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शिमला , 30 जनवरी [ विशाल सूद ] ! केन्द्रीय बजट से हिमाचल प्रदेश के किसानों और बागवानों को काफी उम्मीदें हैं। 1 फरवरी को केंद्रीय वित मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी ऐसे में हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में 5 हजार करोड़ से ज्यादा की सेब बागवानी से जुड़े बागवानों को बजट से काफी उम्मीदें हैं। हिमाचल प्रदेश संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा की प्री बजट की बैठक में पूर्व की तरह हिमाचल प्रदेश के किसानों बागवानों की मांगों को केंद्र के समक्ष रखा गया है। हरीश चौहान ने कहा कि कीटनाशको और खादों के अलावा सेब के पैकेजिंग और बागवानी उपकरणों पर जीएसटी लिया जाता है बजट में उसमें राहत दी जाए। एमआईएस का बजट घटाये जाने से बागवानो को नुकसान हो रहा हैं। सेब पर आयत शुल्क 100 फीसदी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 44 देशों के सेब में हमारी प्रतिस्पर्धा है। सेब के आयात शुल्क को बढ़ाकर 100 फीसदी किया जाना चाहिए। चौहान ने कहा कि सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी 100 रुपए किया जाए ताकि बाहर से आने वाले सेब की वजह से बागवानों नुकसान न हो। उन्होंने कहा कि प्री बजट मीटिंग जो 9 दिसंबर को हुई थी इस वर्ष भी केंद्रीय वित मंत्री निर्मला सीतारमण से मेल के द्वारा हिमाचल प्रदेश में मार्केटिंग सिस्टम में सुधार की मांग की हैं। इसके अलावा ऑटोमेटिक ग्रेडिंग सोर्टिंग्स मशीन भी होनी चाहिए। उन्होंने मांग की हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड को एक स्पेशल पैकेज दिया जाना चाहिए। वहीं अन्य बागवानों का कहना है कि बागवान सब्सिडी के लिए फॉर्म तो भर देता है लेकिन। समय पर कुछ नहीं मिलता हैं। एंटी हेलनेट और अन्य उपकरणों पर सब्सिडी नहीं मिल रही है जिससे बागवान परेशान हैं। केंद्र से बजट आता हैं लेकिन छोटे किसानों तक बजट पहुंच नहीं पाता हैं। सरकार को इन सब मसलों पर विचार कर किसानों बागवानों की मदद करनी चाहिए।
शिमला , 30 जनवरी [ विशाल सूद ] ! केन्द्रीय बजट से हिमाचल प्रदेश के किसानों और बागवानों को काफी उम्मीदें हैं। 1 फरवरी को केंद्रीय वित मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी ऐसे में हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में 5 हजार करोड़ से ज्यादा की सेब बागवानी से जुड़े बागवानों को बजट से काफी उम्मीदें हैं। हिमाचल प्रदेश संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा की प्री बजट की बैठक में पूर्व की तरह हिमाचल प्रदेश के किसानों बागवानों की मांगों को केंद्र के समक्ष रखा गया है।
हरीश चौहान ने कहा कि कीटनाशको और खादों के अलावा सेब के पैकेजिंग और बागवानी उपकरणों पर जीएसटी लिया जाता है बजट में उसमें राहत दी जाए। एमआईएस का बजट घटाये जाने से बागवानो को नुकसान हो रहा हैं। सेब पर आयत शुल्क 100 फीसदी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 44 देशों के सेब में हमारी प्रतिस्पर्धा है। सेब के आयात शुल्क को बढ़ाकर 100 फीसदी किया जाना चाहिए।
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चौहान ने कहा कि सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी 100 रुपए किया जाए ताकि बाहर से आने वाले सेब की वजह से बागवानों नुकसान न हो। उन्होंने कहा कि प्री बजट मीटिंग जो 9 दिसंबर को हुई थी इस वर्ष भी केंद्रीय वित मंत्री निर्मला सीतारमण से मेल के द्वारा हिमाचल प्रदेश में मार्केटिंग सिस्टम में सुधार की मांग की हैं। इसके अलावा ऑटोमेटिक ग्रेडिंग सोर्टिंग्स मशीन भी होनी चाहिए। उन्होंने मांग की हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड को एक स्पेशल पैकेज दिया जाना चाहिए।
वहीं अन्य बागवानों का कहना है कि बागवान सब्सिडी के लिए फॉर्म तो भर देता है लेकिन। समय पर कुछ नहीं मिलता हैं। एंटी हेलनेट और अन्य उपकरणों पर सब्सिडी नहीं मिल रही है जिससे बागवान परेशान हैं। केंद्र से बजट आता हैं लेकिन छोटे किसानों तक बजट पहुंच नहीं पाता हैं। सरकार को इन सब मसलों पर विचार कर किसानों बागवानों की मदद करनी चाहिए।
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