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शिमला ,23 जनवरी [ विशाल सूद ] ! नन्द लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन ने आज ' इंडिया -नेपाल डेवलपमेंट पार्टनरशिप कॉन्क्लेव ' के प्रतिभागियों को वर्चुअली संबोधित किया। नेपाल सरकार के उप प्रधानमंत्री और भौतिक अवसंरचना एवं परिवहन मंत्री, नारायण काजी श्रेष्ठ कॉन्क्लेव के मुख्य अतिथि थे। मुख्य वक्ता और 'पारस्परिक लाभ के लिए सीमा पार कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करना' संबंधी सत्र के पैनलिस्ट नन्द लाल शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन नेपाल के सामाजिक-आर्थिक विकास में एक प्रमुख भागीदार और विश्वसनीय निवेशक है। कंपनी अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली अधीनस्थ कंपनी एसजेवीएन अरुण-3 पावर डेवलपमेंट कंपनी (एसएपीडीसी) के माध्यम से नेपाल की परिवर्तनकारी सार्वजनिक प्राइवेट भागीदारी परियोजना में से एक अर्थात् 900 मेगावाट अरुण-3 जलविद्युत परियोजना को निष्पादित कर रही है। यह नेपाल में सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है। एसजेवीएन उसी अरुण नदी बेसिन पर 669 मेगावाट लोअर अरुण जलविद्युत परियोजना और 490 मेगावाट अरुण-4 जलविद्युत परियोजना को भी निष्पादित कर रहा है।नन्द लाल शर्मा ने एसजेवीएन में विश्वास दर्शाने और नेपाल में 2059 मेगावाट की जलविद्युत परियोजनाओं को आबंटित करने के लिए भारत और नेपाल सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने नेपाल में स्थित भारत के दूतावास, नेपाल के निवेश बोर्ड कार्यालय, नेपाल सरकार के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों को उनके निरंतर सहयोग और साझेदारी के लिए धन्यवाद दिया जो दोनों पड़ोसी देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ कर रहा है। नन्द लाल शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन का लक्ष्य वर्ष 2030 तक नेपाल में 5000 मेगावाट की जलविद्युत परियोजनाओं को हासिल करना है। एसजेवीएन को नेपाल की आर्थिक रूप से व्यवहार्य जलविद्युत परियोजनाओं का आबंटन करना दोनों देशों के लिए पारस्परिक रूप से हितकारी होगा। यह नेपाल को इस क्षेत्र में जलविद्युत ऊर्जा का पावर हाउस बनने में मदद करेगा, जिसके परिणामस्वरूप नेपाल का समग्र रूप से सामाजिक-आर्थिक विकास होगा। भारत के लिए, जलविद्युत का निर्यात नवीकरणीय संसाधनों से लगातार बढ़ती ऊर्जा उत्पादन का पूरक होगा और ग्रिड स्थिरता में योगदान देगा। कॉन्क्लेव का आयोजन काठमांडू नेपाल में दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र के सहयोग से भारतीय दूतावास, काठमांडू द्वारा किया गया । इस अवसर पर नेपाल में भारतीय राजदूत महामहिम नवीन श्रीवास्तव, मुख्य सचिव शंकर दास बैरागी, अन्य गणमान्य व्यक्ति और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वक्ता भी उपस्थित रहे। कॉन्क्लेव भारतीय दूतावास द्वारा एक आउटरीच पहल है, जो स्टेकहोल्डरों और वार्ताकारों को नेपाल में विकास पहलों और निरंतर सहयोग के साथ-साथ भविष्य की संभावनाओं के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
शिमला ,23 जनवरी [ विशाल सूद ] ! नन्द लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन ने आज ' इंडिया -नेपाल डेवलपमेंट पार्टनरशिप कॉन्क्लेव ' के प्रतिभागियों को वर्चुअली संबोधित किया। नेपाल सरकार के उप प्रधानमंत्री और भौतिक अवसंरचना एवं परिवहन मंत्री, नारायण काजी श्रेष्ठ कॉन्क्लेव के मुख्य अतिथि थे।
मुख्य वक्ता और 'पारस्परिक लाभ के लिए सीमा पार कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करना' संबंधी सत्र के पैनलिस्ट नन्द लाल शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन नेपाल के सामाजिक-आर्थिक विकास में एक प्रमुख भागीदार और विश्वसनीय निवेशक है। कंपनी अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली अधीनस्थ कंपनी एसजेवीएन अरुण-3 पावर डेवलपमेंट कंपनी (एसएपीडीसी) के माध्यम से नेपाल की परिवर्तनकारी सार्वजनिक प्राइवेट भागीदारी परियोजना में से एक अर्थात् 900 मेगावाट अरुण-3 जलविद्युत परियोजना को निष्पादित कर रही है। यह नेपाल में सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है।
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एसजेवीएन उसी अरुण नदी बेसिन पर 669 मेगावाट लोअर अरुण जलविद्युत परियोजना और 490 मेगावाट अरुण-4 जलविद्युत परियोजना को भी निष्पादित कर रहा है।नन्द लाल शर्मा ने एसजेवीएन में विश्वास दर्शाने और नेपाल में 2059 मेगावाट की जलविद्युत परियोजनाओं को आबंटित करने के लिए भारत और नेपाल सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने नेपाल में स्थित भारत के दूतावास, नेपाल के निवेश बोर्ड कार्यालय, नेपाल सरकार के विभिन्न विभागों और मंत्रालयों को उनके निरंतर सहयोग और साझेदारी के लिए धन्यवाद दिया जो दोनों पड़ोसी देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ कर रहा है।
नन्द लाल शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन का लक्ष्य वर्ष 2030 तक नेपाल में 5000 मेगावाट की जलविद्युत परियोजनाओं को हासिल करना है। एसजेवीएन को नेपाल की आर्थिक रूप से व्यवहार्य जलविद्युत परियोजनाओं का आबंटन करना दोनों देशों के लिए पारस्परिक रूप से हितकारी होगा। यह नेपाल को इस क्षेत्र में जलविद्युत ऊर्जा का पावर हाउस बनने में मदद करेगा, जिसके परिणामस्वरूप नेपाल का समग्र रूप से सामाजिक-आर्थिक विकास होगा। भारत के लिए, जलविद्युत का निर्यात नवीकरणीय संसाधनों से लगातार बढ़ती ऊर्जा उत्पादन का पूरक होगा और ग्रिड स्थिरता में योगदान देगा।
कॉन्क्लेव का आयोजन काठमांडू नेपाल में दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र के सहयोग से भारतीय दूतावास, काठमांडू द्वारा किया गया । इस अवसर पर नेपाल में भारतीय राजदूत महामहिम नवीन श्रीवास्तव, मुख्य सचिव शंकर दास बैरागी, अन्य गणमान्य व्यक्ति और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वक्ता भी उपस्थित रहे। कॉन्क्लेव भारतीय दूतावास द्वारा एक आउटरीच पहल है, जो स्टेकहोल्डरों और वार्ताकारों को नेपाल में विकास पहलों और निरंतर सहयोग के साथ-साथ भविष्य की संभावनाओं के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
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