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शिमला ! सीटू व हिमाचल किसान सभा के आह्वान पर केंद्र व राज्य सरकारों की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के ग्यारह जिलों के हज़ारों मजदूरों व किसानों ने अपने कार्यस्थलों,ब्लॉक व जिला मुख्यालयों पर केंद्र सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किए। शिमला में डीसी ऑफिस पर हुए प्रदर्शन में हिमाचल किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर,सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,सीटू प्रदेश उपाध्यक्ष जगत राम,जिला महासचिव अजय दुलटा,हिमाचल किसान सभा जिलाध्यक्ष सत्यवान पुंडीर,जनवादी महिला समिति की प्रदेशाध्यक्षा डॉ रीना सिंह तंवर,सीमा,जयशिव ठाकुर,जियानंद,बाबू राम,बालक राम,हिमी देवी,किशोरी ढटवालिया,विवेक कश्यप,अमित ठाकुर,रविन्द्र चन्देल,गौरव,अनिल,रामप्रकाश,रेहड़ी फड़ी तयबजारी यूनियन अध्यक्ष सुरेंद्र बिट्टू,महासचिव राकेश सलमान,एसटीपी यूनियन अध्यक्ष दलीप सिंह,महासचिव मदन लाल,मथुरा दास,कलावती,होशियार,भूमित आदि मौजूद रहे। प्रदेश भर में हुए प्रदर्शनों में श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन की प्रक्रिया पर रोक लगाने,मजदूरों का वेतन 21 हज़ार रुपये घोषित करने,सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने पर रोक लगाने,किसान विरोधी अध्यादेशों को वापिस लेने,मजदूरों को कोरोना काल के पांच महीनों का वेतन देने,उनकी छंटनी पर रोक लगाने,किसानों की फसलों का उचित दाम देने,कर्ज़ा मुक्ति,मनरेगा के तहत दो सौ दिन का रोज़गार,कॉरपोरेट खेती पर रोक लगाने,आंगनबाड़ी,मिड डे मील व आशा वर्करज़ को नियमित कर्मचारी घोषित करने,फिक्स टर्म रोज़गार पर रोक लगाने,हर व्यक्ति को महीने का दस किलो मुफ्त राशन देने व 7500 रुपये देने की मांग की गई। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व हिमाचल किसान सभा प्रदेशाध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर ने केंद्र व प्रदेश सरकारों को चेताया है कि वह मजदूर व किसान विरोधी कदमों से हाथ पीछे खींचें अन्यथा मजदूर व किसान आंदोलन तेज होगा। उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी के इस संकट काल को भी शासक वर्ग व सरकारें मजदूरों व किसानों का खून चूसने व उनके शोषण को तेज करने के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। हिमाचल प्रदेश,मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश,गुजरात,हरियाणा,महाराष्ट्र,राजस्थान में श्रम कानूनों में बदलाव इसी प्रक्रिया का हिस्सा है। केंद्र सरकार द्वारा 3 जून 2020 को कृषि उपज,वाणिज्य एवम व्यापार(संवर्धन एवम सुविधा) अध्यादेश 2020,मूल्य आश्वासन(बन्दोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश 2020 व आवश्यक वस्तु अधिनियम(संशोधन) 2020 आदि तीन किसान विरोधी अध्यादेश जारी करके किसानों का गला घोंटने का कार्य किया गया है।
शिमला ! सीटू व हिमाचल किसान सभा के आह्वान पर केंद्र व राज्य सरकारों की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के ग्यारह जिलों के हज़ारों मजदूरों व किसानों ने अपने कार्यस्थलों,ब्लॉक व जिला मुख्यालयों पर केंद्र सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किए।
शिमला में डीसी ऑफिस पर हुए प्रदर्शन में हिमाचल किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर,सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,सीटू प्रदेश उपाध्यक्ष जगत राम,जिला महासचिव अजय दुलटा,हिमाचल किसान सभा जिलाध्यक्ष सत्यवान पुंडीर,जनवादी महिला समिति की प्रदेशाध्यक्षा डॉ रीना सिंह तंवर,सीमा,जयशिव ठाकुर,जियानंद,बाबू राम,बालक राम,हिमी देवी,किशोरी ढटवालिया,विवेक कश्यप,अमित ठाकुर,रविन्द्र चन्देल,गौरव,अनिल,रामप्रकाश,रेहड़ी फड़ी तयबजारी यूनियन अध्यक्ष सुरेंद्र बिट्टू,महासचिव राकेश सलमान,एसटीपी यूनियन अध्यक्ष दलीप सिंह,महासचिव मदन लाल,मथुरा दास,कलावती,होशियार,भूमित आदि मौजूद रहे।
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प्रदेश भर में हुए प्रदर्शनों में श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन की प्रक्रिया पर रोक लगाने,मजदूरों का वेतन 21 हज़ार रुपये घोषित करने,सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने पर रोक लगाने,किसान विरोधी अध्यादेशों को वापिस लेने,मजदूरों को कोरोना काल के पांच महीनों का वेतन देने,उनकी छंटनी पर रोक लगाने,किसानों की फसलों का उचित दाम देने,कर्ज़ा मुक्ति,मनरेगा के तहत दो सौ दिन का रोज़गार,कॉरपोरेट खेती पर रोक लगाने,आंगनबाड़ी,मिड डे मील व आशा वर्करज़ को नियमित कर्मचारी घोषित करने,फिक्स टर्म रोज़गार पर रोक लगाने,हर व्यक्ति को महीने का दस किलो मुफ्त राशन देने व 7500 रुपये देने की मांग की गई।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व हिमाचल किसान सभा प्रदेशाध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर ने केंद्र व प्रदेश सरकारों को चेताया है कि वह मजदूर व किसान विरोधी कदमों से हाथ पीछे खींचें अन्यथा मजदूर व किसान आंदोलन तेज होगा। उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी के इस संकट काल को भी शासक वर्ग व सरकारें मजदूरों व किसानों का खून चूसने व उनके शोषण को तेज करने के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। हिमाचल प्रदेश,मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश,गुजरात,हरियाणा,महाराष्ट्र,राजस्थान में श्रम कानूनों में बदलाव इसी प्रक्रिया का हिस्सा है। केंद्र सरकार द्वारा 3 जून 2020 को कृषि उपज,वाणिज्य एवम व्यापार(संवर्धन एवम सुविधा) अध्यादेश 2020,मूल्य आश्वासन(बन्दोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश 2020 व आवश्यक वस्तु अधिनियम(संशोधन) 2020 आदि तीन किसान विरोधी अध्यादेश जारी करके किसानों का गला घोंटने का कार्य किया गया है।
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