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हमीरपुर। राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवम विधायक राजेंद्र राणा ने कोरोना वायरस की आपदा से निपटने के लिए सरकार द्वारा 30 फीसदी वेतन भत्तों की कटौती के फैसले का स्वागत किया है। राणा ने ऐलान किया है कि राष्ट्रीय आपदा के इस संकट से निपटने के लिए अगर पूरे के पूरे वेतन भत्ते भी सरकार जनता की जरुरत, मजबूरी व आपदा में लेना चाहे तो भी हमें कोई एतराज नहीं है। इतना ही नहीं अगर जनसेवा के लिए उन्हें अपने सेविंग खातों व संपत्ति को बेच कर भी जनता की मदद करनी पड़े तो भी वह पीछे नहीं हटेंगे, लेकिन कोविड-19 से आई आपदा के बाद आने वाले आम आदमी के आर्थिक संकट की सरकार गंभीरता समझे। राणा ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मात्र कुछ कैबिनेट मंत्रियों के साथ सिर्फ केन्द्र सरकार की नजर में खरा उतरने के लिए आगामी 2 वर्षों तक विधायक निधि जो करीब पौने 2 करोड़ रुपए बनती है को कोरोना आपदा के लिए फ्रीज करने का फैसला लिया है। यह फैसला तो जनता के हित में कतई नहीं है। विधायक जो अपने क्षेत्र की जनता की नस.नस से वाकिफ रहते हैं उनकी शिकायतों व समस्याओं को बाखूबी जानते हैं। विधायक निधि का यह बजट जिलाधीशों के माध्यम से आम आदमी के छोटे-छोटे विकास कार्यों के लिए खर्च होता है। ऐसे में आगामी दो वर्ष के लिए विधायक निधि का बजट कोरोना आपदा के लिए फ्रीज कर देने जैसे हालात अभी नहीं बने हैं। इस बजट को फ्रीज कर देने का मतलब आम आदमी के विकास को रोकने जैसा है। राणा ने कहा कि सरकार डिस्ट्रिक्ट रिलीफ फंड व कोविड-19 सॉलिडेटरी रिस्पाँस फंड में आने वाले रिलीफ के साथ मुख्यमंत्री राहत कोष में जनता द्वारा भेजे जाने वाले रिलीफ पर श्वेत पत्र जारी करे कि रिलीफ फंड से आने वाले मदों में सरकार को जनता द्वारा कितनी मदद मिली है। कोरोना आपदा से निपट रही प्रदेश सरकार को आने वाले आर्थिक संकट के मद्देनजर अब यह सपष्ट करना भी जरुरी है कि वर्तमान में सरकार का खजाना इतना तंग हाल हो चुका है कि विधायक निधि को फ्रीज करने की जरुरत है और अगर नहीं तो विधायक निधि को फ्रीज करने की जरुरत क्या थी। राणा ने कहा कि इसके साथ केन्द्र द्वारा आपदा प्रबंधन के लिए करीब साढ़े 900 करोड़ का बजट देने का ऐलान किया गया है। बताया जाता है कि जिसमें से 250 करोड़ रुपया प्रदेश सरकार को मिल चुका है। यहां बड़ा सवाल यह भी है कि प्रदेश सरकार ने अभी तक उन्हें मिली जानकारी के मुताबिक मात्र 15 करोड़ रुपया कोरोना आपदा के लिए रिलीज किया है। ऐसे में आपदा प्रबंधन के लिए केन्द्र से 250 करोड़ रुपए की पहली किश्त का क्या हुआ व बकाया मिलने वाली 700 करोड़ की राशि कहां खर्च होगीघ् इसी के साथ सरकार को यह भी सपष्ट करना होगा कि केन्द्र के 1 लाख 70 हजार करोड़ के कोराना बजट के ऐलान के बाद प्रदेश के हिस्से में कितना बजट आया है और अब सरकार को ऐसी कौन सी मजबूरी आन पड़ी है कि सरकार विधायक निधि जो कि निम्न वर्ग के विकास के लिए खर्च होती है उसको भी फ्रीज करने का फैसला लेना पड़ा है। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से अपील की है कि वह प्रदेश की जनता के हितों को ताक पर रखकर केन्द्र सरकार की नजर में खरा बने रहने के लिए कठपुतली बनकर फैसले न लें। कोरोना आपदा के इस संकट में प्रदेश की तमाम जनता व समूची कांग्रेस पार्टी उनके साथ खड़ी है तो ऐसे में आम आदमी के हित के लिए खर्ची जाने वाली विधायक निधि को फ्रीज करने की मंशा क्या है. राणा ने कहा कि बेहतर होता कि अभी हाल ही में 49 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट पारित कर चुकी सरकार प्रदेश की जनता के हित में मंडी में बनने वाले एयरपोर्ट के 1 हजार करोड़ रुपए के बजट को कोरोना आपदा के लिए फिलवक्त रिजर्व कर देती, क्योंकि आपदा के इस दौर में और आने वाले आर्थिक संकट की गंभीरता को समझते हुए एयरपोर्ट से ज्यादा प्रदेश की जनता को संकट से उभारने की जरुरत है।
हमीरपुर। राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवम विधायक राजेंद्र राणा ने कोरोना वायरस की आपदा से निपटने के लिए सरकार द्वारा 30 फीसदी वेतन भत्तों की कटौती के फैसले का स्वागत किया है। राणा ने ऐलान किया है कि राष्ट्रीय आपदा के इस संकट से निपटने के लिए अगर पूरे के पूरे वेतन भत्ते भी सरकार जनता की जरुरत, मजबूरी व आपदा में लेना चाहे तो भी हमें कोई एतराज नहीं है। इतना ही नहीं अगर जनसेवा के लिए उन्हें अपने सेविंग खातों व संपत्ति को बेच कर भी जनता की मदद करनी पड़े तो भी वह पीछे नहीं हटेंगे, लेकिन कोविड-19 से आई आपदा के बाद आने वाले आम आदमी के आर्थिक संकट की सरकार गंभीरता समझे।
राणा ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मात्र कुछ कैबिनेट मंत्रियों के साथ सिर्फ केन्द्र सरकार की नजर में खरा उतरने के लिए आगामी 2 वर्षों तक विधायक निधि जो करीब पौने 2 करोड़ रुपए बनती है को कोरोना आपदा के लिए फ्रीज करने का फैसला लिया है। यह फैसला तो जनता के हित में कतई नहीं है। विधायक जो अपने क्षेत्र की जनता की नस.नस से वाकिफ रहते हैं उनकी शिकायतों व समस्याओं को बाखूबी जानते हैं। विधायक निधि का यह बजट जिलाधीशों के माध्यम से आम आदमी के छोटे-छोटे विकास कार्यों के लिए खर्च होता है।
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ऐसे में आगामी दो वर्ष के लिए विधायक निधि का बजट कोरोना आपदा के लिए फ्रीज कर देने जैसे हालात अभी नहीं बने हैं। इस बजट को फ्रीज कर देने का मतलब आम आदमी के विकास को रोकने जैसा है। राणा ने कहा कि सरकार डिस्ट्रिक्ट रिलीफ फंड व कोविड-19 सॉलिडेटरी रिस्पाँस फंड में आने वाले रिलीफ के साथ मुख्यमंत्री राहत कोष में जनता द्वारा भेजे जाने वाले रिलीफ पर श्वेत पत्र जारी करे कि रिलीफ फंड से आने वाले मदों में सरकार को जनता द्वारा कितनी मदद मिली है। कोरोना आपदा से निपट रही प्रदेश सरकार को आने वाले आर्थिक संकट के मद्देनजर अब यह सपष्ट करना भी जरुरी है कि वर्तमान में सरकार का खजाना इतना तंग हाल हो चुका है कि विधायक निधि को फ्रीज करने की जरुरत है और अगर नहीं तो विधायक निधि को फ्रीज करने की जरुरत क्या थी।
राणा ने कहा कि इसके साथ केन्द्र द्वारा आपदा प्रबंधन के लिए करीब साढ़े 900 करोड़ का बजट देने का ऐलान किया गया है। बताया जाता है कि जिसमें से 250 करोड़ रुपया प्रदेश सरकार को मिल चुका है। यहां बड़ा सवाल यह भी है कि प्रदेश सरकार ने अभी तक उन्हें मिली जानकारी के मुताबिक मात्र 15 करोड़ रुपया कोरोना आपदा के लिए रिलीज किया है। ऐसे में आपदा प्रबंधन के लिए केन्द्र से 250 करोड़ रुपए की पहली किश्त का क्या हुआ व बकाया मिलने वाली 700 करोड़ की राशि कहां खर्च होगीघ् इसी के साथ सरकार को यह भी सपष्ट करना होगा कि केन्द्र के 1 लाख 70 हजार करोड़ के कोराना बजट के ऐलान के बाद प्रदेश के हिस्से में कितना बजट आया है और अब सरकार को ऐसी कौन सी मजबूरी आन पड़ी है कि सरकार विधायक निधि जो कि निम्न वर्ग के विकास के लिए खर्च होती है उसको भी फ्रीज करने का फैसला लेना पड़ा है। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से अपील की है कि वह प्रदेश की जनता के हितों को ताक पर रखकर केन्द्र सरकार की नजर में खरा बने रहने के लिए कठपुतली बनकर फैसले न लें।
कोरोना आपदा के इस संकट में प्रदेश की तमाम जनता व समूची कांग्रेस पार्टी उनके साथ खड़ी है तो ऐसे में आम आदमी के हित के लिए खर्ची जाने वाली विधायक निधि को फ्रीज करने की मंशा क्या है. राणा ने कहा कि बेहतर होता कि अभी हाल ही में 49 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट पारित कर चुकी सरकार प्रदेश की जनता के हित में मंडी में बनने वाले एयरपोर्ट के 1 हजार करोड़ रुपए के बजट को कोरोना आपदा के लिए फिलवक्त रिजर्व कर देती, क्योंकि आपदा के इस दौर में और आने वाले आर्थिक संकट की गंभीरता को समझते हुए एयरपोर्ट से ज्यादा प्रदेश की जनता को संकट से उभारने की जरुरत है।
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