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चम्बा ! आज दिनांक 3 जुलाई 2020 को केंद्रीय ट्रेड यूनियन मंच के आह्वान पर जिला चंबा में विरोध प्रदर्शन किया गया। मजदूरों की मांगोें को लेकर जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया । मजदूर यूनियनों ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते देश में लगभग 14 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई है। कारखानों में मजदूरों की बड़े पैमाने पर छंटनी हो रही है। मजदूरों को मालिकों द्वारा अप्रेल मई व जून का वेतन तक नहीं दिया गया है। मजदूर भूख से तड़प रहे हैं परंतु सरकार कुछ भी नहीं कर रही है। इस दौरान भूख से देश में लगभग 900 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है। सरकर पूंजीपतियों से मिलकर श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलाव ला रही है जिस से आने वाले समय में मजदूरों का शोषण बढ़ेगा और पूंजीपतियों को अपनी मनमानी करने का पूरा अवसर मिलेगा । देश की केंद्र व कई राज्य सरकारों ने बड़े पैमाने पर श्रम कानूनों में बदलाव कर दिये हैं या प्रस्तावित हैं । जिसमें फैक्टरी एक्ट, वेतन अधिनियम , कांट्रेक्ट लेबर एक्ट, इंडस्ट्रियल डिस्पयुट एक्ट में बदलाव , 8 घंटे की ड्यूटी 12 घंटे करना मजदूरों के अधिकारों पर जबरदस्त हमला है । कई राज्यों ने उत्तर प्रदेश , मध्यप्रदेश , हरियाणा, त्रिपुरा ,हिमाचल , गुजरात , पंजाब , महाराष्ट्र ने श्रम कानून में बदलाव कर दिये हैं अथवा कुछ संशोधन प्रस्तावित हैं। जिसका केंद्रीय ट्रेड यूनियन कड़ा विरोध करती हैं इस से ना केवल मजदूरों की छंटनी होगी अपितु बंधुआ मजदूरों की स्थिति हो जायेगी। अत: इसे तुरंत वापिस लिया जाये। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मांग की है कि केंद्र सरकार के फैसले अनुसार अप्रेल ,मई जून का वेतन का भुगतान तुरंत किया जाये व इसकी अह्वेलना करने वाले नियोक्ताओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाये । यूनियनों के जिला प्रशासन से भी मांग की है कि मजदूर जो निजी क्षेत्र में काम करते हैं उन्हे लॉकडाउन के समय के वेतन का भुगतान करवाया जाये। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने कहा है कि अगर सरकार यूनियनों की मांगो पर गौर नहीं करती है तो आने वाले समय में पूरे देश में मेहनतकश जनता के आंदोलन का सामना करना पड़ेगा।
चम्बा ! आज दिनांक 3 जुलाई 2020 को केंद्रीय ट्रेड यूनियन मंच के आह्वान पर जिला चंबा में विरोध प्रदर्शन किया गया। मजदूरों की मांगोें को लेकर जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया । मजदूर यूनियनों ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते देश में लगभग 14 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई है।
कारखानों में मजदूरों की बड़े पैमाने पर छंटनी हो रही है। मजदूरों को मालिकों द्वारा अप्रेल मई व जून का वेतन तक नहीं दिया गया है। मजदूर भूख से तड़प रहे हैं परंतु सरकार कुछ भी नहीं कर रही है। इस दौरान भूख से देश में लगभग 900 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है।
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सरकर पूंजीपतियों से मिलकर श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलाव ला रही है जिस से आने वाले समय में मजदूरों का शोषण बढ़ेगा और पूंजीपतियों को अपनी मनमानी करने का पूरा अवसर मिलेगा । देश की केंद्र व कई राज्य सरकारों ने बड़े पैमाने पर श्रम कानूनों में बदलाव कर दिये हैं या प्रस्तावित हैं ।
जिसमें फैक्टरी एक्ट, वेतन अधिनियम , कांट्रेक्ट लेबर एक्ट, इंडस्ट्रियल डिस्पयुट एक्ट में बदलाव , 8 घंटे की ड्यूटी 12 घंटे करना मजदूरों के अधिकारों पर जबरदस्त हमला है । कई राज्यों ने उत्तर प्रदेश , मध्यप्रदेश , हरियाणा, त्रिपुरा ,हिमाचल , गुजरात , पंजाब , महाराष्ट्र ने श्रम कानून में बदलाव कर दिये हैं अथवा कुछ संशोधन प्रस्तावित हैं। जिसका केंद्रीय ट्रेड यूनियन कड़ा विरोध करती हैं इस से ना केवल मजदूरों की छंटनी होगी अपितु बंधुआ मजदूरों की स्थिति हो जायेगी।
अत: इसे तुरंत वापिस लिया जाये। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मांग की है कि केंद्र सरकार के फैसले अनुसार अप्रेल ,मई जून का वेतन का भुगतान तुरंत किया जाये व इसकी अह्वेलना करने वाले नियोक्ताओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाये ।
यूनियनों के जिला प्रशासन से भी मांग की है कि मजदूर जो निजी क्षेत्र में काम करते हैं उन्हे लॉकडाउन के समय के वेतन का भुगतान करवाया जाये। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने कहा है कि अगर सरकार यूनियनों की मांगो पर गौर नहीं करती है तो आने वाले समय में पूरे देश में मेहनतकश जनता के आंदोलन का सामना करना पड़ेगा।
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