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जिला चंबा के दुर्गम इलाकों से बनी दूरिया इनकी दुश्वारिया बढ़ाने लगी हैं। जिन रास्ते से विकास होकर गुजरता और जो पुल नदियों को लांघने में मदद करते हैं, वो यहां हाशिये पर हैं। विकास की राह देखती ये भरमौर की सिंयूर पंचायत है, जिसके कदम इन दिनों रावी नदी पर बने खस्ताहाल लकड़ी के पुल पर डगमगा रहे हैं। होली व भरमौर की दूरियां कम करने के लिए ये हाल ही में पुल की मरम्मत का कार्य पूरा किया था ताकि लोगों को आवाजाही के लिए परेशानी का सामना ना करना पड़े लेकिन बीते 3 दिनों से लगातार बारिश बर्फबारी के कारण। पहाड़ों की चटानी कहर बनकर सियूँर पुल पर गिर गई । जिसके कारण। पुल का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। पुल के टूटने से। यहां आवाजाही जोखिम भरी होकर रह गई है। पुल करीब 30 साल पहले बना जरूर था। टूटे फट्टे, रेलिंग के नाम पर लटके लकड़ी व क्रैश बैरियर के बूते टिका ये पुल हवा के झोंके हिलने लगता था जिसे ठीक तो किया लेकिन मौसम के कहर ने एक बार फिर आवाजाही ठप हो गई है । भूस्खलन के बाद हालात यह हैं कि अब इस पुल से लोग जान जोखिम में डालकर गुजर रहे हैं। एक दूसरे को पकड़कर दूसरे छोर तक पहुंचने में बीच में आते ही सांसें अटक जाती हैं
जिला चंबा के दुर्गम इलाकों से बनी दूरिया इनकी दुश्वारिया बढ़ाने लगी हैं। जिन रास्ते से विकास होकर गुजरता और जो पुल नदियों को लांघने में मदद करते हैं, वो यहां हाशिये पर हैं। विकास की राह देखती ये भरमौर की सिंयूर पंचायत है, जिसके कदम इन दिनों रावी नदी पर बने खस्ताहाल लकड़ी के पुल पर डगमगा रहे हैं। होली व भरमौर की दूरियां कम करने के लिए ये
हाल ही में पुल की मरम्मत का कार्य पूरा किया था ताकि लोगों को आवाजाही के लिए परेशानी का सामना ना करना पड़े लेकिन बीते 3 दिनों से लगातार बारिश बर्फबारी के कारण। पहाड़ों की चटानी कहर बनकर सियूँर पुल पर गिर गई । जिसके कारण। पुल का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। पुल के टूटने से। यहां आवाजाही जोखिम भरी होकर रह गई है।
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पुल करीब 30 साल पहले बना जरूर था। टूटे फट्टे, रेलिंग के नाम पर लटके लकड़ी व क्रैश बैरियर के बूते टिका ये पुल हवा के झोंके हिलने लगता था जिसे ठीक तो किया लेकिन मौसम के कहर ने एक बार फिर आवाजाही ठप हो गई है । भूस्खलन के बाद हालात यह हैं कि अब इस पुल से लोग जान जोखिम में डालकर गुजर रहे हैं। एक दूसरे को पकड़कर दूसरे छोर तक पहुंचने में बीच में आते ही सांसें अटक जाती हैं
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