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सोलन [ बद्दी ] , 11 फरवरी [ पंकज गोल्डी ] ! देश में 18वें राज्य के तौर पर शामिल हिमाचल प्रदेश को 25 जनवरी 1970 को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ । लेकिन इसकी विकास की गाथायें 10 वर्ष पूर्व ही लिखी जा चुकी थी जब बरोटीवाला निवासी चिन्तामणि और उनकी धर्मपत्नी निर्मल देवी ने प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों को विकास की तेज गति देने के लिए गांव में बिजली पहुंचाने के लिए खूब मेहनत की और बरोटीवाला के आस पास बसे गांव में बिजली पहुंचाई । यह 1961-62 का वह दौर था जब हिमाचल में न ही कोई उद्योग होता था और न ही गांव तक बिजली पहुंची थी । लेकिन निर्मल चिन्तामणी की दूर दृष्टि सोच ने 1962-1963 में हिमाचल में प्रदेश का पहला उद्योग स्थापित किया । और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता पड़ने पर पहला बोरवैल बरोटीवाला में स्थापित किया । इसके अलावा आधारभूत संरचना के लिए यहां पर प्रदेश का पहला ईंटों का भट्टा भी लगाया गया । उद्योग लगाने के बाद वहां कार्यरत मजदूर और कर्मचारियों के स्वास्थ्य को देखते हुए 1982 में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना की गई । तथा लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने की दृष्टि से महिला सिलाई सेंटर शुरू किया गया। यही नहीं चिन्तामणी जानते थे कि जब तक बच्चों को शिक्षित नहीं किया गया तब तक उनका सम्पूर्ण विकास सम्भव नहीं है । और इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने 1984 में बरोटीवाला में निर्मल चिंतामणि स्कूल की आधारशिला रखी । उसके बाद सरकार द्वारा खोले गए सरकारी प्राइमरी स्कूल बरोटीवाला में स्कूल ब्लाक का निर्माण करवाया । तथा 1988 में बरोटीवाला पंचायत को सामुदायिक केन्द्र की सौगात दी । निर्मल चिंतामणि फाउंडेशन के तहत सेवा कार्यों को जारी रखते हुए उन्होंने 1992 में बुरांवाला में शमशान घाट का निर्माण करवाया । इसके अलावा सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र तथा बरोटीवाला काॅलेज को भूमि उपलब्ध करवाकर फाउंडेशन निरंतर सेवा कार्य कर रही है । इन सभी किए गए प्रयासों से प्रतीत होता है कि आज के बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ को एक उभरते हुए औद्योगिक केन्द्र के रूप में विकसित करने में निर्मल चिन्तामणी फाउन्डैशन ने मील के पत्थर का काम किया है, जो आज एशिया का सबसे बडा दवा औद्योगिक हब बनकर उभरा है । 11 फरवरी 1923 को जन्में निर्मल देवी की विकासशील सोच को आगे बढ़ाते हुए उनके सुपुत्रा संदीपमनी और सुपुत्राी सुमन सज्जनहार ने उनके 100वें जन्म दिवस पर स्कूली छात्रों के साथ दिल्ली से बरोटीवाला पहुचकर चर्चा की तथा उनके साथ बैठकर दोपहर का भोजन ग्रहण किया । संदीपमनी का कहना है कि बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ में उद्योग तो बहुत लगे हैं साथ ही लोगों की आमदनी में भी खूब इजाफा हुआ है लेकिन शहर को सुव्यवस्थित रूप से बसाने एवं प्रकृति के साथ तालमेल रखते हुए सुंदर बनाने में अभी बहुत काम करना बाकी है जिसे सरकार को बिना देर किए तीव्र गति से करना चाहितए । जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी को सुंदर वातावरण मिल सके। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
सोलन [ बद्दी ] , 11 फरवरी [ पंकज गोल्डी ] ! देश में 18वें राज्य के तौर पर शामिल हिमाचल प्रदेश को 25 जनवरी 1970 को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ । लेकिन इसकी विकास की गाथायें 10 वर्ष पूर्व ही लिखी जा चुकी थी जब बरोटीवाला निवासी चिन्तामणि और उनकी धर्मपत्नी निर्मल देवी ने प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों को विकास की तेज गति देने के लिए गांव में बिजली पहुंचाने के लिए खूब मेहनत की और बरोटीवाला के आस पास बसे गांव में बिजली पहुंचाई । यह 1961-62 का वह दौर था जब हिमाचल में न ही कोई उद्योग होता था और न ही गांव तक बिजली पहुंची थी । लेकिन निर्मल चिन्तामणी की दूर दृष्टि सोच ने 1962-1963 में हिमाचल में प्रदेश का पहला उद्योग स्थापित किया । और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता पड़ने पर पहला बोरवैल बरोटीवाला में स्थापित किया ।
इसके अलावा आधारभूत संरचना के लिए यहां पर प्रदेश का पहला ईंटों का भट्टा भी लगाया गया । उद्योग लगाने के बाद वहां कार्यरत मजदूर और कर्मचारियों के स्वास्थ्य को देखते हुए 1982 में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना की गई । तथा लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने की दृष्टि से महिला सिलाई सेंटर शुरू किया गया।यही नहीं चिन्तामणी जानते थे कि जब तक बच्चों को शिक्षित नहीं किया गया तब तक उनका सम्पूर्ण विकास सम्भव नहीं है । और इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने 1984 में बरोटीवाला में निर्मल चिंतामणि स्कूल की आधारशिला रखी । उसके बाद सरकार द्वारा खोले गए सरकारी प्राइमरी स्कूल बरोटीवाला में स्कूल ब्लाक का निर्माण करवाया । तथा 1988 में बरोटीवाला पंचायत को सामुदायिक केन्द्र की सौगात दी ।
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निर्मल चिंतामणि फाउंडेशन के तहत सेवा कार्यों को जारी रखते हुए उन्होंने 1992 में बुरांवाला में शमशान घाट का निर्माण करवाया । इसके अलावा सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र तथा बरोटीवाला काॅलेज को भूमि उपलब्ध करवाकर फाउंडेशन निरंतर सेवा कार्य कर रही है । इन सभी किए गए प्रयासों से प्रतीत होता है कि आज के बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ को एक उभरते हुए औद्योगिक केन्द्र के रूप में विकसित करने में निर्मल चिन्तामणी फाउन्डैशन ने मील के पत्थर का काम किया है, जो आज एशिया का सबसे बडा दवा औद्योगिक हब बनकर उभरा है ।
11 फरवरी 1923 को जन्में निर्मल देवी की विकासशील सोच को आगे बढ़ाते हुए उनके सुपुत्रा संदीपमनी और सुपुत्राी सुमन सज्जनहार ने उनके 100वें जन्म दिवस पर स्कूली छात्रों के साथ दिल्ली से बरोटीवाला पहुचकर चर्चा की तथा उनके साथ बैठकर दोपहर का भोजन ग्रहण किया ।
संदीपमनी का कहना है कि बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ में उद्योग तो बहुत लगे हैं साथ ही लोगों की आमदनी में भी खूब इजाफा हुआ है लेकिन शहर को सुव्यवस्थित रूप से बसाने एवं प्रकृति के साथ तालमेल रखते हुए सुंदर बनाने में अभी बहुत काम करना बाकी है जिसे सरकार को बिना देर किए तीव्र गति से करना चाहितए । जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी को सुंदर वातावरण मिल सके।
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