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करसोग ! ममेल से दमेड़ा श्मशान की ओर जाने वाला रास्ता खस्ता हालत में है ! हर व्यक्ति की इच्छा होती है कि उसे सुखद अंतिम श्मशान यात्रा मिले, लेकिन सफीदों में ऐसा नहीं है। करसोग स्थित दमेड़ा श्मशान घाट के बाहर इतना बुरा हाल है कि मुर्दो को सुखद अंतिम श्मशान यात्रा नसीब नहीं है।गाव ममेल के श्मशान घाट की हालत इस तरह खस्ता हो चुकी है कि अगर खराब मौसम के दौरान किसी की मृत्यु हो जाए तो गाव के श्मशान घाट में उसका दाह संस्कार नहीं किया जा सकता। इस कारण गाव के लोगों को मौसम साफ होने तक इंतजार करना पड़ता है या गाव से 2 किलोमीटर दूर में जाकर मृतक का दाह संस्कार करना पड़ता है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस समस्या को लेकर गाववासी प्रधान से कई बार मिल चुके हैं, लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। उनका कहना है कि सरपंच हर बार नया बहाना बनाकर गाव वासियों को टाल देते है। ग्रामीण दिलीप शर्मा, शिवेश दत्त, प्रेम सिंह , सुनिल ,भूपेश , पवन सिंह का कहना है कि श्मशान घाट की इतनी खस्ता हालत है कि वहा बरसात में दाह संस्कार तो दूर, वहा लोग प्रवेश भी नहीं कर सकते है। चुनावी वादों में सिमटा श्मशान लगभग 25000 आबादी वाले क्षेत्र के नागरिकों के लिए श्मशान भूमि एक बड़ी समस्या रही है। यहां हर धर्म हर समुदाय के लोग रहते है। अंत क्रिया के लिए हर समाज के लोगों की यह शिकायत रही है कि श्मशान घाट की व्यवस्था कराई जाए। करसोग के नेता चुनाव के दौरान इसका सुध तो लेते हैं, पर चुनाव बीतने के बाद मुद्दा ठंडे बस्ते में चला जाता है। करसोग के वैकुंठ धाम की स्थिति इतनी जर्जर है कि यहां जान जोखिम में डालकर लोग अंतिम संस्कार कर रहे हैं। वहीं भूमि के लिए पर्याप्त जगह न होने से लोग खुली जगह का इस्तेमाल कर रहे हैं।
करसोग ! ममेल से दमेड़ा श्मशान की ओर जाने वाला रास्ता खस्ता हालत में है ! हर व्यक्ति की इच्छा होती है कि उसे सुखद अंतिम श्मशान यात्रा मिले, लेकिन सफीदों में ऐसा नहीं है। करसोग स्थित दमेड़ा श्मशान घाट के बाहर इतना बुरा हाल है कि मुर्दो को सुखद अंतिम श्मशान यात्रा नसीब नहीं है।गाव ममेल के श्मशान घाट की हालत इस तरह खस्ता हो चुकी है कि अगर खराब मौसम के दौरान किसी की मृत्यु हो जाए तो गाव के श्मशान घाट में उसका दाह संस्कार नहीं किया जा सकता। इस कारण गाव के लोगों को मौसम साफ होने तक इंतजार करना पड़ता है या गाव से 2 किलोमीटर दूर में जाकर मृतक का दाह संस्कार करना पड़ता है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस समस्या को लेकर गाववासी प्रधान से कई बार मिल चुके हैं, लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। उनका कहना है कि सरपंच हर बार नया बहाना बनाकर गाव वासियों को टाल देते है। ग्रामीण दिलीप शर्मा, शिवेश दत्त, प्रेम सिंह , सुनिल ,भूपेश , पवन सिंह का कहना है कि श्मशान घाट की इतनी खस्ता हालत है कि वहा बरसात में दाह संस्कार तो दूर, वहा लोग प्रवेश भी नहीं कर सकते है। चुनावी वादों में सिमटा श्मशान लगभग 25000 आबादी वाले क्षेत्र के नागरिकों के लिए श्मशान भूमि एक बड़ी समस्या रही है। यहां हर धर्म हर समुदाय के लोग रहते है। अंत क्रिया के लिए हर समाज के लोगों की यह शिकायत रही है कि श्मशान घाट की व्यवस्था कराई जाए। करसोग के नेता चुनाव के दौरान इसका सुध तो लेते हैं, पर चुनाव बीतने के बाद मुद्दा ठंडे बस्ते में चला जाता है। करसोग के वैकुंठ धाम की स्थिति इतनी जर्जर है कि यहां जान जोखिम में डालकर लोग अंतिम संस्कार कर रहे हैं। वहीं भूमि के लिए पर्याप्त जगह न होने से लोग खुली जगह का इस्तेमाल कर रहे हैं।
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