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राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने ‘महिलाओं एवं बच्चों के प्रति अपराध’ विषय को लेकर आज राजभवन में समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए विशेषकर शहरी क्षेत्रो में सी.सी.टी.वी कैमरे स्थापित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बढ़ते साइबर अपराध के दृष्टिगत पुलिस विभाग में साइबर अपराधों की जांच के लिए अलग साइबर अपराध विभाग स्थापित किया जाना चाहिए। राज्यपाल ने महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध के मामले में प्रदेश के आंकड़ों पर संतोष व्यक्त करते हुए पुलिस विभाग के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विभाग ने ऐसे अनेक प्रयास किए हैं जो इन अपराधों को रोकने में कारगर सिद्ध हुए हैं। उन्होंने पुलिस महानिदेशक की सराहना की कि प्रथम अगस्त, 2020 से प्रदेश के सभी पुलिस थानांे में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधियों के लिए 26 नम्बर रजिस्टर जारी किया है। ऐसा करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है और दूसरे राज्य इसका अनुसरण कर रहे हैं। उन्होंने इस नई पहल के लिए पुलिस महानिदेशक की प्रशंसा की। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि महिलाओं के प्रति अपराध एक संवेदनशील मामला है, जिसे रोकने में पुलिस की भूमिका अहम है। राहत और पुनर्वास तथा जागरूकता का कार्य सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग व अन्य संबंधित विभागों की जिम्मेदारी है। पुलिस को ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए कि अपराधी के मन में कानून का डर हो और उन्हें लगे कि वे अपराध करने के बाद बच नहीं सकते। उन्होंने कहा कि समाज का भी यह कत्र्तव्य है कि वह इस विषय में जागरूकता फैलाएं। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग में महिला अधिकारियों को प्रतिष्ठित जिम्मेदारी दी जानी चाहिए और उनकी संख्या भी बढ़नी चाहिए ताकि महिलाएं अपनी समस्याएं बेझिझक बता सकें। उन्होंने विभाग में सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों की अलग टीम गठित करने पर भी बल दिया। उन्होंने सभी संबंधित विभागों से समन्वय के साथ कार्य करने तथा नियमित बैठकों के आयोजन पर बल दिया। इस मौके पर अतिरिक्त मुख्य सचिव निशा सिंह ने कहा कि महिलाओं के प्रति अपराध हो रहे हैं, सबसे पहले यह स्वीकार करना आवश्यक है तभी हम सक्रियता से कार्य कर सकते हैं। उन्होंने जागरूकता और साइबर अपराध पर कार्य करने पर बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि शहर में ऐसे हाॅट-स्पाॅट चिन्हित किए जाने चाहिए, जहां सक्रियता ज्यादा हो। पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले पर पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही कार्रवाई और विभिन्न प्रयासों से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मुद्दे महत्वपूर्ण हैं और साइबर क्राईम का ग्राफ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग विवाहितों के खिलाफ उत्पीड़न, साइबर अपराध और किशोरी को अगवा करने के मामलों पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। ऐसे मामलों में न्यायालयों से भी अपराधी किसी प्रकार की राहत न पा सकते इसके लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त महिला साइबर हेल्पलाइन शुरू करने पर विचार कर रही है। इस अवसर पर डीआईजीपी क्राइम बिमल गुप्ता, एसपी क्राइम अनुपम शर्मा तथा एआईजी मोनिका भुटुंगुरु ने महिलाओं से संबंधित मुद्दों और राज्य पुलिस द्वारा की गई पहल पर पावर प्वाइंट प्रस्तुति दी।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने ‘महिलाओं एवं बच्चों के प्रति अपराध’ विषय को लेकर आज राजभवन में समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए विशेषकर शहरी क्षेत्रो में सी.सी.टी.वी कैमरे स्थापित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बढ़ते साइबर अपराध के दृष्टिगत पुलिस विभाग में साइबर अपराधों की जांच के लिए अलग साइबर अपराध विभाग स्थापित किया जाना चाहिए।
राज्यपाल ने महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध के मामले में प्रदेश के आंकड़ों पर संतोष व्यक्त करते हुए पुलिस विभाग के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विभाग ने ऐसे अनेक प्रयास किए हैं जो इन अपराधों को रोकने में कारगर सिद्ध हुए हैं। उन्होंने पुलिस महानिदेशक की सराहना की कि प्रथम अगस्त, 2020 से प्रदेश के सभी पुलिस थानांे में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधियों के लिए 26 नम्बर रजिस्टर जारी किया है। ऐसा करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है और दूसरे राज्य इसका अनुसरण कर रहे हैं। उन्होंने इस नई पहल के लिए पुलिस महानिदेशक की प्रशंसा की।
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श्री दत्तात्रेय ने कहा कि महिलाओं के प्रति अपराध एक संवेदनशील मामला है, जिसे रोकने में पुलिस की भूमिका अहम है। राहत और पुनर्वास तथा जागरूकता का कार्य सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग व अन्य संबंधित विभागों की जिम्मेदारी है। पुलिस को ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए कि अपराधी के मन में कानून का डर हो और उन्हें लगे कि वे अपराध करने के बाद बच नहीं सकते। उन्होंने कहा कि समाज का भी यह कत्र्तव्य है कि वह इस विषय में जागरूकता फैलाएं।
उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग में महिला अधिकारियों को प्रतिष्ठित जिम्मेदारी दी जानी चाहिए और उनकी संख्या भी बढ़नी चाहिए ताकि महिलाएं अपनी समस्याएं बेझिझक बता सकें। उन्होंने विभाग में सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों की अलग टीम गठित करने पर भी बल दिया। उन्होंने सभी संबंधित विभागों से समन्वय के साथ कार्य करने तथा नियमित बैठकों के आयोजन पर बल दिया।
इस मौके पर अतिरिक्त मुख्य सचिव निशा सिंह ने कहा कि महिलाओं के प्रति अपराध हो रहे हैं, सबसे पहले यह स्वीकार करना आवश्यक है तभी हम सक्रियता से कार्य कर सकते हैं। उन्होंने जागरूकता और साइबर अपराध पर कार्य करने पर बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि शहर में ऐसे हाॅट-स्पाॅट चिन्हित किए जाने चाहिए, जहां सक्रियता ज्यादा हो।
पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले पर पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही कार्रवाई और विभिन्न प्रयासों से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मुद्दे महत्वपूर्ण हैं और साइबर क्राईम का ग्राफ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग विवाहितों के खिलाफ उत्पीड़न, साइबर अपराध और किशोरी को अगवा करने के मामलों पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। ऐसे मामलों में न्यायालयों से भी अपराधी किसी प्रकार की राहत न पा सकते इसके लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त महिला साइबर हेल्पलाइन शुरू करने पर विचार कर रही है।
इस अवसर पर डीआईजीपी क्राइम बिमल गुप्ता, एसपी क्राइम अनुपम शर्मा तथा एआईजी मोनिका भुटुंगुरु ने महिलाओं से संबंधित मुद्दों और राज्य पुलिस द्वारा की गई पहल पर पावर प्वाइंट प्रस्तुति दी।
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