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बादल आए, एक कविता - डॉ.एम.डी.सिंह ! बादल आए बादल आए बारिश लेकर बादल आए गोलू दौड़ा गीता दौड़ी रोहन साथ संगीता दौड़ी शमशेर दौड़ा गिरा धड़ाम चप्पल छोड़ लोलीता दौड़ी भीग -भीग कर खूब नहाए बादल आए बादल आए काले घने गरजते बादल झम झमा झम बरसते बादल ऊपर नीचे रहे हैं दौड़ धूम धड़ाम कड़कते बादल बन्दी हुई रेनी डे लाए बादल आए बादल आए मेंढक टर्र-टर्र बोल रहे हैं मोर परों को खोल रहे हैं बिल्ली दुबकी कोने बैठी चूहे लप-लप डोल रहे हैं खुश किसान पौधे लहराए बादल आए बादल आए दादू पकड़े दादी डांटे मम्मी दौड़े दिखाकर चांटे बाल- बालिका भागे सारे लंबे-छोटे व मोटे-नाटे पानी भरे बताशे लाए बादल आए बादल आए।। डॉ एम डी सिंह पीरनगर ,गाजीपुर यू पी में पिछले पचास सालों से ग्रामीण क्षेत्रों में होमियोपैथी की चिकित्सा कर रहे हैं
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