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बिलासपुर 26 नवंबर ! हिमाचल प्रदेश अधिवक्ता परिषद द्वारा आज बिलासपुर के किसान भवन में राज्यस्तरीय संविधान दिवस पर एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने की। इस अवसर पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र वैद्य उपायुक्त बिलासपुर पंकज राय प्रदेश अधिवक्ता परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष अविनाश शर्मा महासचिव अमित सिंह चंदेल जिला बार एसोसिएशन के प्रधान डीआर शर्मा विशेष तौर पर उपस्थित रहे। इस अवसर पर चर्चा का शीर्षक मौलिक कर्तव्य पर अपने संबोधन में न्यायधीश विवेक सिंह ठाकुर ने कहा कि सभी नागरिकों के द्वारा अपने कर्तव्य के पालन करने से ही दूसरे व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा स्वयं ही होगी। उन्होंने कहा कि मौलिक कर्तव्य में अंकित किया गया है कि जरूरत पड़ने पर राष्ट्र की रक्षा नागरिकों को करनी होगी। उन्होंने कहा कि सभ्य नागरिकों को राष्ट्र की रक्षा के लिए पुकार की आवश्यकता नहीं है नागरिक स्वयं प्रेरणा से व्यवहार करें और अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए अपना तन मन समर्पण करें। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राष्ट्र की रक्षा केवल फौज की जिम्मेवारी नहीं है हम सभी को अपना समर्पण अर्पित करना होगा। उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिकों के मौलिक कर्तव्य, 1976 में, 42वें संवैधानिक संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान में जोड़े गए। देश के हित के लिए सभी जिम्मेदारियाँ बहुत महत्वपूर्ण और आवश्यक हैं। नागरिक कर्तव्यों या नैतिक कर्तव्यों का पालन करने के लिए देश के नागरिकों को कानूनी रुप से, यहाँ तक कि न्यायालय के द्वारा भी बाध्य नहीं किया जा सकता। भारतीय संविधान में शामिल किए गए कुछ मौलिक कर्तव्य; राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय गान का सम्मान करना, नागरिकों को अपने देश की रक्षा करनी चाहिए, जबकभी भी आवश्यकता हो तो राष्ट्रीय सेवा के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए, सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करनी चाहिए आदि हैं। इस तरह के मौलिक कर्तव्य देश के राष्ट्रीय हित के लिए बहुत महत्वपूर्ण है हालांकि, इन्हें मानने के लिए लोगों को बाध्य नहीं किया जा सकता है। अधिकारों का पूरी तरह से आनंद लेने के लिए, लोगों को अपने देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन सही ढंग से करना चाहिए, क्योंकि अधिकार और कर्तव्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। जैसे ही हमें अधिकार मिलते हैं तो वैयक्तिक और सामाजिक कल्याण की ओर हमारी जिम्मेदारियाँ भी बढ़ती है। दोनों ही एक दूसरे से पृथक नहीं है और देश की समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं। देश का अच्छा नागरिक होने के रुप में, हमें समाज और देश के कल्याण के लिए अपने अधिकारों और कर्तव्यों को जानने व सीखने की आवश्यकता है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि, हम में से सभी समाज की अच्छी और बुरी स्थिति के जिम्मेदार है। समाज और देश में कुछ सकारात्मक प्रभावों लाने के लिए हमें अपनी सोच को कार्य रुप में बदलने की आवश्यकता है। यदि वैयक्तिक कार्यों के द्वारा जीवन को बदला जा सकता है, तो फिर समाज में किए गए सामूहिक प्रयास देश व पूरे समाज में सकारात्मक प्रभाव क्यों नहीं ला सकते हैं। इसलिए, समाज और पूरे देश की समृद्धि और शान्ति के लिए नागरिकों के कर्तव्य बहुत अधिक मायने रखते हैं। इस अवसर पर जिला सत्र न्यायाधीश पुरेंद्र वैद्य ने कहा कि भारतीय संविधान का शहर उसकी अपेक्षाएं उसका उद्देश्य उसका लक्ष्य तथा दर्शन प्रस्तावना में नहीं थे जिसमें कहा गया है कि हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय विचार अभिव्यक्ति विश्वास धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्तियों की गरिमा और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प करती है। इस कार्यक्रम में जिला अधिवक्ता परिषद के सदस्य बार काउंसिल के सदस्य बिलासपुर के विभिन्न स्कूलों के छात्र एवं छात्राएं उपस्थित रहे। Please Submit your Opinion Poll ? [yop_poll id="6"] https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
बिलासपुर 26 नवंबर ! हिमाचल प्रदेश अधिवक्ता परिषद द्वारा आज बिलासपुर के किसान भवन में राज्यस्तरीय संविधान दिवस पर एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने की। इस अवसर पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र वैद्य उपायुक्त बिलासपुर पंकज राय प्रदेश अधिवक्ता परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष अविनाश शर्मा महासचिव अमित सिंह चंदेल जिला बार एसोसिएशन के प्रधान डीआर शर्मा विशेष तौर पर उपस्थित रहे।
इस अवसर पर चर्चा का शीर्षक मौलिक कर्तव्य पर अपने संबोधन में न्यायधीश विवेक सिंह ठाकुर ने कहा कि सभी नागरिकों के द्वारा अपने कर्तव्य के पालन करने से ही दूसरे व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा स्वयं ही होगी। उन्होंने कहा कि मौलिक कर्तव्य में अंकित किया गया है कि जरूरत पड़ने पर राष्ट्र की रक्षा नागरिकों को करनी होगी। उन्होंने कहा कि सभ्य नागरिकों को राष्ट्र की रक्षा के लिए पुकार की आवश्यकता नहीं है नागरिक स्वयं प्रेरणा से व्यवहार करें और अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए अपना तन मन समर्पण करें। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राष्ट्र की रक्षा केवल फौज की जिम्मेवारी नहीं है हम सभी को अपना समर्पण अर्पित करना होगा।उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिकों के मौलिक कर्तव्य, 1976 में, 42वें संवैधानिक संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान में जोड़े गए। देश के हित के लिए सभी जिम्मेदारियाँ बहुत महत्वपूर्ण और आवश्यक हैं। नागरिक कर्तव्यों या नैतिक कर्तव्यों का पालन करने के लिए देश के नागरिकों को कानूनी रुप से, यहाँ तक कि न्यायालय के द्वारा भी बाध्य नहीं किया जा सकता।
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इस अवसर पर जिला सत्र न्यायाधीश पुरेंद्र वैद्य ने कहा कि भारतीय संविधान का शहर उसकी अपेक्षाएं उसका उद्देश्य उसका लक्ष्य तथा दर्शन प्रस्तावना में नहीं थे जिसमें कहा गया है कि हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय विचार अभिव्यक्ति विश्वास धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्तियों की गरिमा और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प करती है। इस कार्यक्रम में जिला अधिवक्ता परिषद के सदस्य बार काउंसिल के सदस्य बिलासपुर के विभिन्न स्कूलों के छात्र एवं छात्राएं उपस्थित रहे।
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