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सोलन , ( बद्दी ,) 14 दिसंबर [ पंकज गोल्डी ] ! भाजपा का मंडल अध्यक्ष, वन विभाग का डायरेक्टर और भाजपा समर्थित पंचायत प्रधान ग्राम पंचायत भटौलीकलां से भाजपा को लीड नहीं दिला पाए। भाजपा के तीन धुरंधर नेताओं पर कांग्रेस के दो कार्यकर्ता इतने भारी पड़े की भाजपा के मौजूदा मंडल अध्यक्ष को अपनी गृह पंचायत में साख बचानी मुश्किल हो गई। दून विधानसभा क्षेत्र से जहां इस बार मिथक तोड़ा गया कि एक बार हारा हुआ कैंडिडेट दोबारा जीत नहीं सकता वहीं भाजपा ने यहां से इस तरह के हष्र का सोचा भी नहीं था। जबकि नेशनल मीडिया और सर्वे दून से भाजपा की जीत का लगातार दावा कर रहे थे। बावजूद इसके दून से कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी राम कुमार ने 6699 मतों की लीड लेकर सभी दावों की हवा निकाल दी। वहीं दून कांग्रेस के दो सिपाही ग्राम पंचायत भटौलीकलां में भाजपा के तीन नेताओं पर भारी पड़ गए। कांग्रेस सेवा दल के प्रदेश सचिव हरबंस ठाकुर व कांग्रेस नेता अच्छर पाल कौशल ने दून विधानसभा के चुनावी इतिहास में भटौलीकलां पंचायत से कांग्रेस को 190 मतों की लीड दिलवाकर नया इतिहास रच दिया। कांग्रेस आजतक इस पंचायत से कभी लीड नहीं ले पाई थी। जबकि इसी पंचायत से दून भाजपा के मंडल अध्यक्ष, वन निगम के डायरेक्टर व भाजपा समर्थित पंचायत प्रधान होने के बावजूद भी भटौलीकलां पंचायत को भाजपा को साख बचाना मुश्किल हो गया। ----- बाक्स :---- 1600 किलोमीटर पैदल चलकर कांग्रेस प्रत्याशी ने हासिल की 6699 की लीड पिछले विस चुनावों में सत्ता से बाहर हुए कांग्रेस प्रत्याशी राम कुमार चौधरी अच्छी तरह से जानते थे कि अगर वह जनता के बीच नहीं पहुंचे तो उनका वापसी करना मुश्किल है। जिसके चलते राम कुमार चौधरी ने 1600 किलोमीटर पैदल चलकर डोर-टू-डोर प्रचार किया और सत्ता में वापसी की। जबकि दून भाजपा ओवर कॉन्फिडेंस में रहीं और नुक्कड़ व जनसभाओं तक की सीमित रहने के चलते सत्ता से बाहर हो गई। अगर कांग्रेस सरकार में दून को मंत्री पद मिल जाता है तो इस विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस को बाहर करना खासा मुश्किल हो जाएगा। दून विस क्षेत्र की जनता राम कुमार चौधरी की जीत के बाद से ही मंत्री पद की मांग कर रही है। वहीं संभावित मंत्रियों की लिस्ट में राम कुमार चौधरी को मंत्री पद मिलने के आसार भी नजर आ रहे हैं। क्योंकि राम कुमार चौधरी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू गुट के करीबी हैं और वीरभद्र गुट से उनका इतना बेहतर तालमेल नहीं रहा है। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
सोलन , ( बद्दी ,) 14 दिसंबर [ पंकज गोल्डी ] ! भाजपा का मंडल अध्यक्ष, वन विभाग का डायरेक्टर और भाजपा समर्थित पंचायत प्रधान ग्राम पंचायत भटौलीकलां से भाजपा को लीड नहीं दिला पाए। भाजपा के तीन धुरंधर नेताओं पर कांग्रेस के दो कार्यकर्ता इतने भारी पड़े की भाजपा के मौजूदा मंडल अध्यक्ष को अपनी गृह पंचायत में साख बचानी मुश्किल हो गई।
दून विधानसभा क्षेत्र से जहां इस बार मिथक तोड़ा गया कि एक बार हारा हुआ कैंडिडेट दोबारा जीत नहीं सकता वहीं भाजपा ने यहां से इस तरह के हष्र का सोचा भी नहीं था। जबकि नेशनल मीडिया और सर्वे दून से भाजपा की जीत का लगातार दावा कर रहे थे। बावजूद इसके दून से कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी राम कुमार ने 6699 मतों की लीड लेकर सभी दावों की हवा निकाल दी।
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वहीं दून कांग्रेस के दो सिपाही ग्राम पंचायत भटौलीकलां में भाजपा के तीन नेताओं पर भारी पड़ गए। कांग्रेस सेवा दल के प्रदेश सचिव हरबंस ठाकुर व कांग्रेस नेता अच्छर पाल कौशल ने दून विधानसभा के चुनावी इतिहास में भटौलीकलां पंचायत से कांग्रेस को 190 मतों की लीड दिलवाकर नया इतिहास रच दिया। कांग्रेस आजतक इस पंचायत से कभी लीड नहीं ले पाई थी। जबकि इसी पंचायत से दून भाजपा के मंडल अध्यक्ष, वन निगम के डायरेक्टर व भाजपा समर्थित पंचायत प्रधान होने के बावजूद भी भटौलीकलां पंचायत को भाजपा को साख बचाना मुश्किल हो गया।
----- बाक्स :---- 1600 किलोमीटर पैदल चलकर कांग्रेस प्रत्याशी ने हासिल की 6699 की लीड पिछले विस चुनावों में सत्ता से बाहर हुए कांग्रेस प्रत्याशी राम कुमार चौधरी अच्छी तरह से जानते थे कि अगर वह जनता के बीच नहीं पहुंचे तो उनका वापसी करना मुश्किल है। जिसके चलते राम कुमार चौधरी ने 1600 किलोमीटर पैदल चलकर डोर-टू-डोर प्रचार किया और सत्ता में वापसी की। जबकि दून भाजपा ओवर कॉन्फिडेंस में रहीं और नुक्कड़ व जनसभाओं तक की सीमित रहने के चलते सत्ता से बाहर हो गई।
अगर कांग्रेस सरकार में दून को मंत्री पद मिल जाता है तो इस विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस को बाहर करना खासा मुश्किल हो जाएगा। दून विस क्षेत्र की जनता राम कुमार चौधरी की जीत के बाद से ही मंत्री पद की मांग कर रही है। वहीं संभावित मंत्रियों की लिस्ट में राम कुमार चौधरी को मंत्री पद मिलने के आसार भी नजर आ रहे हैं। क्योंकि राम कुमार चौधरी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू गुट के करीबी हैं और वीरभद्र गुट से उनका इतना बेहतर तालमेल नहीं रहा है।
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