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शिमला ! नाबार्ड सतत और समान कृषि और ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल प्रदेश में विभिन्न गतिविधियों के लिए विभिन्न विकास भागीदारों और संस्थानों को सहायता प्रदान कर रहा है। ग्रामीण बैंकिंग प्रणाली को ऋण सहायता के अलावा, इसमें ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करना। सामुदायिक पहलों का विकास, नवाचारों और पहलों को बढ़ाना और सहभागी वाटरशेड विकास, जनजातीय विकास, एसएचजी-बैंक लिंकेज कार्यक्रम, किसान उत्पादक संगठन आदि विकास के नए मॉडल की शुरुआत के माध्यम से आजीविका के अवसर पैदा करना शामिल है। वर्ष 2021-22 के दौरान हिमाचल प्रदेश में नाबार्ड की उपलब्धियां इस प्रकार हैं। नाबार्ड, हिमाचल प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय ने पिछले वर्ष के रु. 3193.53 करोड़ की तुलना में 2021-22 के दौरान विभिन्न गतिविधियों के लिए ₹ 3241.00 करोड़ की अभी तक की अधिकतम वित्तीय सहायता प्रदान की गयी। (i) बैंकों को कृषि में फ़सली ऋणों व निवेश गतिविधियों के लिए रु. 2517.92 करोड़ दिया गया है। (ii) इसमें विभिन्न बैंकों को ₹1889.00 करोड़ की अल्पावधि पुनर्वित की राशि दी गई ताकि वे किसानों को रियायती दरों पर फसल ऋण एवं कुटीर उद्योग धंधो को कार्यशील पूंजी दे सकें। (iii) साथ ही कृषि और संबद्ध गतिविधियों जैसे डेयरी, कृषि मशीनीकरण, मुर्गी पालन, लघु उद्योग, सड़क परिवहन वाहन, ग्रामीण आवास, स्वयं सहायता समूह आदि, निवेश गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए भी ₹ 628.92 करोड़ की राशि वितरित की गई। ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास के लिए, सड़कों, पुलों, बाढ़ सुरक्षा आदि से संबंधित 208 परियोजनाओं में ₹ 1134.00 करोड़ की ऋण सहायता स्वीकृत की गई और वर्ष 2021-22 के दौरान राज्य सरकार को रु. 700 करोड़ का वितरण किया गया। इस प्रकार राज्य में नाबार्ड द्वारा गत वर्ष तक 6848 परियोजनाओं को संचयी सहायता मिली, जिसमें ₹ 9893 करोड़ की ऋण सहायता शामिल है, जिसमें से ₹ 7641 करोड़ का वितरण किया गया, लगभग 7700 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई क्षमता का निर्माण हुआ, 215 हेक्टेयर भूमि बाढ़ से सुरक्षित की जाएगी, 183 किमी ग्रामीण सड़कों का निर्माण कार्य होगा, और 5.5 लाख लोगों को पेयजल सुविधा पहुंचेगी।। वर्ष 2021-22 के दौरान, नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय के प्रयास से रोपवे को आरआईडीएफ़(RIDF) के अंतर्गत पात्र गतिविधि के रूप मे शामिल करवाया गया एवं नाबार्ड ने मंडी जिले में नई रोपवे परियोजना (देश में इस तरह की पहली परियोजनाओं में से एक) के लिए 42 करोड़ रुपये की ऋण सहायता को मंजूरी दी है। हिमाचल प्रदेश में 90% किसान छोटे/सीमांत हैं, इसके अलावा, भूमि जोत भी खंडित है, जो कृषि कार्यों को गैर-व्यवहार्य बना रही है। उत्पादन और मार्केटिंग दोनों के लिए एग्रीगेशन मॉडल को अपनाना समय की मांग है। इसे ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय बजट 2021-22 में, भारत सरकार ने 5 वर्षों में “10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन / संवर्धन” शुरू किया। 31.03.2022 तक, कुल 124 एफपीओ, जिनमें से 16 एफपीओ सीएसएस के तहत जैविक खेती, सब्जियां, डेयरी, फूलों की खेती, आदि गतिविधियों के लिए राज्य में गैर सरकारी संगठनों की मदद से समर्थित / गठित किया गया है। किसानों/शिल्पकारों को बिना जमानत के बैंक ऋण प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए राज्य में सूक्ष्म वित्त कार्यक्रमों जैसे स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) को व्यापक समर्थन दिया गया। नाबार्ड ने 2021-22 के दौरान 2870 स्वयं सहायता समूहों और 2546 संयुक्त देयता समूहों के गठन और क्रेडिट लिंकेज का समर्थन किया, जिससे राज्य में लगभग 35,000 परिवारों को मदद मिली। इस वित्तीय वर्ष स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) का क्रेडिट लिंकेज और क्षमता निर्माण के लिए हिमाचल प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय ने रु. 3.08 करोड़ से अधिक राशि का अनुदान दिया है। कृषितर क्षेत्र में अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से नाबार्ड ने रु. 1.18 करोड़ से अधिक राशि का अनुदान दिया है। इस वर्ष हिमाचल प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय ने प्रदेश का पहला कृषीतर उत्पादक संगठन बनाने के लिए, मंडी जिले के सरोवा ब्लॉक में रु. 90.00 लाख की राशि स्वीकृति की। नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय ने इस स्वयं सहायता समूह के उत्पादों को मेलों में मार्केटिंग के माध्यम से वर्षभर मदद की। राज्य में जनजातीय क्षेत्र सबसे पिछड़े हुए हैं और राज्य में जनजातीय आबादी काफी बड़ी है। ऐसे क्षेत्रों के विकास को गति देने में नाबार्ड अहम भूमिका निभा रहा है। नाबार्ड ने 2021-22 के दौरान लाहौल-स्पीति और चंबा जिले में वाडियों पर आधारित दो एकीकृत बागवानी परियोजनाओं को मंजूरी दी, जिसमें राज्य सरकार और सामुदायिक भागीदारी के साथ अभिसरण में 288 लाख रुपये की कुल परियोजना लागत शामिल है. इस परियोजना से जिले के उदयपुर और भरमौर प्रखंड के 400 परिवारों को लाभ होगा। इसके साथ ही राज्य में आदिवासियों के लिए कार्यान्वित की जा रही कुल विशेष परियोजनाओं की संख्या बढ़कर 13 हो गई है जिससे 3555 आदिवासी परिवारों को लाभ हुआ है। नाबार्ड विकास के लिए सहभागी वाटरशेड दृष्टिकोण को अपनाने की भी वकालत करता है। 2021-22 के दौरान मंडी, सिरमौर, चंबा, कुल्लू, शिमला और बिलासपुर जिलों में 12 वाटरशेड / स्प्रिंगशेड परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी। इसके साथ, राज्य में कार्यान्वित की जा रही कुल वाटरशेड/स्प्रिंगशेड परियोजनाओं की संख्या बढ़कर 50 हो गई है, जिसमें 35000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाले दस जिलों को शामिल किया गया है और 20,000 से अधिक परिवारों को लाभ हुआ है। राज्य में सब्जी उत्पादकों की मदद करने और कृषि प्रसंस्करण को प्रोत्साहित करने के लिए, ऊना में एक मेगा फूड पार्क यानी क्रेमिका मेगा फूड पार्क में अग्रीवा नैचुरल को ₹ 11.7 करोड़ के अतिरिक्त ऋण के साथ मंजूरी दी गई थी। यह परियोजना सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देगी और राज्य में कार्यरत किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) को लाभान्वित करेगी। राज्य में उपलब्ध कृषि-जलवायु परिस्थितियों और संभावनाओं के आधार पर, नाबार्ड ने वर्ष के दौरान 2022-23 के लिए ₹ 29172.00 करोड़ की कुल राज्य ऋण योजना तैयार की। यह योजना राज्य में संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली द्वारा लागू की जाएगी। 2022-23 के दौरान ऋण के माध्यम से विकास के लिए पहचाने गए प्रमुख क्षेत्रों में फल उत्पादन, सब्जी की खेती, डेयरी, फूलों की खेती, नियंत्रित वातावरण भंडार, मधुमक्खी पालन आदि शामिल हैं।
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