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सोलन [ बद्दी ] , 21 दिसंबर [ पंकज गोल्डी ] ! दून भाजपा के चुनाव मैनेजर जिनको पूरे दून को मैनेज करना था वो अपनी गृह पंचायतें ही नहीं बचा पाए। भाजपा दून मंडल के इस बार के चुनाव प्रबंधक रहे भगवान सिंह सैणी जिन्होने पूरे दून विस क्षेत्र में अपना जादू बिखेरना था वो अपनी ही गृह पंचायतों में मात खा गए। उनकी गृह पंचायत मानपुरा व किशनपुरा में पार्टी की बहुत बुरी हार हुई है। गौरतलब है कि भगवान सिंह सैणी जो कि बिना किसी पद के काम करने में विश्वास रखते हैं निष्ठावान, कर्मठ व समर्पित नेता है लेकिन लगातार दूसरी बार चुनाव प्रबंधन में उनका जादू नहीं चला। भगवान सैणी की खासियत यह है कि वो कभी भी खुलकर सामने नहीं आते न ही सुर्खियां बटोरने में विश्वास रखते हैं लेकिन पर्दे के पीछे वो शिद्दत से काम करने में विश्वास रखते हैं। सन 2012 का चुनाव प्रबंधन उनके हाथ में था तो पार्टी पहले से चौथे स्थान पर पहुंच गई थी और विनोद कुमारी की करारी हार हुई थी। इस बार 2022 में भी चुनाव प्रबंधन समिति व कोर कमेटी प्रबंधन कार्यभार भगवान सैणी को सौंपा गया था। हर रैली, नुक्कड, सभा व प्रचार प्रसार तथा खर्च का जिम्मा उनके पास था क्योंकि वो एक कुशल कांट्रेक्टर के रूप में पूरे भारत में नाम कमा चुके हैं। वर्तमान मंडल अध्यक्ष जिनका काम पूरे कुनबे को संभालना था की ड्यूटी फील्ड व चुनाव प्रबंधक से हटाकर मात्र पार्टी दफतर संभालने में लगा दी गई थी कि वहां पर कागज काले करते रहो, यानी एक कर्मठ अध्यक्ष को साईट लाईन कर दिया गया था। कोई भी काम होता तो उस पर हर फैसला व अंतिम निर्णय भगवान के हाथों में था। यहां तक किस रैली में कौन कौन स्टेज पर बैठेगा और मंच पर कितना बोलेगा वो उनके हाथ में था। बडे बडे नेताओं को यह बात कई बार अखरी भी और एक नेता ने विरोध भी किया लेकिन उन्होंने भी इसको टालना मुनासिब समझा कि चलो जो भगवान करता है वो ठीक ही करेगा। जहां तक चुनाव प्रबंधक की गृह पंचायतों मानपुरा व किशनपुरा की बात है वहां पर कांग्रेस प्रत्याशी रामकुमार चौधरी अच्छी खासी लीड ले गए। पूरे दून का चुनाव प्रबंधन संभालने वाले भगवान अपने ही एरिया में फिसड्डी मैनेजर साबित हुए। एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि साढ़े चार साल फील्ड से बाहर रहकर चुनाव प्रबंधन नहीं किया जा सकता और भगवान को प्रबंधन समिति का कमांडर बनाया जाना बहुत ही गलत था और इस फैसले से पार्टी को भारी नुकसान हुआ है । पूरे चुनाव के दौरान मीडिया से भी पूरी तरह दूरी बनाई रखी गई और एक भी प्रेस वार्ता आयोजित नहीं की गई जिसमें पार्टी ने अपनी पांच साल की उपलब्धियां तो बतानी ही थी साथ में अपने आगामी लक्ष्यों के बारे में बताना था। मानपुरा के दोनो बूथों से कांग्रेस 160 वोटों की लीड ले गई तो सैणी बहुल किशनपुरा पंचायत से कांग्रेस को 610 वोटों की लीड मिली है। इसे भाजपा नेताओं का अति आत्म विश्वास ही कहा जाएगा कि भाजपा के अधिकांश प्लानर और प्रबंधक तथा मैनेजमेंट गुरु अपने अपने बूथों के अलावा गृह पंचायतों में वोटों का प्रबंधन कुशलता से नहीं कर सके जो कि सबसे जरुरी था। इस विषय में वरिष्ठ नेता श्रीकांत ने गत दिनों कहा भी था कि भाजपा जीत सकती थी अगर चुनाव प्रबंधन व प्रचार प्रसार सही होता। कोर कमेटी समूह में भी हम अपनी बात नहीं रख सकते थे क्योंकि चुनाव के व्हाट्सएप ग्रुप को भी ओनली फॉर एडमिन कर दिया गया था। हमने बहुत कोशिश की लेकिन कुछ कारणों से हम पिछड़ गए लेकिन अगली बार हम कोशिश करेंगे कि कमल खिला सकें और वर्तमान भाजपा एकजुट है और हमें हार स्वीकार है। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
सोलन [ बद्दी ] , 21 दिसंबर [ पंकज गोल्डी ] ! दून भाजपा के चुनाव मैनेजर जिनको पूरे दून को मैनेज करना था वो अपनी गृह पंचायतें ही नहीं बचा पाए। भाजपा दून मंडल के इस बार के चुनाव प्रबंधक रहे भगवान सिंह सैणी जिन्होने पूरे दून विस क्षेत्र में अपना जादू बिखेरना था वो अपनी ही गृह पंचायतों में मात खा गए। उनकी गृह पंचायत मानपुरा व किशनपुरा में पार्टी की बहुत बुरी हार हुई है।
गौरतलब है कि भगवान सिंह सैणी जो कि बिना किसी पद के काम करने में विश्वास रखते हैं निष्ठावान, कर्मठ व समर्पित नेता है लेकिन लगातार दूसरी बार चुनाव प्रबंधन में उनका जादू नहीं चला। भगवान सैणी की खासियत यह है कि वो कभी भी खुलकर सामने नहीं आते न ही सुर्खियां बटोरने में विश्वास रखते हैं लेकिन पर्दे के पीछे वो शिद्दत से काम करने में विश्वास रखते हैं। सन 2012 का चुनाव प्रबंधन उनके हाथ में था तो पार्टी पहले से चौथे स्थान पर पहुंच गई थी और विनोद कुमारी की करारी हार हुई थी।
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इस बार 2022 में भी चुनाव प्रबंधन समिति व कोर कमेटी प्रबंधन कार्यभार भगवान सैणी को सौंपा गया था। हर रैली, नुक्कड, सभा व प्रचार प्रसार तथा खर्च का जिम्मा उनके पास था क्योंकि वो एक कुशल कांट्रेक्टर के रूप में पूरे भारत में नाम कमा चुके हैं। वर्तमान मंडल अध्यक्ष जिनका काम पूरे कुनबे को संभालना था की ड्यूटी फील्ड व चुनाव प्रबंधक से हटाकर मात्र पार्टी दफतर संभालने में लगा दी गई थी कि वहां पर कागज काले करते रहो, यानी एक कर्मठ अध्यक्ष को साईट लाईन कर दिया गया था। कोई भी काम होता तो उस पर हर फैसला व अंतिम निर्णय भगवान के हाथों में था। यहां तक किस रैली में कौन कौन स्टेज पर बैठेगा और मंच पर कितना बोलेगा वो उनके हाथ में था।
बडे बडे नेताओं को यह बात कई बार अखरी भी और एक नेता ने विरोध भी किया लेकिन उन्होंने भी इसको टालना मुनासिब समझा कि चलो जो भगवान करता है वो ठीक ही करेगा। जहां तक चुनाव प्रबंधक की गृह पंचायतों मानपुरा व किशनपुरा की बात है वहां पर कांग्रेस प्रत्याशी रामकुमार चौधरी अच्छी खासी लीड ले गए। पूरे दून का चुनाव प्रबंधन संभालने वाले भगवान अपने ही एरिया में फिसड्डी मैनेजर साबित हुए।
एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि साढ़े चार साल फील्ड से बाहर रहकर चुनाव प्रबंधन नहीं किया जा सकता और भगवान को प्रबंधन समिति का कमांडर बनाया जाना बहुत ही गलत था और इस फैसले से पार्टी को भारी नुकसान हुआ है । पूरे चुनाव के दौरान मीडिया से भी पूरी तरह दूरी बनाई रखी गई और एक भी प्रेस वार्ता आयोजित नहीं की गई जिसमें पार्टी ने अपनी पांच साल की उपलब्धियां तो बतानी ही थी साथ में अपने आगामी लक्ष्यों के बारे में बताना था।
मानपुरा के दोनो बूथों से कांग्रेस 160 वोटों की लीड ले गई तो सैणी बहुल किशनपुरा पंचायत से कांग्रेस को 610 वोटों की लीड मिली है। इसे भाजपा नेताओं का अति आत्म विश्वास ही कहा जाएगा कि भाजपा के अधिकांश प्लानर और प्रबंधक तथा मैनेजमेंट गुरु अपने अपने बूथों के अलावा गृह पंचायतों में वोटों का प्रबंधन कुशलता से नहीं कर सके जो कि सबसे जरुरी था। इस विषय में वरिष्ठ नेता श्रीकांत ने गत दिनों कहा भी था कि भाजपा जीत सकती थी अगर चुनाव प्रबंधन व प्रचार प्रसार सही होता।
कोर कमेटी समूह में भी हम अपनी बात नहीं रख सकते थे क्योंकि चुनाव के व्हाट्सएप ग्रुप को भी ओनली फॉर एडमिन कर दिया गया था। हमने बहुत कोशिश की लेकिन कुछ कारणों से हम पिछड़ गए लेकिन अगली बार हम कोशिश करेंगे कि कमल खिला सकें और वर्तमान भाजपा एकजुट है और हमें हार स्वीकार है।
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