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शिमला ! निजी बस ऑपरेटर ने फिर रोया खर्चा पूरा न होने का रोना , सरकार से कि आर्थिक सहायता की मांग , कहा बस ओपेरटर नहीं चाहते किराया वृद्धि से आम जनता पर डाल जाए बोझ , लेकिन आर्थिक नुक्सान के चलते ज्यादा दिन नहीं दे सकेंगे सेवा। किराया वृद्धि की बात सामने आने के बाद निजी बस ऑपरेटर भी सामने आए और एक बार फिर से ताज़ा हालातों में बस चलाने में असमर्थता जताई है और कहा कि वे सरकार पर किराया वृद्धि का कोई दबाव नहीं बना रहे हैं लेकिन निजी बस ओपेरटर काफी आर्थिक नुक्सान में चल रहे है क्यूंकि अभी बसों में लोग बैठा नहीं रहे है जिससे खर्चा निकालना मुश्किल हो गया है इसलिए सरकार निजी बस ऑपरेटरों को राहत देकर उनकी परेशानी कम करे और लोगों पर भी कोई बोझ न पड़े। क्योंकि डीजल की कीमतों में पिछले कुछ अरसे से लगातार वृद्धि हुई है जिससे बोझ और बढ़ गया है। शिमला में निजी बस ओपेरटर के प्रदेशाध्यक्ष राजेश पराशर ने पत्रकार वार्ता कर कहा कि तीन महीनों में निजी बस ओपेरटर को काफी नुक्सान हुआ है लेकिन सामाजिक दायित्व को समझते हुए घाटे में भी बसे चला रहे है ताकि इस संकट की घड़ी में लोगों को परेशान न होना पड़े लेकिन जयादा समय तक घाटे में बसे चलाई नहीं जा सकती है इसलिए सरकार निजी बस ऑपरेटर को कोई आर्थिक सहायता दे और जिस तरह से कुछ यूनियनों ने एक सॉफ्टवेर तेयार कर डीजल ,दुरी के हिसाब से प्रति किलो मीटर भाडा तय किया है उसी तरह का सॉफ्टवेर तेयार कर निजी बस में भी किराया तय किया जाए ताकि तेल कि कीमते बढ़ने पर किराया बढे और कम होने पर किराया का कम कर जनता को राहत दी जा सके।
शिमला ! निजी बस ऑपरेटर ने फिर रोया खर्चा पूरा न होने का रोना , सरकार से कि आर्थिक सहायता की मांग , कहा बस ओपेरटर नहीं चाहते किराया वृद्धि से आम जनता पर डाल जाए बोझ , लेकिन आर्थिक नुक्सान के चलते ज्यादा दिन नहीं दे सकेंगे सेवा।
किराया वृद्धि की बात सामने आने के बाद निजी बस ऑपरेटर भी सामने आए और एक बार फिर से ताज़ा हालातों में बस चलाने में असमर्थता जताई है और कहा कि वे सरकार पर किराया वृद्धि का कोई दबाव नहीं बना रहे हैं लेकिन निजी बस ओपेरटर काफी आर्थिक नुक्सान में चल रहे है क्यूंकि अभी बसों में लोग बैठा नहीं रहे है जिससे खर्चा निकालना मुश्किल हो गया है इसलिए सरकार निजी बस ऑपरेटरों को राहत देकर उनकी परेशानी कम करे और लोगों पर भी कोई बोझ न पड़े। क्योंकि डीजल की कीमतों में पिछले कुछ अरसे से लगातार वृद्धि हुई है जिससे बोझ और बढ़ गया है।
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शिमला में निजी बस ओपेरटर के प्रदेशाध्यक्ष राजेश पराशर ने पत्रकार वार्ता कर कहा कि तीन महीनों में निजी बस ओपेरटर को काफी नुक्सान हुआ है लेकिन सामाजिक दायित्व को समझते हुए घाटे में भी बसे चला रहे है ताकि इस संकट की घड़ी में लोगों को परेशान न होना पड़े लेकिन जयादा समय तक घाटे में बसे चलाई नहीं जा सकती है इसलिए सरकार निजी बस ऑपरेटर को कोई आर्थिक सहायता दे और जिस तरह से कुछ यूनियनों ने एक सॉफ्टवेर तेयार कर डीजल ,दुरी के हिसाब से प्रति किलो मीटर भाडा तय किया है उसी तरह का सॉफ्टवेर तेयार कर निजी बस में भी किराया तय किया जाए ताकि तेल कि कीमते बढ़ने पर किराया बढे और कम होने पर किराया का कम कर जनता को राहत दी जा सके।
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