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बिलासपुर ! प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान के माध्यम से अब किसान रसायन खेती को छोड़कर प्राकृतिक खेती की ओर रुख कर रहे है। जिला बिलासपुर के गांव सायर के उन्नत किसान गगन पाल ने भी लीक से हटकर सोचा और रसायनिक खेती को छोड़कर प्राकृतिक खेती को अपनाकर जहर मुक्त फसलों और सब्जियों के उत्पादन की ओर रुख किया। उनके द्वारा तैयार की गई सब्जियां लोगों को काफी भा रही है और हाथों हाथ ही बिक रही है, जिससे वह अपनी शून्य लागत से आमदनी को बढ़ाने का काम कर रहे है तथा लोगों को भी प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे है। गगनपाल ने पिछले एक वर्ष से प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान के अंतर्गत खेती कर रहे है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष फरवरी, 2019 में आत्मा बिलासपुर द्वारा उन्हें पूना में सुभाष पालेकर फार्म में प्रशिक्षण दिलाया गया था। उसके उपरांत उन्होंने अपनी 5 बीघा भूमि पर प्राकृतिक खेती करना शुरू किया। प्राकृतिक खेती के लिए उन्होंने देसी नस्ल की गीर गाय पाली हुई है। उन्होंने बताया कि एक देसी नस्ल की गाय के गोबर और गो-मूत्र से 150 बीघा तक भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा सकती है। उन्होंने बताया कि गाय के गोमुत्र व गोबर से घनाअमृत और जीवामृत, गुड़ और अन्य प्राकृतिक रूप में मिलने वाले घटकों से तैयार करके इनका इस्तेमाल फसलों और सब्जियों के उत्पादन के लिए कर रहे हैं जिससे न केवल इनके उत्पादन में बढ़ौतरी हो रही है बल्कि इनके उत्पादन की मांग भी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि खेती के लिए वह उत्पादन के लिए रसायनिक खादों का बिलकुल भी प्रयोग नहीं करते बल्कि देसी गाय के गोबर व मलमूत्र से बनाए गए घनाअमृत और जीवामृत और फंगस को खत्म करने के लिए प्राकृतिक रूप से नींम अस्त्र, अग्नि अस्त्र, ब्रहम अस्त्र औ र दस परणीय अर्क (दस पत्तों से तैयार किया हुआ) कीटनाशक घोल तैयार करके उसे इस्तेमाल करते है।
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