़ता है, तो उसे दो साल में एक सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और तीन साल पूरा करने के बाद डिग्री दी जाएगी। उन्होंने कहा कि रोजगार के इच्छुक युवाओं के लिए तीन साल की डिग्री काफी है।
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजनीतिक इच्छा के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी देकर इसे संभव बनाया है। उन्होंने कहा कि नीति के अनुसार, मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश में पहले ही बहुत सारे काम किए जा चुके हैं। जल्द ही टास्क फोर्स तैयार हो जाएगा और इस पर काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा और कहा कि इस नीति से संबंधित सभी कार्य हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में पूरे किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि भारत 21वीं सदी में कैसा होगा और हम किस तरह के युवाओं को विश्व गुरु बनने के लिए तैयार करना चाहते हैं, इसके लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप हमारे सामने है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में नीति को लागू करने के लिए राज्यपाल का मार्गदर्शन लिया जाएगा और आश्वासन दिया कि हिमाचल इस नीति को लागू करने में देश का अग्रणी राज्य बनेगा।
मुंबई से मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए प्रो. मिलंड मराठे ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत पर केंद्रित है जो भारत में शिक्षा के क्षेत्र में एक पूर्ण परिवर्तन लाएगी। यह नीति समान और समावेशी होगी, जिसके माध्यम से देश में सभी के लिए सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो सकेगी। उन्होंने कहा कि यह नीति प्रौद्योगिकी के ज्ञान के साथ दो या तीन विषयों में मुख्य योग्यता सुनिश्चित करेगी।
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