Bootstrap
  • हिमाचल टीवी !
    • यूट्यूब चैनल !
    • लाइव टीवी चैनल !
  • क्षेत्र चुनें !
    • सभी
    • अन्य
    • बिलासपुर
    • चंबा
    • हमीरपुर
    • काँगड़ा
    • किन्नौर
    • कुल्लू
    • लाहौल-स्पिति
    • मंडी
    • शिमला
    • सिरमौर
    • सोलन
    • उना
  • वीडियो !
  • मैं भी पत्रकार !
    • मैं भी पत्रकार !
    • डाउनलोड एंड्राइड ऐप !
    • डाउनलोड एप्पल ऐप !
    • विज्ञापन अपलोड करें !
  • शिकायत / सुझाव !
    • शिकायत समाधान अधिकारी !
    • शिकायत दर्ज करें !
    • सुझाव दे !
  • हमारे बारे में !
  • संपर्क करे !
  • हिमाचल टीवी !
    • यूट्यूब चैनल !
    • लाइव टीवी चैनल !
  • क्षेत्र चुनें !
      • सभी
      • अन्य
      • बिलासपुर
      • चंबा
      • हमीरपुर
      • काँगड़ा
      • किन्नौर
      • कुल्लू
      • लाहौल-स्पिति
      • मंडी
      • शिमला
      • सिरमौर
      • सोलन
      • उना

      Khabar Himachal Se

      !! राशिफल 11 सितंबर 2025 गुरुवार !!

      Khabar Himachal Se

      शिमला ! आपातकाल स्थिति में लाभार्थियों को समयबद्ध राशन उपलब्ध करवायाः डॉ. एस.पी. कत्याल !

      Khabar Himachal Se

      कुल्लू ! जिला के बंजार उपमंडल के ग्राम पंचायत जेष्टा के नीणु गांव में भूस्खलन से भारी नुकसान !

      Khabar Himachal Se

      सोलन ! जिले में भारी बारिश से 221 करोड़ रुपए का नुकसान, 49 गांव खाली करवाए गए !

  • वीडियो !
    • खबर हिमाचल से ,वीडियो

      शिमला ! आपातकाल स्थिति में लाभार्थियों को समयबद्ध राशन उपलब्ध करवायाः डॉ. एस.पी. कत्याल !

      खबर हिमाचल से ,वीडियो

      कुल्लू ! जिला के बंजार उपमंडल के ग्राम पंचायत जेष्टा के नीणु गांव में भूस्खलन से भारी नुकसान !

      खबर हिमाचल से ,वीडियो

      सोलन ! जिले में भारी बारिश से 221 करोड़ रुपए का नुकसान, 49 गांव खाली करवाए गए !

      खबर हिमाचल से ,वीडियो

      धर्मशाला ! भारतीय जनता पार्टी केवल राजनीति करने के लिए नहीं बनी : बिंदल !

      खबर हिमाचल से ,वीडियो

      शिमला ! 1500 करोड़ का आर्थिक पैकेज हिमाचल के लिए बड़ी सौगात : भाजपा !

  • मैं भी पत्रकार !
    • मैं भी पत्रकार !
    • डाउनलोड एंड्राइड ऐप !
    • डाउनलोड एप्पल ऐप !
    • विज्ञापन अपलोड करें !
  • शिकायत / सुझाव !
    • शिकायत समाधान अधिकारी !
    • शिकायत दर्ज करें !
    • सुझाव दे !
  • हमारे बारे में !
  • संपर्क करे !
खोजें

अभी प्रचलित

  • शिमला ! प्रधानमंत्री ने आपदा प्रभावितों के जख्मों पर मरहम ही नहीं,उन्हें हिम्मत भी दी - डॉ.सीमा ठाकुर !
  • !! राशिफल 11 सितंबर 2025 गुरुवार !!
  • शिमला ! आपातकाल स्थिति में लाभार्थियों को समयबद्ध राशन उपलब्ध करवायाः डॉ. एस.पी. कत्याल !
  • कुल्लू ! जिला के बंजार उपमंडल के ग्राम पंचायत जेष्टा के नीणु गांव में भूस्खलन से भारी नुकसान !
  • सोलन ! जिले में भारी बारिश से 221 करोड़ रुपए का नुकसान, 49 गांव खाली करवाए गए !
  • धर्मशाला ! भारतीय जनता पार्टी केवल राजनीति करने के लिए नहीं बनी : बिंदल !
  • शिमला ! 1500 करोड़ का आर्थिक पैकेज हिमाचल के लिए बड़ी सौगात : भाजपा !
  • शिमला ! आपदा के कारणों पर अध्ययन करेगा एचपीयू, दो नामी संस्थानों के साथ साइन किए MOU !
  • शिमला ! प्रदेश में 5000 करोड़ से ज्यादा हुआ नुकसान, केंद्र सरकार से स्पेशल पैकेज की थी उम्मीद : नंरेश चौहान !
  • कांगड़ा ! आपदा से त्रस्त जनमानस के दुखों पर मरहम लगाने हिमाचल पहुंचे प्रधानमंत्री : बिंदल ! 
  • !! राशिफल 10 सितंबर 2025 बुधवार !!
  • धर्मशाला : आपदा प्रभावितों से मिले पीएम मोदी, कंगना बोलीं– आंखों में आंसू थे !
  • शिमला ! आपदा से हिमाचल को 5 हजार करोड़ का नुकसान, केंद्र दे विशेष आर्थिक पैकेज, कुलदीप राठौर ने शांता कुमार पर भी साधा निशाना !
  • शिमला ; भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव में श्री सी.पी. राधाकृष्णन जी ने शानदार जीत दर्ज की है !
  • कांगड़ा ! आपदा प्रभावितों के जख्मों पर मरहम ही नहीं उन्हें हिम्मत भी दे गए प्रधानमंत्री : जयराम ठाकुर !
  • शिमला ! 15 सौ करोड़ के लिए पीएम मोदी का आभार लेकिन नुकसान 10 हजार करोड़,ओर भी करे सहयोग : विक्रमादित्य सिंह !
  • कांगड़ा ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिमाचल दौरे को लेकर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की प्रतिक्रिया !
  • शिमला ! भाजपा ज़िला शिमला की बैठक में उठा सेवा पखवाड़ा का मुद्दे, बिंदल ने दिए दिशा निर्देश !
  • सोलन ! चंबाघाट फ़्लाइओवर पर ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाता दिखा ट्रक चालक,गलत लेन में चला रहा था ट्रक !
  • ऊना ! सदर थाना भी आया बारिश की चपेट में,ब्रिटिश काल समय मे बने इस भवन का एक हिसा हुआ धराशाही !
और अधिक खबरें

!! राशिफल 11 सितंबर 2025 गुरुवार !!

September 11, 2025 @ 06:57 am

शिमला ! आपातकाल स्थिति में लाभार्थियों को समयबद्ध राशन उपलब्ध करवायाः डॉ. एस.पी. कत्याल !

September 10, 2025 @ 10:22 pm

कुल्लू ! जिला के बंजार उपमंडल के ग्राम पंचायत जेष्टा के नीणु गांव में भूस्खलन से भारी नुकसान !

September 10, 2025 @ 09:56 pm

सोलन ! जिले में भारी बारिश से 221 करोड़ रुपए का नुकसान, 49 गांव खाली करवाए गए !

September 10, 2025 @ 09:51 pm
होम Khabar Himachal Seभारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था की अवधारणा और वर्तमान शिक्षा का स्वरूप - देवेंद्र धर !
  • खबर हिमाचल से

भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था की अवधारणा और वर्तमान शिक्षा का स्वरूप - देवेंद्र धर !

द्वारा
देवेंद्र धर -
Editorial_writer - अन्य ( अन्य ) - September 19, 2020 @ 10:56 am
0

- विज्ञापन (Article Top Ad) -

देश की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था को समझना जरूरी है जो अपने विकास की प्रक्रिया में आधुनिक शिक्षा प्रणाली बनी और एक बार फिर नई शिक्षा नीति को जन्म दिया। शिक्षा प्रणाली का आधार समझने के लिए प्रारंभ से देश की शिक्षा व्यवस्था को देखना होगा। तभी हम बिना किसी आलोचना व प्रशंसा के वर्तमान शिक्षा प्रणाली के आधार को समझ सकते हैं व इसका आकलन कर सकते हैं। लार्ड मैकाले की शिक्षा प्रणाली मात्र कह कर आलोचना ही उचित नहीं होगा। भारतवर्ष को पुरातन काल से ही शिक्षा के क्षेत्र में विश्व गुरु के रूप में जाना जाता है। समस्त विश्व में भारत की शिक्षा प्रणाली सबसे पुरानी व विश्व मान्य है। ऐसा माना जाता है कि पुरातन शिक्षा व्यवस्था का स्वरूप कहीं ना कहीं ऋग्वेद पर आधारित है जो संसार की सबसे पुराना धर्मग्रंथ व पुस्तक मानी जाती है। ऋग्वेद की भाषा संस्कृति ही नहीं बल्कि सुसंस्कृत भी है। सही मायने में कहा जाए तो यह ग्रंथ भारतीय शिक्षा का इतिहास है जिसके अध्ययन से भारतीय समाज के विकास व निरंतर विकसित होती शिक्षा प्रणाली को समझा जा सकता है। आदि काल तथा लोकायत से विकसित होकर बौद्ध कालीन शिक्षा को निरंतर भौतिक व सामाजिक परिवेश में फलते फूलते देखा जा सकता है । शिक्षा के प्रारंभिक दौर में महिलाओं और शूद्रों शिक्षा के दायरे से बाहर रखा जाता था। लेकिन बौद्ध काल में उन्हें भी शिक्षा का अधिकार दिया गया। इस दौर में नारी शिक्षा को चुनौतियां और समस्याओं का सामना करना पड़ा। प्राचीन काल की शिक्षा वर्ण पर आधारित थी। शिक्षा संस्थान गुरुकुल, आचार्यकुल, गुरुगृह के नाम से प्रचलित है शिक्षकों को आचार्य, गुरु कहा जाता था शिक्षा की व्यवस्था इन्हीं के आश्रमों व घरों तक सीमीत थी।शिष्यों में सर्वप्रथम शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार ब्राह्मणों का हुआ करता था उसके बाद क्षत्रिय का जिनको युद्ध और रक्षा के लिए तैयार किया जाता था,फिर वैश्य जो व्यापार करते थे, शूद्रों को सम्मानित शिक्षा का अधिकार नहीं था ना ही उन्हें गुरुकुल में प्रवेश दिया जाता था। 7 में वर्ष में ब्राह्मण के बालक, 11वीं में क्षेत्रीय और 12वीं में वैश्य के बालकों की उपनयन विधि थी जिसके तहत उनका शिक्षण होता था। उनके शिक्षण में वेद, पुराण, कर्मकांड, ब्रह्मचारी, जीवन जीने गुरु सेवा व धर्म बुद्धि की शिक्षा निशुल्क मिलती थी। आचार्य का चरण स्पर्श करना, उनके खान-पान व सेवा की व्यवस्था करना भी शिक्षुओं का ही काम करता था। इसके अतिरिक्त साहित्य, दर्शन, ज्योतिष, व्याकरण, चिकित्सा आदि विषयों का धीरे-धीरे अध्धयन होने लगा। यह पढ़ाई सामान्यतःगुरुकुलों, तोल, पाठशाला, मठ और विहारों में होती थी। काशी, तक्षशिला, नालंदा विक्रमशिला, वल्लभी, ओदांतपुरी, मिथिला, प्रयाग, अयोध्या आदि शिक्षा के बड़े केंद्र थे। दक्षिण भारत में एन्नारियम,सलौत्गि,तिरूमुक्कुदल,आदि शिक्षा के बड़े केंद्र रहे।गुरुओं का ध्यान बालक की संस्कृति,शास्त्र,शस्त्र, धर्म, नीति,सदाचारके अनुसार व धर्म के अनुसार मानव जीवन के चार आश्रम में,ब्रह्मचर्य का पालन करवाया जाता था।प्राचीन भारतीय शिक्षा में किसी प्रकार की परीक्षा नहीं होती थी।आचार्य जब चाहे योग्य समझें परीक्षा ले लेते थे। परीक्षा का ढांचा एकदम आश्रम के विषय की व्यवस्था और विवेक के अनुसार था।बड़े बड़े विश्वविद्यालय चलते थे। तक्षशिला विश्वविद्यालय वर्तमान पाकिस्तान में रावलपिंडी से 18 मील दूर इस विश्वविद्यालय के बारे में मान्यता है कि राम के भाई भरत के पुत्र तक में उस नगरी की स्थापना की थी। यह विश्व का पहला विश्वविद्यालय माना गया है, जिसकी स्थापना 7वीं सदी ई.पू.की गई और यह 460 ईस्वी तक अस्तित्व में रह ।उस समय में पूरे विश्व से10,500 से अधिक छात्र अध्ययन करते थे और 60 से भी अधिक विषयों को पढ़ाया जाता था। तक्षशिला विश्वविद्यालय का विस्तार मात्र तक्षशिला तक सीमित नहीं रहा यह अलग अलग जगहों पर अध्ययन संस्थान के रूप में भी बदला। आचार्यों ने यहां विभिन्न विद्यालय बनाए हुए थे जो छात्रों की उनकी रूचि के अनुसार महत्वपूर्ण पाठ्यक्रमों में शिक्षा देते थे, जैसे कि वेद-वेदांत,अष्टदशा विज्ञान,दर्शन, व्याकरण, अर्थशास्त्र, राजनीति,अश्व विद्या,युद्ध, विद्या, ज्योतिष, मंत्र विद्या, मंत्र विद्या आदि की शिक्षा दी जाती थी। इनमें कोई पाठ्यक्रम की नियत तिथि और पाठ्यक्रम विनिर्दिष्ट नहीं था।ऐसा माना जाता है कि पाणिनी,कौटिल्य, चंद्रगुप्त,जीवक, कौशल राज आदि महापुरुषों ने इसी विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की।ऐसे ही कन्या गुरुकुल,पाठशाला, आश्रम चलते थे।. नालंदा विश्वविद्यालयआत्मिक बिहार की राजधानी से 55 किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व में 450 ईसवी पूर्व से 1194 ईस्वी तक रहा।इसी तरह उदांतपुरी, सोमपुरा, कांचीपुरम, मणिखेत, शारदा पीठ, पुष्पगिरी आदि बड़े शिक्षण संस्थान देश के विभिन्न कोणों से चलते रहे।शिक्षा के विस्तार के इस दौर में शिक्षा का मूल मकसद धर्मपर आधारित वर्ण व्यवस्था को समृद्ध करना और अपने अपने वर्णों से संबंधित कार्य सीखना व रोजगार उन्मुख शिक्षार्थी पैदा करना था। इन विद्यापीठों मे ना गुरु को वेतन मिलता था ना शिष्य को सुविधाएं।शिष्यों को आवासीय सुविधाओं में रहना पड़ता था व सुबह शाम गुरु आचार्य की सेवा करनी पड़ती थी।यह जानकारियां ऋग्वेद से प्राप्त होती हैं।सामान्यतया वैदिक काल को दो भागों में विभक्त किया गया है।पूर्व वैदिक काल(1500 से 1000 ईस्वी पूर्व) दूसरा उत्तर वैदिक काल(1000 से 600 ई.पूर्व) ।वर्ण व्यवस्था पर आधारित यह शिक्षा पद्धति चार वर्णों में विभक्त थी। ब्राह्मण का कार्य शिक्षा संबंधी,क्षत्रिय- शत्रुओं से रक्षा,वैश्य- वाणिज्य से संबंधित ।शूद्र उद्योग व कला से संबंधित ।इस व्यवस्था को वर्णाश्रम धर्म कहते थे। वैदिक काल की शिक्षा व्यवस्था तब बहुत प्रगतिशील मानी जाती थी और समाज को विकसित करने में इस शिक्षा व्यवस्था ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। अगले अंक में मध्यकालीन भारत की शिक्षा व्यवस्था (लेख तीन अंकों में है दूसरा अंक कल पढ़े) लेख का भाग 2 पड़ने के लिए क्लिक करे !

देश की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था को समझना जरूरी है जो अपने विकास की प्रक्रिया में आधुनिक शिक्षा प्रणाली बनी और एक बार फिर नई शिक्षा नीति को जन्म दिया। शिक्षा प्रणाली का आधार समझने के लिए प्रारंभ से देश की शिक्षा व्यवस्था को देखना होगा। तभी हम बिना किसी आलोचना व प्रशंसा के वर्तमान शिक्षा प्रणाली के आधार को समझ सकते हैं व इसका आकलन कर सकते हैं। लार्ड मैकाले की शिक्षा प्रणाली मात्र कह कर आलोचना ही उचित नहीं होगा।

भारतवर्ष को पुरातन काल से ही शिक्षा के क्षेत्र में विश्व गुरु के रूप में जाना जाता है। समस्त विश्व में भारत की शिक्षा प्रणाली सबसे पुरानी व विश्व मान्य है। ऐसा माना जाता है कि पुरातन शिक्षा व्यवस्था का स्वरूप कहीं ना कहीं ऋग्वेद पर आधारित है जो संसार की सबसे पुराना धर्मग्रंथ व पुस्तक मानी जाती है। ऋग्वेद की भाषा संस्कृति ही नहीं बल्कि सुसंस्कृत भी है। सही मायने में कहा जाए तो यह ग्रंथ भारतीय शिक्षा का इतिहास है जिसके अध्ययन से भारतीय समाज के विकास व निरंतर विकसित होती शिक्षा प्रणाली को समझा जा सकता है। आदि काल तथा लोकायत से विकसित होकर बौद्ध कालीन शिक्षा को निरंतर भौतिक व सामाजिक परिवेश में फलते फूलते देखा जा सकता है । शिक्षा के प्रारंभिक दौर में महिलाओं और शूद्रों शिक्षा के दायरे से बाहर रखा जाता था। लेकिन बौद्ध काल में उन्हें भी शिक्षा का अधिकार दिया गया। इस दौर में नारी शिक्षा को चुनौतियां और समस्याओं का सामना करना पड़ा। प्राचीन काल की शिक्षा वर्ण पर आधारित थी। शिक्षा संस्थान गुरुकुल, आचार्यकुल, गुरुगृह के नाम से प्रचलित है शिक्षकों को आचार्य, गुरु कहा जाता था शिक्षा की व्यवस्था इन्हीं के आश्रमों व घरों तक सीमीत थी।शिष्यों में सर्वप्रथम शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार ब्राह्मणों का हुआ करता था उसके बाद क्षत्रिय का जिनको युद्ध और रक्षा के लिए तैयार किया जाता था,फिर वैश्य जो व्यापार करते थे, शूद्रों को सम्मानित शिक्षा का अधिकार नहीं था ना ही उन्हें गुरुकुल में प्रवेश दिया जाता था। 7 में वर्ष में ब्राह्मण के बालक, 11वीं में क्षेत्रीय और 12वीं में वैश्य के बालकों की उपनयन विधि थी जिसके तहत उनका शिक्षण होता था। उनके शिक्षण में वेद, पुराण, कर्मकांड, ब्रह्मचारी, जीवन जीने गुरु सेवा व धर्म बुद्धि की शिक्षा निशुल्क मिलती थी। आचार्य का चरण स्पर्श करना, उनके खान-पान व सेवा की व्यवस्था करना भी शिक्षुओं का ही काम करता था। इसके अतिरिक्त साहित्य, दर्शन, ज्योतिष, व्याकरण, चिकित्सा आदि विषयों का धीरे-धीरे अध्धयन होने लगा। यह पढ़ाई सामान्यतःगुरुकुलों, तोल, पाठशाला, मठ और विहारों में होती थी। काशी, तक्षशिला, नालंदा विक्रमशिला, वल्लभी, ओदांतपुरी, मिथिला, प्रयाग, अयोध्या आदि शिक्षा के बड़े केंद्र थे। दक्षिण भारत में एन्नारियम,सलौत्गि,तिरूमुक्कुदल,आदि शिक्षा के बड़े केंद्र रहे।गुरुओं का ध्यान बालक की संस्कृति,शास्त्र,शस्त्र, धर्म, नीति,सदाचारके अनुसार व धर्म के अनुसार मानव जीवन के चार आश्रम में,ब्रह्मचर्य का पालन करवाया जाता था।प्राचीन भारतीय शिक्षा में किसी प्रकार की परीक्षा नहीं होती थी।आचार्य जब चाहे योग्य समझें परीक्षा ले लेते थे। परीक्षा का ढांचा एकदम आश्रम के विषय की व्यवस्था और विवेक के अनुसार था।बड़े बड़े विश्वविद्यालय चलते थे।

- विज्ञापन (Article Inline Ad) -

तक्षशिला विश्वविद्यालय वर्तमान पाकिस्तान में रावलपिंडी से 18 मील दूर इस विश्वविद्यालय के बारे में मान्यता है कि राम के भाई भरत के पुत्र तक में उस नगरी की स्थापना की थी। यह विश्व का पहला विश्वविद्यालय माना गया है, जिसकी स्थापना 7वीं सदी ई.पू.की गई और यह 460 ईस्वी तक अस्तित्व में रह ।उस समय में पूरे विश्व से10,500 से अधिक छात्र अध्ययन करते थे और 60 से भी अधिक विषयों को पढ़ाया जाता था। तक्षशिला विश्वविद्यालय का विस्तार मात्र तक्षशिला तक सीमित नहीं रहा यह अलग अलग जगहों पर अध्ययन संस्थान के रूप में भी बदला। आचार्यों ने यहां विभिन्न विद्यालय बनाए हुए थे जो छात्रों की उनकी रूचि के अनुसार महत्वपूर्ण पाठ्यक्रमों में शिक्षा देते थे, जैसे कि वेद-वेदांत,अष्टदशा विज्ञान,दर्शन, व्याकरण, अर्थशास्त्र, राजनीति,अश्व विद्या,युद्ध, विद्या, ज्योतिष, मंत्र विद्या, मंत्र विद्या आदि की शिक्षा दी जाती थी। इनमें कोई पाठ्यक्रम की नियत तिथि और पाठ्यक्रम विनिर्दिष्ट नहीं था।ऐसा माना जाता है कि पाणिनी,कौटिल्य, चंद्रगुप्त,जीवक, कौशल राज आदि महापुरुषों ने इसी विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की।ऐसे ही कन्या गुरुकुल,पाठशाला, आश्रम चलते थे।. नालंदा विश्वविद्यालयआत्मिक बिहार की राजधानी से 55 किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व में 450 ईसवी पूर्व से 1194 ईस्वी तक रहा।इसी तरह उदांतपुरी, सोमपुरा, कांचीपुरम, मणिखेत, शारदा पीठ, पुष्पगिरी आदि बड़े शिक्षण संस्थान देश के विभिन्न कोणों से चलते रहे।शिक्षा के विस्तार के इस दौर में शिक्षा का मूल मकसद धर्मपर आधारित वर्ण व्यवस्था को समृद्ध करना और अपने अपने वर्णों से संबंधित कार्य सीखना व रोजगार उन्मुख शिक्षार्थी पैदा करना था। इन विद्यापीठों मे ना गुरु को वेतन मिलता था ना शिष्य को सुविधाएं।शिष्यों को आवासीय सुविधाओं में रहना पड़ता था व सुबह शाम गुरु आचार्य की सेवा करनी पड़ती थी।यह जानकारियां ऋग्वेद से प्राप्त होती हैं।सामान्यतया वैदिक काल को दो भागों में विभक्त किया गया है।पूर्व वैदिक काल(1500 से 1000 ईस्वी पूर्व) दूसरा उत्तर वैदिक काल(1000 से 600 ई.पूर्व) ।वर्ण व्यवस्था पर आधारित यह शिक्षा पद्धति चार वर्णों में विभक्त थी। ब्राह्मण का कार्य शिक्षा संबंधी,क्षत्रिय- शत्रुओं से रक्षा,वैश्य- वाणिज्य से संबंधित ।शूद्र उद्योग व कला से संबंधित ।इस व्यवस्था को वर्णाश्रम धर्म कहते थे।

वैदिक काल की शिक्षा व्यवस्था तब बहुत प्रगतिशील मानी जाती थी और समाज को विकसित करने में इस शिक्षा व्यवस्था ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

अगले अंक में मध्यकालीन भारत की शिक्षा व्यवस्था (लेख तीन अंकों में है दूसरा अंक कल पढ़े) लेख का भाग 2 पड़ने के लिए क्लिक करे !
साझा

- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -

अगला लेख महिलाओं और छात्राओं की शिक्षा की दिशा में नई शिक्षा नीति मील का पत्थर साबित हो सकती है - डॉ मामराज पुंडीर !
पिछला लेख किन्नौर ! एक गाड़ी सड़क हादसे का शिकार, दो लोगों की मौत !

- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -

लोकप्रिय खबरें/Popular News

शिमला ! प्रधानमंत्री ने आपदा प्रभावितों के जख्मों पर मरहम ही नहीं,उन्हें हिम्मत भी दी - डॉ.सीमा ठाकुर !

September 10, 2025 @ 07:25 pm

शिमला ! आपातकाल स्थिति में लाभार्थियों को समयबद्ध राशन उपलब्ध करवायाः डॉ. एस.पी. कत्याल !

September 10, 2025 @ 10:22 pm

कुल्लू ! जिला के बंजार उपमंडल के ग्राम पंचायत जेष्टा के नीणु गांव में भूस्खलन से भारी नुकसान !

September 10, 2025 @ 09:56 pm

सोलन ! जिले में भारी बारिश से 221 करोड़ रुपए का नुकसान, 49 गांव खाली करवाए गए !

September 10, 2025 @ 09:51 pm

- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -

वीडियो/Videos

खबर हिमाचल से ,वीडियो

शिमला ! आपातकाल स्थिति में लाभार्थियों को समयबद्ध राशन उपलब्ध करवायाः डॉ. एस.पी. कत्याल !

खबर हिमाचल से ,वीडियो

कुल्लू ! जिला के बंजार उपमंडल के ग्राम पंचायत जेष्टा के नीणु गांव में भूस्खलन से भारी नुकसान !

खबर हिमाचल से ,वीडियो

सोलन ! जिले में भारी बारिश से 221 करोड़ रुपए का नुकसान, 49 गांव खाली करवाए गए !

खबर हिमाचल से ,वीडियो

धर्मशाला ! भारतीय जनता पार्टी केवल राजनीति करने के लिए नहीं बनी : बिंदल !

- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -

ताज़ा खबरें/Latest News
  • सभी
  • अन्य
  • बिलासपुर
  • चंबा
  • हमीरपुर
  • काँगड़ा
  • किन्नौर
  • अधिक
    • अन्य
    • बिलासपुर
    • चंबा
    • हमीरपुर
    • काँगड़ा
    • किन्नौर
    • कुल्लू
    • लाहौल-स्पिति
    • मंडी
    • शिमला
    • सिरमौर
    • सोलन
    • उना

ज्योतिष,खबर हिमाचल से ,राशिफल

!! राशिफल 11 सितंबर 2025 गुरुवार !!

पं रामेश्वर शर्मा-September 11, 2025 @ 06:57 am

0
मेष का आज का राशिफल (11 सितम्बर, 2025) सबकी मदद करने की आपकी इच्छा आपको आज बुरी तरह

शिमला ! आपातकाल स्थिति में लाभार्थियों को समयबद्ध राशन उपलब्ध करवायाः डॉ. एस.पी. कत्याल !

September 10, 2025 @ 10:22 pm

कुल्लू ! जिला के बंजार उपमंडल के ग्राम पंचायत जेष्टा के नीणु गांव में भूस्खलन से भारी नुकसान !

September 10, 2025 @ 09:56 pm

सोलन ! जिले में भारी बारिश से 221 करोड़ रुपए का नुकसान, 49 गांव खाली करवाए गए !

September 10, 2025 @ 09:51 pm

धर्मशाला ! भारतीय जनता पार्टी केवल राजनीति करने के लिए नहीं बनी : बिंदल !

September 10, 2025 @ 09:43 pm
संबंधित लेख लेखक से और अधिक

ज्योतिष,खबर हिमाचल से ,राशिफल

!! राशिफल 11 सितंबर 2025 गुरुवार !!

खबर हिमाचल से ,वीडियो

शिमला ! आपातकाल स्थिति में लाभार्थियों को समयबद्ध राशन उपलब्ध करवायाः डॉ. एस.पी. कत्याल !

खबर हिमाचल से ,वीडियो

कुल्लू ! जिला के बंजार उपमंडल के ग्राम पंचायत जेष्टा के नीणु गांव में भूस्खलन से भारी नुकसान !

साक्षात्कार और रिपोर्ट/Interviews & Reports

खबर हिमाचल से ,Video,रिपोर्ट और साक्षात्कार

लाहौल ! भुंतर भवन स्ट्रांग रूम में शिफ्ट की गई ईवीएम मशीनें !

खबर हिमाचल से ,Video,रिपोर्ट,रिपोर्ट और साक्षात्कार

मंडी की मुरारी धार को पर्यटन की दृष्टि से देश के मानचित्र पर लाने की जरूरत !

Video,रिपोर्ट और साक्षात्कार

ननखड़ी ! सरकार के दो साल का कार्यकाल पुरा होने पर हिम आधार लोक कला मंच ने चलाया जागरूकता अभियान।

Video,रिपोर्ट और साक्षात्कार

मंडी ! राम मंदिर निर्माण को लेकर विश्व हिंदू परिषद पीएम मोदी का आभार व्यक्त करता है- लेखराज राणा !

- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -

रोजगार/Employment

  • चम्बा ! जिला रोजगार कार्यालय चम्बा द्वारा 16 व 17 अप्रैल को होगा कैंपस इंटरव्यू का आयोजन !

    April 7, 2025 @ 09:33 pm
  • शिमला ! राजीव गांधी राजकीय महाविद्यालय, शिमला में रोज़गार मेले का किया आयोजन  ! 

    August 7, 2024 @ 09:27 pm
  • शिमला ! विदेश में नौकरी करने के लिए होने जा रहे हैं साक्षात्कार !   

    May 6, 2024 @ 06:24 pm

नतीजे/Results

  • हिमाचल ! बिजली बोर्ड को मिले 154 कनिष्ठ अभियंता, स्टाफ नर्स भर्ती का परिणाम घोषित !

    March 30, 2022 @ 12:23 pm
  • हमीरपुर ! इलेक्ट्रीशियन और रिस्टोरर के पदों के लिए ली गई परीक्षा का अंतिम परिणाम घोषित !

    January 4, 2022 @ 06:04 pm
  • हमीरपुर ! स्टोर कीपर पोस्ट कोड 878 की परीक्षा का अंतिम परिणाम घोषित !

    January 4, 2022 @ 11:29 am

मोबाइल एप्लिकेशन/Mobile App

प्रस्तावना !

#KhabarHimachalSe आपके सामने प्रस्तुत है एक सच्चे और ईमानदार प्रयास के साथ ! "खबर हिमाचल से" समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए सदैव प्रयतनशील है ! यह मात्र सामान्य न्यूज़ पोर्टल ही नहीं जो ख़बरें कापी पेस्ट करता रहेगा बल्कि जनता की आवाज़ को प्रदेश के हाकिमों तक पहुँचाने की लड़ाई भी लड़ेगा । "खबर हिमाचल से" किसी विभाग/ अधिकारी/ सरकार के उत्पीड़न के विरूद्ध जनता के साथ कन्धे से कन्धा मिला कर खड़ा नज़र आएगा।

"सबका स्थान, एक समान" - "हमारी शक्ति, आपका प्रोत्साहन" !

हमें संपर्क करें: [email protected]

हमारा अनुसरण करे ! !

© 2017 - 2025 Khabar Himachal Se
  • Privacy Policy
  • Rules & Regulation
  • हमारे बारे में !
  • विज्ञापन
  • संपर्क करे !