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शिमला ! राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने आज विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हर साल यह दिवस वायरल हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि इसके कारण लीवर की सूजन लीवर कैंसर का कारण बन सकती है। उन्होंने विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर प्रदेश के लोगों से राज्य के हेपेटाइटस मुक्त के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जागरूकता पैदा करने का संकल्प लेने का आग्रह किया। श्री दत्तात्रेय ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि हेपेटाइटिस बी के साथ रहने वाले दस प्रतिशत और हेपेटाइटिस सी के साथ रहने वाले 19 प्रतिशत लोग ही अपने हेपेटाइटिस की स्थिति के बारे में जानते हैं और लाखों लोग इस बिमारी से अनजान हैं, जिसकी रोकथाम व उपचार हो सकता है। उन्होंने कहा कि रोकथाम के अभाव में हर साल हेपेटाइटिस के हजारों नए रोगी सामने आ रहे है। उन्होंने कहा कि वायरल हेपेटाइटिस के बारे में जागरूक होना ही इसकी रोकथाम का पहला कदम है। उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस बी और सी वायरस के संक्रमण दुनिया भर में लीवर की बीमारियों का प्रमुख कारण हैं और हमें इसे रोकने के उपाय करने चाहिए। उन्होंने कहा कि नवजात शिशुओं में संक्रमण को रोकने के दृष्टिगत राज्य में जन्म के समय शिशुओं को हेपेटाइटिस बी के टीकाकरण द्वारा किए जा रहे हैं, माता से शिशु को हेपेटाइटिस बी, एचआईवी और सिफलिस के लिए नियमित परीक्षण किया जाता है ताकि मां से बच्चे को संक्रमण को रोका जा सके, यदि आवश्यकता हो तो जो लोग इन्जेक्शन से नशा लेते है इसके अलावा सभी लोगों तक परीक्षण तथा उपचार उपलब्ध करवाना है।
शिमला ! राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने आज विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हर साल यह दिवस वायरल हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि इसके कारण लीवर की सूजन लीवर कैंसर का कारण बन सकती है।
उन्होंने विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर प्रदेश के लोगों से राज्य के हेपेटाइटस मुक्त के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जागरूकता पैदा करने का संकल्प लेने का आग्रह किया। श्री दत्तात्रेय ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि हेपेटाइटिस बी के साथ रहने वाले दस प्रतिशत और हेपेटाइटिस सी के साथ रहने वाले 19 प्रतिशत लोग ही अपने हेपेटाइटिस की स्थिति के बारे में जानते हैं और लाखों लोग इस बिमारी से अनजान हैं, जिसकी रोकथाम व उपचार हो सकता है।
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उन्होंने कहा कि रोकथाम के अभाव में हर साल हेपेटाइटिस के हजारों नए रोगी सामने आ रहे है। उन्होंने कहा कि वायरल हेपेटाइटिस के बारे में जागरूक होना ही इसकी रोकथाम का पहला कदम है। उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस बी और सी वायरस के संक्रमण दुनिया भर में लीवर की बीमारियों का प्रमुख कारण हैं और हमें इसे रोकने के उपाय करने चाहिए।
उन्होंने कहा कि नवजात शिशुओं में संक्रमण को रोकने के दृष्टिगत राज्य में जन्म के समय शिशुओं को हेपेटाइटिस बी के टीकाकरण द्वारा किए जा रहे हैं, माता से शिशु को हेपेटाइटिस बी, एचआईवी और सिफलिस के लिए नियमित परीक्षण किया जाता है ताकि मां से बच्चे को संक्रमण को रोका जा सके, यदि आवश्यकता हो तो जो लोग इन्जेक्शन से नशा लेते है इसके अलावा सभी लोगों तक परीक्षण तथा उपचार उपलब्ध करवाना है।
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