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बददी ! एक तरफ कोरोना वायरस का कहर दूसरी ओर खेतों में गेहूं की फसल कटने को तैयार। किसानों कुदरत की इस दोहरी मार के बीच पिसता नजर आ रहा है। उस पर बड़ी आफत यह कि फसल कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। गेहूं की फसल पूरी तरह से पक करके तैयार है। स्थानीय ग्राम वासियों का कहना है कि मजदूर मिल नहीं रहे हैं। यदि कोई मजदूर मिल भी रहा है तो वह भी 800 से 1000 रुपए दिहाड़ी मांग रहे हैं। ऊपर से भोजन तथा अन्य व्यवस्था अगल से करने की डिमांग की जा रही है। ऐसे में कोई भी चीज उपलब्ध करवाना किसानों के लिए मुश्किल हो गया है। किसान राम किशन, भोला राम, सचिन बैंसल, किशोर कुमार, ऋषि भारद्वाज, दिनेश कुमार ने कहा कि फसल की कटाई के लिए मजदूर न मिलने से उनके ऊपर सबसे बड़ी मुसीबत साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के चलते बीबीएन तथा आसपास जितने भी प्रवासी मजदूर थे वह सारे अपने-अपने रा’यों में वापिस चले गए हैं। ऐसे में किसानों को फसल कटाई के लिए प्रवासी मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं। किसानों का कहना है कि खेत खलिहान में तैयार फसल लहलहा रही है, लेकिन मजबूरी यह है कि हमें इसकी कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है। यहां तक तो मशीन से भी कटाई संभव नहीं हो सकती। कोरोना के प्रकोप के चलते लोग पहले ही घरों में कैद होकर रह गए हैं। किसान रामदित्ता, ध्रुव राज, बृजमोहन, जगमोहन, सूरत राम, जीवन कुमार, निरंजन सिंह, अंबिका दत्त, हरदत्त, देवदत्त ने कहा कि गेहूं की फसल खेतों में कटाई के लिए तैयार है, लेकिन किसान फसल कटाई न हो पाने के चलते खासे मायूस है। दो तरफा मार इस वक्त किसान झेल रहे हैं। एक तरफ कोरोना वायस का डर और दूसरी ओर फसल कटाई के लिए मजदूर न मिलना सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने आ खड़ी है।
बददी ! एक तरफ कोरोना वायरस का कहर दूसरी ओर खेतों में गेहूं की फसल कटने को तैयार। किसानों कुदरत की इस दोहरी मार के बीच पिसता नजर आ रहा है। उस पर बड़ी आफत यह कि फसल कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। गेहूं की फसल पूरी तरह से पक करके तैयार है। स्थानीय ग्राम वासियों का कहना है कि मजदूर मिल नहीं रहे हैं। यदि कोई मजदूर मिल भी रहा है तो वह भी 800 से 1000 रुपए दिहाड़ी मांग रहे हैं। ऊपर से भोजन तथा अन्य व्यवस्था अगल से करने की डिमांग की जा रही है।
ऐसे में कोई भी चीज उपलब्ध करवाना किसानों के लिए मुश्किल हो गया है। किसान राम किशन, भोला राम, सचिन बैंसल, किशोर कुमार, ऋषि भारद्वाज, दिनेश कुमार ने कहा कि फसल की कटाई के लिए मजदूर न मिलने से उनके ऊपर सबसे बड़ी मुसीबत साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के चलते बीबीएन तथा आसपास जितने भी प्रवासी मजदूर थे वह सारे अपने-अपने रा’यों में वापिस चले गए हैं। ऐसे में किसानों को फसल कटाई के लिए प्रवासी मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं। किसानों का कहना है कि खेत खलिहान में तैयार फसल लहलहा रही है, लेकिन मजबूरी यह है कि हमें इसकी कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है।
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यहां तक तो मशीन से भी कटाई संभव नहीं हो सकती। कोरोना के प्रकोप के चलते लोग पहले ही घरों में कैद होकर रह गए हैं। किसान रामदित्ता, ध्रुव राज, बृजमोहन, जगमोहन, सूरत राम, जीवन कुमार, निरंजन सिंह, अंबिका दत्त, हरदत्त, देवदत्त ने कहा कि गेहूं की फसल खेतों में कटाई के लिए तैयार है, लेकिन किसान फसल कटाई न हो पाने के चलते खासे मायूस है। दो तरफा मार इस वक्त किसान झेल रहे हैं। एक तरफ कोरोना वायस का डर और दूसरी ओर फसल कटाई के लिए मजदूर न मिलना सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने आ खड़ी है।
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