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बद्दी ! जिला सोलन की सबसे प्राचीन नदी सरसा में कैमिकल युक्त जहरीले पानी से लाखों की तादाद में मछलियां मर गई हैं। समाज सेवी जसविंद्र सिंह द्वारा अपनी सोशल नेटवर्किंग साइट पर इसका एक वीडियो डाल कर उद्योग विभाग, पर्यावरण विभाग, पुलिस विभाग, प्रदूषण विभाग तथा जिला प्रशासन से कैमिकल युक्त जहरीला पानी सरसा नदी में फेंकने वालों के लिए खिलाफ सख्त कार्यवाई की मांग उठाई है। नालागढ़ के सैणी माजरा की तरफ इस नदी में मरी मछलियां अभी तक काफी छोटी थीं, लेकिन पैसा कमाने की खातिर उद्योगपति अपने उद्योगों का कैमिकल युक्त जहरीला पानी इस नदी में फेंक रहे हैं। मछलियां केमिकल युक्त जहरीले पानी ने लाखों मछलियों की ली जान है। पर्यावरण प्रेमी डॉ. श्रीकांत शर्मा ने कहा कि प्रदूषण विभाग की ऐसी कौन सी मजबूरी है जो कैमिकल युक्त पानी नदियों में छोडऩे वाले पर कार्यवाई नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी भी पर्यावरण से छेडछाड़ का ही पर्याय है। लेकिन लोग अभी सचेत नहीं हो रहे हैं। प्राकृति से छेड़छाड़ करके मनुष्य जीवन को खतरे में डालने वाले लोगों के सलाखों की पीछे डालना चाहिए। स्थानीय लोगों ने बताया कि बीवीएन के उद्योगों को कानून का डर नहीं है। बिना रोक-टोक के उद्योगों का कैमिकल युक्त पानी सीधे नदियों में फेंक दिया जाता है। सरसा नदी में लाखों की तादाद में मरी हुई मछलियां इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। डॉ. श्रीकांत शर्मा ने बताया कि चूंकि यह समय मछलियों के प्रजनन का रहता है। इस दौरान ऐसा होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने सीधे तौर पर इस मामले में प्रदूषण विभाग को सवालों के घेरे में खड़ा किया है। शर्मा ने कहा कि उद्योगों से निकले वाले गंदे पानी को सीधे तौर पर नदियों में डालने की अनुमति कहां से मिली है। अब तक प्रदूषण विभाग ने ऐसे उद्योगों पर नकेल क्यों नहीं कसी। शर्मा ने जिला प्रशासन तथा प्रदेश सरकार से मांग की है कि सरसा नदी में मरी लाखों मछलियों के गुनहगारों के खिलाफ सख्त कार्यवाई की जाए। उधर, इस बारे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एसई प्रवीण गुप्ता ने कहा कि मौके पर एक टीम भेजी गई है। पता लगाया जाएगा कि सरसा नदी में इतनी सारी मछलियां क्यों और कैसी मरी पाई गई हैं। क्योंकि लॉकडाउन के चलते बीबीएन में अधिकतर उद्योग बंद हैं। ऐसे में हम किसी एक उद्योग को दोषी भी नहीं ठहरा सकते। टीम जांच करेगी उसकी जो भी रिपोर्ट आएगी उसके हिसाब से कार्यवाई अमल में लाई जाएगी।
बद्दी ! जिला सोलन की सबसे प्राचीन नदी सरसा में कैमिकल युक्त जहरीले पानी से लाखों की तादाद में मछलियां मर गई हैं। समाज सेवी जसविंद्र सिंह द्वारा अपनी सोशल नेटवर्किंग साइट पर इसका एक वीडियो डाल कर उद्योग विभाग, पर्यावरण विभाग, पुलिस विभाग, प्रदूषण विभाग तथा जिला प्रशासन से कैमिकल युक्त जहरीला पानी सरसा नदी में फेंकने वालों के लिए खिलाफ सख्त कार्यवाई की मांग उठाई है।
नालागढ़ के सैणी माजरा की तरफ इस नदी में मरी मछलियां अभी तक काफी छोटी थीं, लेकिन पैसा कमाने की खातिर उद्योगपति अपने उद्योगों का कैमिकल युक्त जहरीला पानी इस नदी में फेंक रहे हैं। मछलियां केमिकल युक्त जहरीले पानी ने लाखों मछलियों की ली जान है। पर्यावरण प्रेमी डॉ. श्रीकांत शर्मा ने कहा कि प्रदूषण विभाग की ऐसी कौन सी मजबूरी है जो कैमिकल युक्त पानी नदियों में छोडऩे वाले पर कार्यवाई नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी भी पर्यावरण से छेडछाड़ का ही पर्याय है। लेकिन लोग अभी सचेत नहीं हो रहे हैं।
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प्राकृति से छेड़छाड़ करके मनुष्य जीवन को खतरे में डालने वाले लोगों के सलाखों की पीछे डालना चाहिए। स्थानीय लोगों ने बताया कि बीवीएन के उद्योगों को कानून का डर नहीं है। बिना रोक-टोक के उद्योगों का कैमिकल युक्त पानी सीधे नदियों में फेंक दिया जाता है। सरसा नदी में लाखों की तादाद में मरी हुई मछलियां इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। डॉ. श्रीकांत शर्मा ने बताया कि चूंकि यह समय मछलियों के प्रजनन का रहता है। इस दौरान ऐसा होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने सीधे तौर पर इस मामले में प्रदूषण विभाग को सवालों के घेरे में खड़ा किया है। शर्मा ने कहा कि उद्योगों से निकले वाले गंदे पानी को सीधे तौर पर नदियों में डालने की अनुमति कहां से मिली है। अब तक प्रदूषण विभाग ने ऐसे उद्योगों पर नकेल क्यों नहीं कसी। शर्मा ने जिला प्रशासन तथा प्रदेश सरकार से मांग की है कि सरसा नदी में मरी लाखों मछलियों के गुनहगारों के खिलाफ सख्त कार्यवाई की जाए।
उधर, इस बारे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एसई प्रवीण गुप्ता ने कहा कि मौके पर एक टीम भेजी गई है। पता लगाया जाएगा कि सरसा नदी में इतनी सारी मछलियां क्यों और कैसी मरी पाई गई हैं। क्योंकि लॉकडाउन के चलते बीबीएन में अधिकतर उद्योग बंद हैं। ऐसे में हम किसी एक उद्योग को दोषी भी नहीं ठहरा सकते। टीम जांच करेगी उसकी जो भी रिपोर्ट आएगी उसके हिसाब से कार्यवाई अमल में लाई जाएगी।
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