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कुल्लू ,03 मार्च [ राकेश शर्मा ] ! तीर्थन घाटी गुशैनी बंजार (परस राम भारती):- जिला कुल्लु उपमण्डल बंजार की तीर्थन घाटी में एक मार्च से इस साल के मछली आखेट सीजन का आगाज हो गया है। गौरतलब है कि मत्स्य विभाग द्वारा तीर्थन और इसके सहायक नदी नालों में नवम्बर से फरवरी करीब चार माह तक मछलियों के आखेट पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया जाता है ताकि मछलियां मुक्त विचरण करते हुए प्रजनन कर सके। आज से यह प्रतिबन्ध हटा दिया गया है, अब पर्यटक और स्थानीय लोग विभाग से परमिट ले कर तीर्थन नदी और इसके सहायक नदी नालों में ट्राउट फिशिंग का लुत्फ उठा सकेंगे। प्रतिबंध हटते ही मछली आखेट प्रेमी तीर्थन नदी की लहरों पर उतर गए हैं। जिला कुल्लू के बंजार क्षेत्र में बहने वाली नदियां नाले ट्राउट एंग्लिंग के लिए उपयुक्त है और इसके साथ ही यहां पर ट्राउट मछली पालन व्यवसाय की व्यापक संभावना है। तीर्थन नदी के ठंडे पानी में पलने वाली ट्राउट मछली की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। इस मछली के सरंक्षण और संवर्धन से घाटी में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे। मत्स्य विभाग द्वारा समय समय पर लोगों को ट्राउट मछली की उपयोगिता, इसके संरक्षण एवं संवर्धन तथा मछ्ली पालन व्यवसाय पर जागरुकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाते है। इसी कड़ी में मंगलवार को जिभि में विभाग द्वारा जिभी बैली पर्यटन विकास एसोसिएशन के सहयोग से स्थानीय लोगों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मत्स्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर खेम सिंह ठाकुर, मत्स्य अधिकारी दुनी चन्द आर्य, जीभि वैली पर्यटन विकास एसोसिएशन के पुर्व अध्यक्ष ललित कुमार, एसोसिएशन के सदस्यगण विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस कार्यशाला में जिभी और तीर्थन घाटी के करीब 50 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में मत्स्य अधिकारी दुनी चन्द आर्य द्वारा उपस्थित लोगों को मत्सय पालन व्यवसाय के लिए स्वरोजगार हेतु सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की विस्तृत जानकारी दी गई। इन्होने कहा कि बेरोजगारी के इस बढ़ते दौर में मत्स्य पालन व्यवसाय स्वरोजगार का। एक अच्छा विकल्प है। जिन लोगों के पास नदी नालों के साथ सुरक्षित स्थान है, जहां पर बारह महीने पर्याप्त मात्रा में बहता हुआ पानी उपलब्ध रहता है वह जगह ट्राउट फार्मिंग के सबसे उपयुक्त है। इन्होंने बताया कि ट्राउट फार्मिंग इकाई तालाब निर्माण हेतु सरकार द्वारा किसानों को 60% तक की अनुदान राशि भी दी जाती है। मत्स्य पालन व्यवसाय से स्वरोजगार चलाने वाले इच्छुक लोगों की विभाग द्वारा हर सम्भव सहायता की जाती है। मत्स्य पालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर खेम सिंह ठाकुर का कहना है कि तीर्थन नदी ट्राउट मछली के शिकार के लिए काफी मशहूर हो चुकी है। हर साल यहां पर सैंकड़ों देशी-विदेशी पर्यटकों के अलावा कई अति विशिष्ट व्यक्ति ट्राउट फिशिंग का आनंद लेने के लिए आते हैं। तीर्थन और इसके सहायक नदी नालों में बीज डालकर इन्हे ट्राउट फिशिंग के लिए विकसित किया जा रहा है। इसके साथ ही निजी क्षेत्र में भी लोगों को ट्राउट फिश फार्म खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन्होंने कहा कि बंजार क्षेत्र में एंगलिंग टूरिज्म की अपार संभावनाएं है, जहां पर ट्राउट फिश है वहां पर पर्यटन भी पहुंच रहा है। इसलिए ट्राउट मछली का संरक्षण एवं संवर्धन किया जाना जरूरी है। इन्होंने बताया कि ट्राउट मछली को प्रोमोट करने के लिए समय समय पर मछ्ली आखेट प्रतियोगिता और ट्राउट फेयर जैसे कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है। जीभी वैली के ललित कुमार का कहना है कि घाटी के नदी नालों में ट्राउट मछली के संरक्षण हेतु सभी लोगों को आगे आना पड़ेगा। इसके लिए नदियों में हो रहे ट्राउट मछली के अवैध शिकार को रोकना होगा ताकि नदी नालों में भी मत्स्य संरक्षण को बढ़ावा मिल सके। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
कुल्लू ,03 मार्च [ राकेश शर्मा ] ! तीर्थन घाटी गुशैनी बंजार (परस राम भारती):- जिला कुल्लु उपमण्डल बंजार की तीर्थन घाटी में एक मार्च से इस साल के मछली आखेट सीजन का आगाज हो गया है। गौरतलब है कि मत्स्य विभाग द्वारा तीर्थन और इसके सहायक नदी नालों में नवम्बर से फरवरी करीब चार माह तक मछलियों के आखेट पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया जाता है ताकि मछलियां मुक्त विचरण करते हुए प्रजनन कर सके।
आज से यह प्रतिबन्ध हटा दिया गया है, अब पर्यटक और स्थानीय लोग विभाग से परमिट ले कर तीर्थन नदी और इसके सहायक नदी नालों में ट्राउट फिशिंग का लुत्फ उठा सकेंगे। प्रतिबंध हटते ही मछली आखेट प्रेमी तीर्थन नदी की लहरों पर उतर गए हैं।
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जिला कुल्लू के बंजार क्षेत्र में बहने वाली नदियां नाले ट्राउट एंग्लिंग के लिए उपयुक्त है और इसके साथ ही यहां पर ट्राउट मछली पालन व्यवसाय की व्यापक संभावना है। तीर्थन नदी के ठंडे पानी में पलने वाली ट्राउट मछली की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। इस मछली के सरंक्षण और संवर्धन से घाटी में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे।
मत्स्य विभाग द्वारा समय समय पर लोगों को ट्राउट मछली की उपयोगिता, इसके संरक्षण एवं संवर्धन तथा मछ्ली पालन व्यवसाय पर जागरुकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाते है। इसी कड़ी में मंगलवार को जिभि में विभाग द्वारा जिभी बैली पर्यटन विकास एसोसिएशन के सहयोग से स्थानीय लोगों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मत्स्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर खेम सिंह ठाकुर, मत्स्य अधिकारी दुनी चन्द आर्य, जीभि वैली पर्यटन विकास एसोसिएशन के पुर्व अध्यक्ष ललित कुमार, एसोसिएशन के सदस्यगण विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस कार्यशाला में जिभी और तीर्थन घाटी के करीब 50 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
इस एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में मत्स्य अधिकारी दुनी चन्द आर्य द्वारा उपस्थित लोगों को मत्सय पालन व्यवसाय के लिए स्वरोजगार हेतु सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की विस्तृत जानकारी दी गई। इन्होने कहा कि बेरोजगारी के इस बढ़ते दौर में मत्स्य पालन व्यवसाय स्वरोजगार का। एक अच्छा विकल्प है। जिन लोगों के पास नदी नालों के साथ सुरक्षित स्थान है, जहां पर बारह महीने पर्याप्त मात्रा में बहता हुआ पानी उपलब्ध रहता है वह जगह ट्राउट फार्मिंग के सबसे उपयुक्त है। इन्होंने बताया कि ट्राउट फार्मिंग इकाई तालाब निर्माण हेतु सरकार द्वारा किसानों को 60% तक की अनुदान राशि भी दी जाती है। मत्स्य पालन व्यवसाय से स्वरोजगार चलाने वाले इच्छुक लोगों की विभाग द्वारा हर सम्भव सहायता की जाती है।
मत्स्य पालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर खेम सिंह ठाकुर का कहना है कि तीर्थन नदी ट्राउट मछली के शिकार के लिए काफी मशहूर हो चुकी है। हर साल यहां पर सैंकड़ों देशी-विदेशी पर्यटकों के अलावा कई अति विशिष्ट व्यक्ति ट्राउट फिशिंग का आनंद लेने के लिए आते हैं। तीर्थन और इसके सहायक नदी नालों में बीज डालकर इन्हे ट्राउट फिशिंग के लिए विकसित किया जा रहा है। इसके साथ ही निजी क्षेत्र में भी लोगों को ट्राउट फिश फार्म खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन्होंने कहा कि बंजार क्षेत्र में एंगलिंग टूरिज्म की अपार संभावनाएं है, जहां पर ट्राउट फिश है वहां पर पर्यटन भी पहुंच रहा है। इसलिए ट्राउट मछली का संरक्षण एवं संवर्धन किया जाना जरूरी है।
इन्होंने बताया कि ट्राउट मछली को प्रोमोट करने के लिए समय समय पर मछ्ली आखेट प्रतियोगिता और ट्राउट फेयर जैसे कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है। जीभी वैली के ललित कुमार का कहना है कि घाटी के नदी नालों में ट्राउट मछली के संरक्षण हेतु सभी लोगों को आगे आना पड़ेगा। इसके लिए नदियों में हो रहे ट्राउट मछली के अवैध शिकार को रोकना होगा ताकि नदी नालों में भी मत्स्य संरक्षण को बढ़ावा मिल सके।
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