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शिमला, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कोरोना माहमारी के चलते प्रदेश भाजपा सरकार की छत्र छाया में व्याप्त भ्रष्टाचार की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि इस संकट की घड़ी में रिश्वत लेने के आरोप में स्वास्थ्य निदेशक की गिरफ्तारी से साफ है कि इसके तार सीधे भाजपा के बड़े नेताओं से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि बिंदल का इस्तीफा, असल में भाजपा के भीतर जो अंतर्कलह चल रही है, उससे लोगों का ध्यान हटाने मात्र का यह एक असफ़ल प्रयास है। वीरभद्र सिंह ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग में कोरोना किट्स, वेंटिलेटर, मास्क, सेनेटाइजर और पीपीई जैसे आवश्यक उपकरणों की आपूर्ति को लेकर रिश्वत और प्रदेश सचिवालय में सेनेटाइजर की आपूर्ति घोटाले ने भाजपा की कथित ईमानदारी की पूरी पोल खोल दी है। वीरभद्र सिंह ने कहा हैं कि उनके 60 साल के राजनैतिक केरियर में उन्होंने कभी कोई ऐसा दौर नही देखा जब ऐसी विपदा के समय कोई राजनैतिक दल संगीन भ्रष्टाचार के आरोप में संलिप्त पाए जाए। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश की चुनौतियों से निपटने में पूरी तरह असफल साबित हो रही है। लोगों को राहत देने की जगह महंगाई परोसी जा रही है। किसानों, बागवानों के साथ साथ आम लोगों की समस्याओं की ओर सरकार का कोई भी ध्यान नहीं है। सरकार पूरी तरह से संवेदनहीन नज़र आ रही है,जो दुर्भाग्यपूर्ण है। वीरभद्र सिंह ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग से जुड़े इस रिश्वत मामलें की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि चूंकि यह विभाग मुख्यमंत्री के पास है इसलिए इसकी संवेदनशीलता ओर भी बढ़ जाती है।मुख्यमंत्री को इसकी पूरी जांच किसी सिटिंग जज से करवानी चाहिए। वीरभद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने प्रदेश सरकार को जो जनहित के सुझाव दिये थे उस पर भी वह आज दिन तक खामोश बैठी है। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस और भाजपा के विधायकों ने इसकी चर्चा के लिए विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की बात कही तो भाजपा अध्यक्ष को यह भी गवारा नहीं लगा। साफ है कि भाजपा और सरकार के भीतर कोई टकराव चल रहा है। उन्होंने कहा कि उसके अंदर कुछ भी चले, यह उसका अंदरूनी मसला है पर इसमें प्रदेश के लोग नही पिस्से जाने चाहिए। कांग्रेस इसे कभी भी सहन नहीं करेगी।
शिमला, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कोरोना माहमारी के चलते प्रदेश भाजपा सरकार की छत्र छाया में व्याप्त भ्रष्टाचार की कड़ी निंदा की है।
उन्होंने कहा कि इस संकट की घड़ी में रिश्वत लेने के आरोप में स्वास्थ्य निदेशक की गिरफ्तारी से साफ है कि इसके तार सीधे भाजपा के बड़े नेताओं से जुड़े हैं।
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उन्होंने कहा कि बिंदल का इस्तीफा, असल में भाजपा के भीतर जो अंतर्कलह चल रही है, उससे लोगों का ध्यान हटाने मात्र का यह एक असफ़ल प्रयास है।
वीरभद्र सिंह ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग में कोरोना किट्स, वेंटिलेटर, मास्क, सेनेटाइजर और पीपीई जैसे आवश्यक उपकरणों की आपूर्ति को लेकर रिश्वत और प्रदेश सचिवालय में सेनेटाइजर की आपूर्ति घोटाले ने भाजपा की कथित ईमानदारी की पूरी पोल खोल दी है।
वीरभद्र सिंह ने कहा हैं कि उनके 60 साल के राजनैतिक केरियर में उन्होंने कभी कोई ऐसा दौर नही देखा जब ऐसी विपदा के समय कोई राजनैतिक दल संगीन भ्रष्टाचार के आरोप में संलिप्त पाए जाए।
उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश की चुनौतियों से निपटने में पूरी तरह असफल साबित हो रही है। लोगों को राहत देने की जगह महंगाई परोसी जा रही है।
किसानों, बागवानों के साथ साथ आम लोगों की समस्याओं की ओर सरकार का कोई भी ध्यान नहीं है।
सरकार पूरी तरह से संवेदनहीन नज़र आ रही है,जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
वीरभद्र सिंह ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग से जुड़े इस रिश्वत मामलें की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि चूंकि यह विभाग मुख्यमंत्री के पास है इसलिए इसकी संवेदनशीलता ओर भी बढ़ जाती है।मुख्यमंत्री को इसकी पूरी जांच किसी सिटिंग जज से करवानी चाहिए।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने प्रदेश सरकार को जो जनहित के सुझाव दिये थे उस पर भी वह आज दिन तक खामोश बैठी है। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस और भाजपा के विधायकों ने इसकी चर्चा के लिए विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की बात कही तो भाजपा अध्यक्ष को यह भी गवारा नहीं लगा।
साफ है कि भाजपा और सरकार के भीतर कोई टकराव चल रहा है। उन्होंने कहा कि उसके अंदर कुछ भी चले, यह उसका अंदरूनी मसला है पर इसमें प्रदेश के लोग नही पिस्से जाने चाहिए। कांग्रेस इसे कभी भी सहन नहीं करेगी।
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