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सोलन ,[ बद्दी ] 14 फरवरी [ पंकज गोल्डी ] ! दर्जनों फिल्मों में अपनी कला का प्रदर्शन करने वाली राष्ट्रीय अवार्ड कलाविद् सम्मान समेत दर्जनों अर्वाडों से सम्मानित लोक कलाकार मिस लीला सैणी ने बद्दी में पत्रकारों के साथ अपने जीवन की खट्टी मिट्टी यादों को साझा किया व लोक कलाकारों को आ रही समस्याओं के बारे में भी बताया । मिस लीला सैणी बद्दी में अपनी हिंदी लघु फिल्म बना रही है। फिल्मी की शूटिंग बद्दी और आसपास के क्षेत्र में हुई है। इस फिल्म में स्थानीय युवाओं को अपनी कला को दिखाने का मौका दिया गया है। यह फिल्म चालीस मिनट की है। जल्द ही यह फिल्म विभिन्न चैनलों के माध्यम से प्रसारित की जाएगी। इस लघु फिल्म में दिखाया गया है कि वर्तमान में युवा अपने परिजनों को बुजुर्ग होने पर कैसे उनकी बेकदरी करते है। लीला सैणी ने इस फिल्म की निर्माता और निर्देशक होने के साथ साथ इसमें मुख्य नायिका की भूमिका भी निभा रही है। इस फिल्म में लेखक और गायक कलाकार संजीव बस्सी, पूर्व सहायक निदेशक देवव्रत यादव, कामगार नेता मेला राम चंदेल, बिरला कंपनी के उपाध्यक्ष आरके शर्मा, राधा गोविंद मंत्री. परमवीर चौहान, संजीव चंदेल, आदित्य चड्डा ,ओमप्रकाश, ऋषि ठाकुर, सेवानिवृत कैप्टन राधे श्याम, डीआर चंदेल, स्वाति पंवार और स्वाति नागपुरे ने भूमिका निभाई है। फिल्म की कहानी देवव्रत यादव की बड़ी बहन दिल्ली से सेवानिवृत प्रिंसिपल रविता यादव ने लिखी है। पत्रकारों से बातचीत में फिल्म की निर्माता एवं निर्देशक लीला सैणी ने बताया कि बुजुर्गों की हो रही अनदेखी के चलते युवाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से उन्होंने इस फिल्म का निर्माण किया है। स्थानीय युवाओं और कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए मंच प्रदान किया है। इस फिल्म की अधिकांश शूटिंग भी हिमाचल में ही की है। हरियाणवी फिल्म बहुरानी से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली लीला सैणी ने डेढ दर्जन हिंदी और पंजाबी फिल्मों में काम किया है। उनकी हरियाणा की चंदा्रवल सिल्वर जुबली फिल्म से वह सुपरस्टार बन गई थी। इसके बाद उनकी दादा लखमी फिल्म में डांस कोरिया ग्राफर के रूप में भूमिका निभाई है। इस फिल्म को 70 से अधिक पुरस्कार मिल चुके है। जिस समय उनकी चंद्रावल फिल्म आई थी उस दौरान बॉबी फिल्म भी रिलीज हुई थी लेकिन उनकी फिल्म को भी दर्शकों ने काफी देखा। हरियाणवी फिल्म कुनबा और पंजाबी फिल्मों को भी दर्शकों ने काफी पसंद किया है। उन्होंने कहा कि लोक कलाकार मिट्टी से जुड़ा होता है जिसमें अपनी संस्कृति को उजागर करने का जुनून होता है। उसके पास पैसा नहीं होता है लेकिन अपनी संस्कृति को उजागर करने की तीव्र इच्छा होती है जो उसे अन्य कलाकारों से अलग दर्शाती है। उन्होंने कहा कि लोक कलाकारों को आगे आना चाहिए व सरकार को भी इन कलाकारों के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था करनी चाहिए । उन्होंने कहा कि बद्दी में अपनी फिल्म के दौरान मैने देखा कि यहां के लोगों में कला की कोई कमी नहीं है परन्तु बड़ी हैरानी की बात है कि जिस हिमाचल प्रदेश के पर्यटन स्थलों की सारी दुनिया दिवानी है वहां लोकल कलाकारों के लिए सरकार ने फिल्म सिटी तक नहीं बनाई है। जबकि पड़ोसी राज्यों पंजाब व हरियाणा की सरकार इस क्षेत्र में बहुत कुछ कर रही है। हरियाणा कला परिषद से बतौर क्लास वन अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने रोहतक में एलकेएम फाउंडेशन सेंटर खोला है। जिसमें नए कलाकारों को नृत्य व संगीत का प्रशिक्षण देती है। हर वर्ष दिल्ली के राजपथ पर निकलने वाली हरियाणी झांकी में अपने दल के साथ उमदा प्रदर्शन के चलते हाल ही में हुए 26 जनवरी कार्यक्रम में हरियाणा की टीम का नेतृत्व करने का भी मौका उन्ही की टीम को मिला। उन्होंने युवा कलाकारों को संदेश दिया है कि जमकर मेहनत करेंगे अपनी लोक संस्कृति को देश विदेश में उजागर करें । --- बाक्स --- लोक संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने के चलते नहीं रचाई शादी लोक संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने का जज्बा पूरा करने के चलते उन्होंने शादी नहीं की। 8 साल की उम्र से शुरू हुआ यह सफर कब 60 साल तक पहुंच गया पता ही नहीं चला। मुझे इस बात की खुशी है कि उनकी मेहनत का परिणाम है कि अब देश के अनेक राज्यों में लोक कलाकार आगे आ रहे हैं जो अपनी लोक संस्कृति का बड़े मंचों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
सोलन ,[ बद्दी ] 14 फरवरी [ पंकज गोल्डी ] ! दर्जनों फिल्मों में अपनी कला का प्रदर्शन करने वाली राष्ट्रीय अवार्ड कलाविद् सम्मान समेत दर्जनों अर्वाडों से सम्मानित लोक कलाकार मिस लीला सैणी ने बद्दी में पत्रकारों के साथ अपने जीवन की खट्टी मिट्टी यादों को साझा किया व लोक कलाकारों को आ रही समस्याओं के बारे में भी बताया । मिस लीला सैणी बद्दी में अपनी हिंदी लघु फिल्म बना रही है।
फिल्मी की शूटिंग बद्दी और आसपास के क्षेत्र में हुई है। इस फिल्म में स्थानीय युवाओं को अपनी कला को दिखाने का मौका दिया गया है। यह फिल्म चालीस मिनट की है। जल्द ही यह फिल्म विभिन्न चैनलों के माध्यम से प्रसारित की जाएगी। इस लघु फिल्म में दिखाया गया है कि वर्तमान में युवा अपने परिजनों को बुजुर्ग होने पर कैसे उनकी बेकदरी करते है।
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लीला सैणी ने इस फिल्म की निर्माता और निर्देशक होने के साथ साथ इसमें मुख्य नायिका की भूमिका भी निभा रही है। इस फिल्म में लेखक और गायक कलाकार संजीव बस्सी, पूर्व सहायक निदेशक देवव्रत यादव, कामगार नेता मेला राम चंदेल, बिरला कंपनी के उपाध्यक्ष आरके शर्मा, राधा गोविंद मंत्री. परमवीर चौहान, संजीव चंदेल, आदित्य चड्डा ,ओमप्रकाश, ऋषि ठाकुर, सेवानिवृत कैप्टन राधे श्याम, डीआर चंदेल, स्वाति पंवार और स्वाति नागपुरे ने भूमिका निभाई है। फिल्म की कहानी देवव्रत यादव की बड़ी बहन दिल्ली से सेवानिवृत प्रिंसिपल रविता यादव ने लिखी है।
पत्रकारों से बातचीत में फिल्म की निर्माता एवं निर्देशक लीला सैणी ने बताया कि बुजुर्गों की हो रही अनदेखी के चलते युवाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से उन्होंने इस फिल्म का निर्माण किया है। स्थानीय युवाओं और कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए मंच प्रदान किया है। इस फिल्म की अधिकांश शूटिंग भी हिमाचल में ही की है। हरियाणवी फिल्म बहुरानी से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली लीला सैणी ने डेढ दर्जन हिंदी और पंजाबी फिल्मों में काम किया है।
उनकी हरियाणा की चंदा्रवल सिल्वर जुबली फिल्म से वह सुपरस्टार बन गई थी। इसके बाद उनकी दादा लखमी फिल्म में डांस कोरिया ग्राफर के रूप में भूमिका निभाई है। इस फिल्म को 70 से अधिक पुरस्कार मिल चुके है। जिस समय उनकी चंद्रावल फिल्म आई थी उस दौरान बॉबी फिल्म भी रिलीज हुई थी लेकिन उनकी फिल्म को भी दर्शकों ने काफी देखा। हरियाणवी फिल्म कुनबा और पंजाबी फिल्मों को भी दर्शकों ने काफी पसंद किया है।
उन्होंने कहा कि लोक कलाकार मिट्टी से जुड़ा होता है जिसमें अपनी संस्कृति को उजागर करने का जुनून होता है। उसके पास पैसा नहीं होता है लेकिन अपनी संस्कृति को उजागर करने की तीव्र इच्छा होती है जो उसे अन्य कलाकारों से अलग दर्शाती है। उन्होंने कहा कि लोक कलाकारों को आगे आना चाहिए व सरकार को भी इन कलाकारों के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था करनी चाहिए । उन्होंने कहा कि बद्दी में अपनी फिल्म के दौरान मैने देखा कि यहां के लोगों में कला की कोई कमी नहीं है परन्तु बड़ी हैरानी की बात है कि जिस हिमाचल प्रदेश के पर्यटन स्थलों की सारी दुनिया दिवानी है वहां लोकल कलाकारों के लिए सरकार ने फिल्म सिटी तक नहीं बनाई है। जबकि पड़ोसी राज्यों पंजाब व हरियाणा की सरकार इस क्षेत्र में बहुत कुछ कर रही है।
हरियाणा कला परिषद से बतौर क्लास वन अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने रोहतक में एलकेएम फाउंडेशन सेंटर खोला है। जिसमें नए कलाकारों को नृत्य व संगीत का प्रशिक्षण देती है। हर वर्ष दिल्ली के राजपथ पर निकलने वाली हरियाणी झांकी में अपने दल के साथ उमदा प्रदर्शन के चलते हाल ही में हुए 26 जनवरी कार्यक्रम में हरियाणा की टीम का नेतृत्व करने का भी मौका उन्ही की टीम को मिला। उन्होंने युवा कलाकारों को संदेश दिया है कि जमकर मेहनत करेंगे अपनी लोक संस्कृति को देश विदेश में उजागर करें । --- बाक्स --- लोक संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने के चलते नहीं रचाई शादी लोक संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने का जज्बा पूरा करने के चलते उन्होंने शादी नहीं की। 8 साल की उम्र से शुरू हुआ यह सफर कब 60 साल तक पहुंच गया पता ही नहीं चला। मुझे इस बात की खुशी है कि उनकी मेहनत का परिणाम है कि अब देश के अनेक राज्यों में लोक कलाकार आगे आ रहे हैं जो अपनी लोक संस्कृति का बड़े मंचों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
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