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बिलासपुर , 07 सितम्बर ! चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रवीण कुमार ने कहा की थैलेसीमिया रोग की जानकारी आवश्यक है थैलेसीमिया एक वंशानुगत रोग है या दो प्रकार का होता है - माइनर और मेजर। जिन माता-पिता में से एक ही में माइनर थैलेसीमिय होने पर किसी बच्चे को खतरा नहीं होता वह लगभग स्वस्थ जीवन जी लेते हैं कई बार तो उसे जीवन भर पता ही नहीं चलता कि उसके शरीर में कोई दिक्कत भी है। उन्होंने बताया कि पैदा होने वाले बच्चों के माता-पिता दोनों के जींस में माइनर थैलेसीमिय होता है । न बच्चों में मेजर थैलेसीमिया हो सकता हैं जो काफी घातक होता है उन्हें लगभग हर महीने के अंतराल पर एक व दो बार खून चढाना पड़ता है, इसलिए बेहतर होगा की बच्चा प्लान करने से पहले या शादी से पहले ही अपने जरूरी मेडिकल टेस्ट करवा लेना चाहिए। हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की उम्र लगभग 4 महीना होती है लेकिन थैलेसीमिया के रोगी में इन कोशिकाओं का जीवन करीब 20 दिन रह जाता है। यानी एक तो कोशिकाओं का निर्माण नहीं होता फिर जो कोशिकाएं ब्लड के साथ उनके शरीर में चढ़ाई जाती हैं उनकी लाइफ भी बहुत कम होती है इस कारण रोगी को बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। इस प्रकार के बच्चों का जीवन बहुत ही कष्ट व मुश्किल भरा होता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा की जिला बिलासपुर में थैलेसीमिय के 10 बच्चे हैं जिन्हें हर माह खून चढ़ाना पड़ता है और भारत में हर साल 7 से 10 हजार।
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