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जंजैहली ! सराज घाटी के जंजैहली क्षेत्र में धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया गया होली का पर्व ,2 दिनों से चली आ रही होली का लोगों ने भरपूर आनंद लिया, पहले दिन पारंपरिक होली और दूसरे दिन महिलाओं की होली ने खूब धमाल मचाया, महिलाओं ने होली खेलने के बाद" नाटी' डाली,व गांव की सभी लोगों ने रात्रिभोज इकट्ठा किया ,इसके अलावा जो पहले दिन परंपरिक होली होती है, उसका मनाने का भी अनूठा तरीका है ! मंदिर से टोली निकलती है और पूरे बाजार व गांव में वाद्य यंत्र के साथ होली मनाते हैं इनमें एक पुरुष महिला के कपड़े पहन कर होलिका' का रूप धारण करता है और एक साधु बाबा होते हैं जो 'हिरण्यकशिपु' का प्रतिरूप होते हैं और पूरे गांव व बाजार की फेरी लगा के अंत में होलिका दहन करते हैं । होलिका दहन में झंडे को जलाया जाता है जो होलिका का प्रतीक होता है झंडे को मंदिर के प्रांगण मैं बनाया जाता है और मंदिर के प्रांगण में ही जलाया जाता है, लोग इसका खूब आनंद लेते हैं इस तरह से जंजैहली घाटी में 2 दिन तक होली मनाई गई l
जंजैहली ! सराज घाटी के जंजैहली क्षेत्र में धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया गया होली का पर्व ,2 दिनों से चली आ रही होली का लोगों ने भरपूर आनंद लिया, पहले दिन पारंपरिक होली और दूसरे दिन महिलाओं की होली ने खूब धमाल मचाया, महिलाओं ने होली खेलने के बाद" नाटी' डाली,व गांव की सभी लोगों ने रात्रिभोज इकट्ठा किया ,इसके अलावा जो पहले दिन परंपरिक होली होती है, उसका मनाने का भी अनूठा तरीका है !
मंदिर से टोली निकलती है और पूरे बाजार व गांव में वाद्य यंत्र के साथ होली मनाते हैं इनमें एक पुरुष महिला के कपड़े पहन कर होलिका' का रूप धारण करता है और एक साधु बाबा होते हैं जो 'हिरण्यकशिपु' का प्रतिरूप होते हैं और पूरे गांव व बाजार की फेरी लगा के अंत में होलिका दहन करते हैं । होलिका दहन में झंडे को जलाया जाता है जो होलिका का प्रतीक होता है झंडे को मंदिर के प्रांगण मैं बनाया जाता है और मंदिर के प्रांगण में ही जलाया जाता है, लोग इसका खूब आनंद लेते हैं इस तरह से जंजैहली घाटी में 2 दिन तक होली मनाई गई l
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