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शिमला ! मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शुक्रवार देर सायं नई दिल्ली में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से भेंट की।उन्होंने केंद्रीय मंत्री को हाल ही में राज्य में बादल फटने और भारी बारिश के कारण हुए नुकसान से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि इस मानसून के दौरान भवनों, बुनियादी ढांचे, सड़कों, पुलों, जलापूर्ति योजनाओं, आवासीय संपत्तियों के अलावा बहुमूल्य मानव जीवन को भी भारी नुकसान हुआ है। ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने केंद्रीय मंत्री से जमीन गवां चुके आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए एक बीघा भूमि आवंटित करने की अनुमति देने का आग्रह किया। राज्य का 68 प्रतिशत भाग वन क्षेत्र में है, इसलिए उन्होंने पुनर्वास के लिए वन मानदंडों में ढील देने की आवश्यकता पर बल दिया।उन्होंने नदियों में गाद भरने के बारे में भी चर्चा करते हुए आपदा निवारण के लिए गाद के निपटान के लिए आवश्यक निर्देश देने का आग्रह किया। उन्होंने आग्रह किया कि पहाड़ी राज्यों की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उनके लिए अलग मानदंड निर्धारित किए जाने चाहिए। उन्होंने केंद्रीय मंत्री को प्रदेश में बादल फटने की पुनरावृति के बारे में भी अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि इस मामले पर गृह मंत्री के साथ विचार विमर्श हुआ है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एक केंद्रीय टीम ने राज्य का दौरा भी किया है। बैठक में उप-मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया, विधायक संजय अवस्थी, सुरेश कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव वन के.के. पंत, प्रधान आवासीय आयुक्त अजय यादव और राज्य सरकार तथा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
शिमला ! मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शुक्रवार देर सायं नई दिल्ली में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से भेंट की।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री को हाल ही में राज्य में बादल फटने और भारी बारिश के कारण हुए नुकसान से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि इस मानसून के दौरान भवनों, बुनियादी ढांचे, सड़कों, पुलों, जलापूर्ति योजनाओं, आवासीय संपत्तियों के अलावा बहुमूल्य मानव जीवन को भी भारी नुकसान हुआ है।
ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने केंद्रीय मंत्री से जमीन गवां चुके आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए एक बीघा भूमि आवंटित करने की अनुमति देने का आग्रह किया। राज्य का 68 प्रतिशत भाग वन क्षेत्र में है, इसलिए उन्होंने पुनर्वास के लिए वन मानदंडों में ढील देने की आवश्यकता पर बल दिया।उन्होंने नदियों में गाद भरने के बारे में भी चर्चा करते हुए आपदा निवारण के लिए गाद के निपटान के लिए आवश्यक निर्देश देने का आग्रह किया। उन्होंने आग्रह किया कि पहाड़ी राज्यों की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उनके लिए अलग मानदंड निर्धारित किए जाने चाहिए।
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उन्होंने केंद्रीय मंत्री को प्रदेश में बादल फटने की पुनरावृति के बारे में भी अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि इस मामले पर गृह मंत्री के साथ विचार विमर्श हुआ है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एक केंद्रीय टीम ने राज्य का दौरा भी किया है।
बैठक में उप-मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया, विधायक संजय अवस्थी, सुरेश कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव वन के.के. पंत, प्रधान आवासीय आयुक्त अजय यादव और राज्य सरकार तथा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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