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सोलन ,[ बद्दी ] 11 जनवरी [ पंकज गोल्डी ] ! इस बात में कोई शक नहीं है की 2019 से 2022 तक तीन वर्ष के लिए कोरोना महामारी ने कुछ समय के लिए भारत में भी अपना पाँव पसार लिया था जिसके कारण सभी परिवार के किसी न किसी सदस्य को अपनी कीमत जान गंवानी पड़ी थी, पर भारत एक ऐसा देश था जहाँ पर भारत सरकार की तरफ से सबसे बड़े आबादी करीब 150 करोड वाले देश के सभी लोगों को वैक्सीन व् बूस्टर डोस दी गयी जिसके कारण भारत के सभी लोगों का इम्यून सिस्टम आगे से बहुत ज्यादा स्ट्रांग हो गया। फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के हिमचाल वाईस प्रेजिडेंट सुमित सिंगला ने कहा की पूरे विश्व में आज के समय में सोशल मीडिया पर दिखाया जा रहा है की भारत में कोविड महामारी का बहुत प्रभाव है जबकि ऐसा कुछ नहीं है । सुमित सिंगला ने बद्दी में पत्रकारों से बातचीत में कहा की पिछले एक सप्ताह से वे बिजनेस टूर पर मेट्रो सिटीज चेन्नई , बैंगलोर बॉम्बे चंडीगढ, दिल्ली में टूर पर थे कहीं भी कोविड महामारी नजर नहीं आई लोग अपने सामान्य जीवन यापन करते नजर आये। सुमित सिंगला ने कहा कहा कि बहुत दु:ख की बात है की एक तरफ तो भारत को सोने की चिडिया कहा जाता है दूसरी तरफ आने कुछ ट्रेडर व ए.पी.आई मैन्युफैक्चरर बड़े मुनाफे के लिए ऐसी लॉबी तैयार करते हैं जिसके कारण रातों रात ही बीस फीसदी से लेकर सौ प्रतिशत रॉ मटेरियल कच्चे माल व पैकिंग मटेरियल के दाम बढ़ जाते हैं जबकि 85 से नब्बे से एपीआई आई व इंग्रीडिएंट्स सामग्री के लिए हम चीन पर निर्भर हैं। अचंभे की बात यह है कि पंद्रह दिन पहले कोविड महामारी के कुछ केस भारत में आने का सोशल मीडिया द्वारा दिखाने के कारण ए पि आई मैन्युफैक्चरर व् ट्रेडर ने अपने कच्चे माल के रेट बीस से सौ फीसदी तक बढ़ा दिए थ। औचक यदि मार्केट में डिमांड ज्यादा न होने के कारण फार्मा उद्योग व एम एन सी कम्पनी को मेडिसिन कि ज्यादा आपूर्ति व् स्टॉक होने के कारण इनके प्रलोभन में नहीं फस सक। जबकि बहुत ज्यादा ट्रेलर व् मैन्युफैक्चरर का कहना था कि 31 मार्च तक कच्चे माल के रेट बीस से सौ फीसदी तक बढ़ जायेंगे, पर अभी देखने में आया है कि ट्रेडर ने 15 दिन पूर्व जो रेट बढ़ाए थे वे कम होने शुरू हो गए हैं । इससे यह पता चलता है कि 15 दिन में जो मटेरियल हम चीन से मंगवाते हैं वह आना मुश्किल है, इससे यह आभास होता है कि कुछ ट्रेडर्स व मैन्युफैक्चरर कालाबाजारी के साथ साथ मुनाफा कमाने के लिए किस हद तक जा सकते है। दूसरी तरफ ऐसा भी देखने को मिलता है कि कुछ ट्रेडर्स व मैन्युफैक्चरर फार्मा कंपनी से कम रेट पर जब आर्डर ले लेते हैं तो जब रेट बढ़ता है तो कुछ मटेरियल देते हैं कुछ नहीं, जिसके कारण फार्मा उद्योगों को परेशानी झेलनी पड़ती है। एफआईआई के राज्य वाईस प्रेजिडेंट सुमित सिंगला ने कहा कि शीघ्र ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को इन समस्याओं से अवगत कराया जाएगा ताकि पहले ही जो लघु व मध्यम उद्योग परेशानी झेल रहे हैं भविष्य में ऐसी समस्या से ना जूझे। उन्होने बताया कि पंद्रह दिन में पैरासिटामोल जिसका दाम 730 रुपये पहुँच गया था वो 570 रुपये हो गया है ,एजिथ्रोमाइसिन जिसकी कीमत 12 हजार रूपये हो गयी थी वह अब पांच हजार रुपये तक पहुँच गयी है, अमोक्सीसिलिन जिसका दाम 3100 रुपये पहुंचा था वह तीन हजार रुपये हो गया है। सिंगला ने कहा कि भविष्य में फार्मा मार्केट अव्वल स्थान पर होगी व देशवासियों को दवा उपलब्ध करवाने में सक्षम होगी। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
सोलन ,[ बद्दी ] 11 जनवरी [ पंकज गोल्डी ] ! इस बात में कोई शक नहीं है की 2019 से 2022 तक तीन वर्ष के लिए कोरोना महामारी ने कुछ समय के लिए भारत में भी अपना पाँव पसार लिया था जिसके कारण सभी परिवार के किसी न किसी सदस्य को अपनी कीमत जान गंवानी पड़ी थी, पर भारत एक ऐसा देश था जहाँ पर भारत सरकार की तरफ से सबसे बड़े आबादी करीब 150 करोड वाले देश के सभी लोगों को वैक्सीन व् बूस्टर डोस दी गयी जिसके कारण भारत के सभी लोगों का इम्यून सिस्टम आगे से बहुत ज्यादा स्ट्रांग हो गया।
फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के हिमचाल वाईस प्रेजिडेंट सुमित सिंगला ने कहा की पूरे विश्व में आज के समय में सोशल मीडिया पर दिखाया जा रहा है की भारत में कोविड महामारी का बहुत प्रभाव है जबकि ऐसा कुछ नहीं है । सुमित सिंगला ने बद्दी में पत्रकारों से बातचीत में कहा की पिछले एक सप्ताह से वे बिजनेस टूर पर मेट्रो सिटीज चेन्नई , बैंगलोर बॉम्बे चंडीगढ, दिल्ली में टूर पर थे कहीं भी कोविड महामारी नजर नहीं आई लोग अपने सामान्य जीवन यापन करते नजर आये। सुमित सिंगला ने कहा कहा कि बहुत दु:ख की बात है की एक तरफ तो भारत को सोने की चिडिया कहा जाता है दूसरी तरफ आने कुछ ट्रेडर व ए.पी.आई मैन्युफैक्चरर बड़े मुनाफे के लिए ऐसी लॉबी तैयार करते हैं जिसके कारण रातों रात ही बीस फीसदी से लेकर सौ प्रतिशत रॉ मटेरियल कच्चे माल व पैकिंग मटेरियल के दाम बढ़ जाते हैं जबकि 85 से नब्बे से एपीआई आई व इंग्रीडिएंट्स सामग्री के लिए हम चीन पर निर्भर हैं। अचंभे की बात यह है कि पंद्रह दिन पहले कोविड महामारी के कुछ केस भारत में आने का सोशल मीडिया द्वारा दिखाने के कारण ए पि आई मैन्युफैक्चरर व् ट्रेडर ने अपने कच्चे माल के रेट बीस से सौ फीसदी तक बढ़ा दिए थ। औचक यदि मार्केट में डिमांड ज्यादा न होने के कारण फार्मा उद्योग व एम एन सी कम्पनी को मेडिसिन कि ज्यादा आपूर्ति व् स्टॉक होने के कारण इनके प्रलोभन में नहीं फस सक। जबकि बहुत ज्यादा ट्रेलर व् मैन्युफैक्चरर का कहना था कि 31 मार्च तक कच्चे माल के रेट बीस से सौ फीसदी तक बढ़ जायेंगे, पर अभी देखने में आया है कि ट्रेडर ने 15 दिन पूर्व जो रेट बढ़ाए थे वे कम होने शुरू हो गए हैं । इससे यह पता चलता है कि 15 दिन में जो मटेरियल हम चीन से मंगवाते हैं वह आना मुश्किल है, इससे यह आभास होता है कि कुछ ट्रेडर्स व मैन्युफैक्चरर कालाबाजारी के साथ साथ मुनाफा कमाने के लिए किस हद तक जा सकते है। दूसरी तरफ ऐसा भी देखने को मिलता है कि कुछ ट्रेडर्स व मैन्युफैक्चरर फार्मा कंपनी से कम रेट पर जब आर्डर ले लेते हैं तो जब रेट बढ़ता है तो कुछ मटेरियल देते हैं कुछ नहीं, जिसके कारण फार्मा उद्योगों को परेशानी झेलनी पड़ती है। एफआईआई के राज्य वाईस प्रेजिडेंट सुमित सिंगला ने कहा कि शीघ्र ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को इन समस्याओं से अवगत कराया जाएगा ताकि पहले ही जो लघु व मध्यम उद्योग परेशानी झेल रहे हैं भविष्य में ऐसी समस्या से ना जूझे। उन्होने बताया कि पंद्रह दिन में पैरासिटामोल जिसका दाम 730 रुपये पहुँच गया था वो 570 रुपये हो गया है ,एजिथ्रोमाइसिन जिसकी कीमत 12 हजार रूपये हो गयी थी वह अब पांच हजार रुपये तक पहुँच गयी है, अमोक्सीसिलिन जिसका दाम 3100 रुपये पहुंचा था वह तीन हजार रुपये हो गया है। सिंगला ने कहा कि भविष्य में फार्मा मार्केट अव्वल स्थान पर होगी व देशवासियों को दवा उपलब्ध करवाने में सक्षम होगी।- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
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