
- विज्ञापन (Article Top Ad) -
चम्बा ! अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष पर राजकीय महाविद्यालय चंबा में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ शिव दयाल मुख्यातिथि के रूप में मौजूद रहे। इस अवसर पर डॉ ज्योतिंद्रा ठाकुर व डॉ महिंदर सलारिया मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे। अपने वक्तव्य में डॉ ज्योतिन्द्रा ठाकुर व डॉ सलारिया ने समाज में हो रहे बदलाव के साथ महिलाओं की स्थिति में हो रहे बदलाव, समाज में महिलाओं की अभूतपूर्व भूमिका, महिला का बेटी, बहन, बहु, सास, मां, बीवी की भूमिका का निर्वाहन, मातृशक्ति के सशक्तिकरण की आवश्यकता, इंसान के जीवन में उसकी सफलता के पीछे मातृशक्ति का योगदान इत्यादि प्रमुख मुद्दों पर विशेष रूप से प्रकाश डाला। प्रोफेसर पूर्णिमा शर्मा ने भी बदलते सामाजिक परिवेश में महिलाओं की बदलती भूमिका पर प्रकाश डाला। इसके उपरांत प्रोफेसर प्रशांत ने महिला दिवस की पूर्व संध्या के अवसर पर महिलाओं के सुदृढ़ीकरण एवं सशक्तिकरण का पुरज़ोर समर्थन करते हुए कहा कि आज के इस दौर में समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी उतनी ही आवश्यक है जितनी पुरुषों की। कोई भी कार्य महिलाओं की सकारात्मक भागीदारी के बिना सम्पूर्णता तक नहीं पहुंच सकता है।
चम्बा ! अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष पर राजकीय महाविद्यालय चंबा में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ शिव दयाल मुख्यातिथि के रूप में मौजूद रहे। इस अवसर पर डॉ ज्योतिंद्रा ठाकुर व डॉ महिंदर सलारिया मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे। अपने वक्तव्य में डॉ ज्योतिन्द्रा ठाकुर व डॉ सलारिया ने समाज में हो रहे बदलाव के साथ महिलाओं की स्थिति में हो रहे बदलाव, समाज में महिलाओं की अभूतपूर्व भूमिका, महिला का बेटी, बहन, बहु, सास, मां, बीवी की भूमिका का निर्वाहन, मातृशक्ति के सशक्तिकरण की आवश्यकता, इंसान के जीवन में उसकी सफलता के पीछे मातृशक्ति का योगदान इत्यादि प्रमुख मुद्दों पर विशेष रूप से प्रकाश डाला।
प्रोफेसर पूर्णिमा शर्मा ने भी बदलते सामाजिक परिवेश में महिलाओं की बदलती भूमिका पर प्रकाश डाला। इसके उपरांत प्रोफेसर प्रशांत ने महिला दिवस की पूर्व संध्या के अवसर पर महिलाओं के सुदृढ़ीकरण एवं सशक्तिकरण का पुरज़ोर समर्थन करते हुए कहा कि आज के इस दौर में समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी उतनी ही आवश्यक है जितनी पुरुषों की। कोई भी कार्य महिलाओं की सकारात्मक भागीदारी के बिना सम्पूर्णता तक नहीं पहुंच सकता है।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -