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बद्दी ! बीबीएन क्षेत्र के किसानों, बागवानों तथा छोटे दुकानदारों को कोरोना संकट काल के दौरान हुई समस्याओं को सुलझाने में भाजपा किसान मोर्चा तथा कांग्रेस किसान सैल दोनों ही दलों के नेता पूरी तरह से नाकाम रहे हैं। आलम यह है कि जब से पहला लाक डाउन शुरू हुआ है तब से लेकर आज तक इन नेताओं ने किसी भी किसान की सुध नहीं ली है। जिस वजह से किसानों में खासा रोष देखा जा रहा है। कालूझंडा, कैम्बावाला, कोटियां, बग्गुवाला, कटटीवाला समेत आधा दर्जन से ज्यादा गांव के सैकडों ग्रामीणों का कहना है कि हम पिछले चार महीनों से दूसरे राज्य की सीमा के साथ सटे होने का दंस झेल रहे हैं। आलम यह है कि हम दूसरे राज्य हरियाणा में अपनी जमीन पर भी खेती करने में असमर्थ है। हमें अपनी ही जमीन में जाने के लिए 15 किलोमीटर बरोटीवाला बार्डर से होकर आना पडता है जिस वजह से हमारा समय और आर्थिक नुकसान हो रहा है। सरकार ने हमारे हक हकूकों पर ही पाबन्दी लगा दी है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि सरकार व्यापारियों तथा उद्योगपतियों को दूसरे राज्य से हिमाचल में हर रोज आने जाने की अनूमति दे रही है लेकिन किसान तथा छोटे दुकानदारों को छोटा-मोटा सामान पंचकुला अथवा चन्डीगढ से अपनी गाडी में लाने की अनुमति नहीं है। जबकि अन्य सभी व्यापारी अपनी बडी बडी गाडियों में सामान भरकर लाते हैं उनकी कोई भी जांच नहीं होती है। इनका कहना है कि यदि हालात यूं ही चलते रहे और बार्डर से आने जाने की अनुमति स्थानीय निवासियों को नहीं दी गई तो आने वाले 4 से 6 महीनों में अनेकों छोटे दुकानदार, कुटीर उद्योग बन्द हो जायेंगे। और लोगों को अपने परिवार का पालन पोषण करना भी कठिन हो जायेगा। किसानों के लिए लडने वाले किसान हरबसं लाल मैहता ने कहा कि हम अपने ही घर में पराए होकर रह गए हैं। अपने घरों में आने जाने के लिए हमें बोला जाता है कि बरोटीवाला या बददी बैरियर से होकर आए। इसी चक्कर में इस बार मैं अपने खेत में खाद तक नहीं डाल पाया। उन्होने कहा कि अच्छा होता भाजपा का किसान मोर्चा व कांग्रेस का किसान सैल कठिन समय में हमारी मदद करता लेकिन हमारी मदद कोई नहीं कर रहा। क्या राजनीतिक पार्टियां सिर्फ अपनी पार्टी के प्रचार प्रसार के लिए ओहदे बांटते हैं और जनता के काम कौन करेगा।
बद्दी ! बीबीएन क्षेत्र के किसानों, बागवानों तथा छोटे दुकानदारों को कोरोना संकट काल के दौरान हुई समस्याओं को सुलझाने में भाजपा किसान मोर्चा तथा कांग्रेस किसान सैल दोनों ही दलों के नेता पूरी तरह से नाकाम रहे हैं। आलम यह है कि जब से पहला लाक डाउन शुरू हुआ है तब से लेकर आज तक इन नेताओं ने किसी भी किसान की सुध नहीं ली है। जिस वजह से किसानों में खासा रोष देखा जा रहा है। कालूझंडा, कैम्बावाला, कोटियां, बग्गुवाला, कटटीवाला समेत आधा दर्जन से ज्यादा गांव के सैकडों ग्रामीणों का कहना है कि हम पिछले चार महीनों से दूसरे राज्य की सीमा के साथ सटे होने का दंस झेल रहे हैं। आलम यह है कि हम दूसरे राज्य हरियाणा में अपनी जमीन पर भी खेती करने में असमर्थ है। हमें अपनी ही जमीन में जाने के लिए 15 किलोमीटर बरोटीवाला बार्डर से होकर आना पडता है जिस वजह से हमारा समय और आर्थिक नुकसान हो रहा है। सरकार ने हमारे हक हकूकों पर ही पाबन्दी लगा दी है।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि सरकार व्यापारियों तथा उद्योगपतियों को दूसरे राज्य से हिमाचल में हर रोज आने जाने की अनूमति दे रही है लेकिन किसान तथा छोटे दुकानदारों को छोटा-मोटा सामान पंचकुला अथवा चन्डीगढ से अपनी गाडी में लाने की अनुमति नहीं है। जबकि अन्य सभी व्यापारी अपनी बडी बडी गाडियों में सामान भरकर लाते हैं उनकी कोई भी जांच नहीं होती है। इनका कहना है कि यदि हालात यूं ही चलते रहे और बार्डर से आने जाने की अनुमति स्थानीय निवासियों को नहीं दी गई तो आने वाले 4 से 6 महीनों में अनेकों छोटे दुकानदार, कुटीर उद्योग बन्द हो जायेंगे। और लोगों को अपने परिवार का पालन पोषण करना भी कठिन हो जायेगा। किसानों के लिए लडने वाले किसान हरबसं लाल मैहता ने कहा कि हम अपने ही घर में पराए होकर रह गए हैं। अपने घरों में आने जाने के लिए हमें बोला जाता है कि बरोटीवाला या बददी बैरियर से होकर आए। इसी चक्कर में इस बार मैं अपने खेत में खाद तक नहीं डाल पाया। उन्होने कहा कि अच्छा होता भाजपा का किसान मोर्चा व कांग्रेस का किसान सैल कठिन समय में हमारी मदद करता लेकिन हमारी मदद कोई नहीं कर रहा। क्या राजनीतिक पार्टियां सिर्फ अपनी पार्टी के प्रचार प्रसार के लिए ओहदे बांटते हैं और जनता के काम कौन करेगा।
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