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चम्बा , 28 सितंबर [ शिवानी ] ! जिला स्तरीय विश्व रेबीज दिवस मुख्य चिकित्सा अधिकारी चम्बा डॉक्टर कपिल शर्मा की अध्यक्षता में मनाया गया। उन्होंने इस अवसर पर मौजूद प्रतिभागियों को बताया कि रेबीज की रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इस भयावह बीमारी को हराने मैं प्रगति को उजागर करने के लिए इसे 2007 के बाद प्रतिवर्ष मनाया जाता है। 28 सितंबर को फ्रांसीसी सूक्ष्म जीव वैज्ञानिक लुई पाश्चर की मृत्यु की सालगिरह भी मनाई जाती है, जिसने रेबीज का पहला टीका विकसित किया था। उन्होंने कहा कि रेबीज एक वायरस है जो कि संक्रमित जानवरों की लार ग्रंथियां में मौजूद रहता है जब यह संक्रमित जानवर किसी को काटता है तो वायरस गाव के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाता है। उन्होंने कहा कि इस हालत में झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाने के बजाय या पारंपरिक इलाज को छोड़कर शीघ्र ही डॉक्टर के पास जाना चाहिए और टिटनेस तथा ए आर वी के टीके लगवाने चाहिए ताकि रेबीज के संक्रमण के खतरे से बचा जा सके। उन्होंने आगे कहा की लापरवाही बरतने पर यह वाइरस तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है और व्यक्ति में बुखार, सिर दर्द और कमजोरी आती है और बाद में मांसपेशियों में ऐंठन,गुस्सा,पैरालिसिस जैसे लक्षण आने के बाद व्यक्ति की मौत हो जाती है। इस अवसर पर उपस्थित जन शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सी आर ठाकुर ने कहा कि हर एक पालतू जानवर का पंजीकरण और टीकाकरण समय-समय पर करवाना आवश्यक है। तब भी यदि कोई पालतू जानवर कटे तो इस समय जख्म को अच्छी तरह साबुन पानी से धोकर शीघ्र ही डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाना चाहिए ताकि रोगी की जान को बचाया जा सके।
चम्बा , 28 सितंबर [ शिवानी ] ! जिला स्तरीय विश्व रेबीज दिवस मुख्य चिकित्सा अधिकारी चम्बा डॉक्टर कपिल शर्मा की अध्यक्षता में मनाया गया। उन्होंने इस अवसर पर मौजूद प्रतिभागियों को बताया कि रेबीज की रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इस भयावह बीमारी को हराने मैं प्रगति को उजागर करने के लिए इसे 2007 के बाद प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
28 सितंबर को फ्रांसीसी सूक्ष्म जीव वैज्ञानिक लुई पाश्चर की मृत्यु की सालगिरह भी मनाई जाती है, जिसने रेबीज का पहला टीका विकसित किया था। उन्होंने कहा कि रेबीज एक वायरस है जो कि संक्रमित जानवरों की लार ग्रंथियां में मौजूद रहता है जब यह संक्रमित जानवर किसी को काटता है तो वायरस गाव के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाता है।
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उन्होंने कहा कि इस हालत में झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाने के बजाय या पारंपरिक इलाज को छोड़कर शीघ्र ही डॉक्टर के पास जाना चाहिए और टिटनेस तथा ए आर वी के टीके लगवाने चाहिए ताकि रेबीज के संक्रमण के खतरे से बचा जा सके।
उन्होंने आगे कहा की लापरवाही बरतने पर यह वाइरस तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है और व्यक्ति में बुखार, सिर दर्द और कमजोरी आती है और बाद में मांसपेशियों में ऐंठन,गुस्सा,पैरालिसिस जैसे लक्षण आने के बाद व्यक्ति की मौत हो जाती है।
इस अवसर पर उपस्थित जन शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सी आर ठाकुर ने कहा कि हर एक पालतू जानवर का पंजीकरण और टीकाकरण समय-समय पर करवाना आवश्यक है। तब भी यदि कोई पालतू जानवर कटे तो इस समय जख्म को अच्छी तरह साबुन पानी से धोकर शीघ्र ही डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाना चाहिए ताकि रोगी की जान को बचाया जा सके।
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