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चम्बा ,26 दिसंबर ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान से 25 दिसम्बर को 'कला सृजन पाठशाला' द्वारा हिन्दी प्रसिद्ध कवि रघुवीर सहाय के जन्मोत्सव पर आयोजन सत्र-43 के तहत कविता-पाठ तथा लेख- पाठ का गूगल-मीट के माध्यम से आयोजन किया। इस सुअवसर पर सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ राजकीय महाविद्यालय चम्बा के छात्रों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम शुरू करने से पूर्व बिछड़े आलोचक मैनेजर पाण्डेय, पत्रकार व लेखक रमेश नैय्यर, प्रेमाख्यानों के अप्रतिम अध्येता और विश्लेषक श्याम नारायण पाण्डेय तथा आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी को याद करते हुए मौन रख कर श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम की शुरुआत अध्यक्ष शरत् शर्मा ने रघुवीर सहाय के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पढ़ते हुए तथा उनके काव्य का विश्लेषण करते हुए की। इसके पश्चात सभी कवियों ने अपनी अपनी रचनाओं से सभी को भावविभोर किया। कार्यक्रम की शुरुआत पूजा शर्मा की कविता ' जिन्दगी की हकीकत' द्वारा हुई। हिमानी टण्डन ने 'आगे बढे चलो' कविता द्वारा मंजिल की ओर अनवरत आगे बढने का संदेश दिया। पमेश कुमार ने 'मेरा हिन्दुस्तान हो' कविता द्वारा एक आदर्श हिन्दुस्तान की कल्पना की। महाविद्यालय के छात्र सौरभ ने 'इक रात थी अजीब सी' कविता द्वारा समा बान्धा। कवयित्री रेखा गक्खड ने 'पहुंचना' तथा 'यूं ही' कविता द्वारा प्रकृति का बखूबी चित्रण किया। अपनी कविता के बाद मंडी के कवि सुरेश सेन निशांत की कविता 'पहुँचना' का पाठ करके कवि तथा कवि की संवेदना को श्रोताओं तक ट्रांसफर किया। वरिष्ठ आलोचक व समीक्षक डॉ.हरि शर्मा ने 'सबको सब कुछ मिले' शीर्षक लेख द्वारा कवि कुमार कृष्ण की रचना धर्मिता में विद्यमान तथा अनछुए अनेकों बिंदुओं पर गहन प्रकाश डाला। इसके साथ ही रघुवीर सहाय पर समीक्षात्मक लेख पढ़ कर रघुवीर सहाय के रचनाधर्म को उजागर किया। सृजन पाठशाला के महासचिव तथा राजकीय महाविद्यालय चंबा के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.संतोष कुमार ने 'कब तक' कविता द्वारा नारी के ऊपर हो रहे अत्याचारों पर मार्मिक कविता का पाठ सबको मन्त्रमुग्ध किया। पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने स्वरचित कविता सबके पास के पाठ द्वारा घर को वास्तविक घर कैसे बनाया जाया से अवगत करवाते हुए सभी सदस्यों को परिवार के संगठन के प्रति जागरूक किया। इसके साथ ही हमीरपुर के लेखक अनूप सेठी की कविता पुस्तक जगत में मेला से कविता पाठ करके श्रोताओं का परिचय कवि तथा उसके लेखन से करवाया। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर संतोष कुमार ने अपनी त्वरित टिप्पणियों के साथ किया। अपने सन्देश में कला सृजन पाठशाला के संरक्षक बालकृष्ण पराशर ने कहा कि प्रत्येक आयोजन में विश्व अथवा देश के ज्वलंत मुद्दों पर भी किसी न किसी रूप में रचनाओं का होना जरूरी है। इससे कला सृजन पाठशाला की रचनाशीलता और अधिक सार्थक बनेगी। वहीं वित्त सलाहकार धर्मवीर शर्मा ने अपने वक्तव्य से सबका ध्यान इस ओर खींचा कि सृजन और आयोजन का कार्य बड़े लम्बे समय से बिना फाइनेंस के ही मैनेज करने के लिए पाठशाला कृतसंकल्प प्रतीत होती है। कला सृजन पाठशाला की सचिव रेखा गक्खड रश्मि ने सभी रचनाओं का सटीक विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए आयोजन सत्र-43 में उपस्थित दो दर्जन कलाकारों, लेखकों, रचनाकारों तथा समीक्षकों के साथ आयोजन को विराम दिया। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
चम्बा ,26 दिसंबर ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान से 25 दिसम्बर को 'कला सृजन पाठशाला' द्वारा हिन्दी प्रसिद्ध कवि रघुवीर सहाय के जन्मोत्सव पर आयोजन सत्र-43 के तहत कविता-पाठ तथा लेख- पाठ का गूगल-मीट के माध्यम से आयोजन किया। इस सुअवसर पर सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ राजकीय महाविद्यालय चम्बा के छात्रों ने भी भाग लिया।
कार्यक्रम शुरू करने से पूर्व बिछड़े आलोचक मैनेजर पाण्डेय, पत्रकार व लेखक रमेश नैय्यर, प्रेमाख्यानों के अप्रतिम अध्येता और विश्लेषक श्याम नारायण पाण्डेय तथा आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी को याद करते हुए मौन रख कर श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम की शुरुआत अध्यक्ष शरत् शर्मा ने रघुवीर सहाय के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पढ़ते हुए तथा उनके काव्य का विश्लेषण करते हुए की। इसके पश्चात सभी कवियों ने अपनी अपनी रचनाओं से सभी को भावविभोर किया। कार्यक्रम की शुरुआत पूजा शर्मा की कविता ' जिन्दगी की हकीकत' द्वारा हुई। हिमानी टण्डन ने 'आगे बढे चलो' कविता द्वारा मंजिल की ओर अनवरत आगे बढने का संदेश दिया।
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पमेश कुमार ने 'मेरा हिन्दुस्तान हो' कविता द्वारा एक आदर्श हिन्दुस्तान की कल्पना की। महाविद्यालय के छात्र सौरभ ने 'इक रात थी अजीब सी' कविता द्वारा समा बान्धा। कवयित्री रेखा गक्खड ने 'पहुंचना' तथा 'यूं ही' कविता द्वारा प्रकृति का बखूबी चित्रण किया। अपनी कविता के बाद मंडी के कवि सुरेश सेन निशांत की कविता 'पहुँचना' का पाठ करके कवि तथा कवि की संवेदना को श्रोताओं तक ट्रांसफर किया। वरिष्ठ आलोचक व समीक्षक डॉ.हरि शर्मा ने 'सबको सब कुछ मिले' शीर्षक लेख द्वारा कवि कुमार कृष्ण की रचना धर्मिता में विद्यमान तथा अनछुए अनेकों बिंदुओं पर गहन प्रकाश डाला। इसके साथ ही रघुवीर सहाय पर समीक्षात्मक लेख पढ़ कर रघुवीर सहाय के रचनाधर्म को उजागर किया।
सृजन पाठशाला के महासचिव तथा राजकीय महाविद्यालय चंबा के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.संतोष कुमार ने 'कब तक' कविता द्वारा नारी के ऊपर हो रहे अत्याचारों पर मार्मिक कविता का पाठ सबको मन्त्रमुग्ध किया।
पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने स्वरचित कविता सबके पास के पाठ द्वारा घर को वास्तविक घर कैसे बनाया जाया से अवगत करवाते हुए सभी सदस्यों को परिवार के संगठन के प्रति जागरूक किया। इसके साथ ही हमीरपुर के लेखक अनूप सेठी की कविता पुस्तक जगत में मेला से कविता पाठ करके श्रोताओं का परिचय कवि तथा उसके लेखन से करवाया।
इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर संतोष कुमार ने अपनी त्वरित टिप्पणियों के साथ किया। अपने सन्देश में कला सृजन पाठशाला के संरक्षक बालकृष्ण पराशर ने कहा कि प्रत्येक आयोजन में विश्व अथवा देश के ज्वलंत मुद्दों पर भी किसी न किसी रूप में रचनाओं का होना जरूरी है। इससे कला सृजन पाठशाला की रचनाशीलता और अधिक सार्थक बनेगी।
वहीं वित्त सलाहकार धर्मवीर शर्मा ने अपने वक्तव्य से सबका ध्यान इस ओर खींचा कि सृजन और आयोजन का कार्य बड़े लम्बे समय से बिना फाइनेंस के ही मैनेज करने के लिए पाठशाला कृतसंकल्प प्रतीत होती है। कला सृजन पाठशाला की सचिव रेखा गक्खड रश्मि ने सभी रचनाओं का सटीक विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए आयोजन सत्र-43 में उपस्थित दो दर्जन कलाकारों, लेखकों, रचनाकारों तथा समीक्षकों के साथ आयोजन को विराम दिया।
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