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शिमला ,05 नवंबर ! भारतीय जीवन मूल्य त्याग, क्षमा, दया, सेवा, सदभावना व सामंजस्य पर आधारित है। ये मूल्य महिलाओं व पुरुषों पर एक समान लागू होते हैं। भारतीय चिंतन में महिला को गृहलक्ष्मी का दर्जा प्राप्त रहा है और वर्तमान में भारतीय महिलाएं खेती से सेना तक सभी क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं। ये विचार शिमला में नारी शक्ति संगम- महिला कल, आज और कल के उद्घाटन अवसर पर केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की सदस्य श्रीमती मनोरमा मिश्रा ने रखे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारतीय विवाहों में पंड़ित वेद की जिन ऋचाएं का उच्चारण करते हैं, उनकी रचना 5 हजार साल पहले ऋषिका सूर्या सावित्री द्वारा की गई। वैदिक परम्परा में जब महिला अपनी ससुराल में प्रवेश करती थी तो उन्हें सम्राज्ञी कह कर सम्बोधित किया जाता था। यही नहीं याज्ञवलक, शंकराचार्य जैसे का विद्वान का प्रमाणीकरण भी गृहस्थ आश्रम में रही गार्गी और भारती द्वारा किया गया। रामायण काल में महाराज राजा दशरथ को युद्ध क्षेत्र से बचाने वाली केकई हो या फिर भरत व राम की अनुपस्थिति में अयोध्या राज्य को संभालने वाली मांडवी और उर्मिला हो। द्वापर में द्रोपदी को न्याय करने वाली स्त्री का दर्जा प्राप्त हुआ। मनोरमा मिश्रा ने बताया कि मुगलों के आक्रमणों और अंग्रजों की गुलामी के दौर में भारत में महिलाओं पर कई अत्याचार हुए। जिसके चलते पश्चिम बंगाल और राजस्थान राज्य में सती प्रथा, बाल विवाह जैसी कुरीतियां समाज में आई। वर्तमान में भी युवाओं में नशे के प्रति बढ़ती लत, समलैंगिक विवाह, महिलाओं में बढ़ा अनिमिया का स्तर, विदेशी खानपान से कमजोर होता स्वास्थ्य, तथा विदेशी परम्पराओं से दूषित होती परिवार व्यवस्था चिंता का विषय बना हुआ है। इन सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए भारतीय महिलाओं को अपने परिवार व बच्चों को भारतीय परम्पराओं से जोड़ना होगा उन्हें नशे के खिलाफ जागरूक करना होगा। साथ ही स्वदेशी के प्रति रूझान बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि ये सभी कार्य करने में भारतीय महिलाएं सक्षम है बस जरूत है कि भारतीय चिंतन और विचारों के अध्ययन की। उन्होंने उपस्थित महिलाओं से समाज सेवी सस्थाओं में जुड़ने का भी आह्वान किया। वहीं कार्यक्रम के समापन अवसर पर विख्यात फैशन डिजाइनर व लेखिका अन्जु पाण्डे ने महिलाओं से जल-जंगल-जानवर व जमीन की स्वच्छता के माध्यम से पर्यावरण का संदेश दिया। साथ ही लोकल फोर वोकल सहित अपने विशेष दिन व त्यौहारों को भारतीय परम्पराओं के अनुसार मनाने पर बल दिया। उन्होंने महिलाओं को डिप्रैशन से बचने के लिए समाज सेवा के कार्यों से जुड़ने का भी आह्वान किया तथा उन्हें अपने जीवन में आत्मसंतुष्टि प्राप्त हो सके। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि प्रजापति ब्रह्मकुमारी आध्यात्मिक विश्वविद्यालय पंथाघाटी शिमला की मुख्य शिक्षिका ब्रह्मकुमारी सुनीता और आर्ट ऑफ लिविंग प्रांत संयोजिका सोनिया मिनोचा उपस्थित रही। नारी शक्ति संगम में शिमला शहर और साथ लगते ग्रामीण क्षेत्रों से करीब एक हजार महिलाओं, युवतीयों ने भाग लिया। इस दौरान महिलाओं के लिए ग्रुप डिस्कशन का भी कालांश रखा गया। जहां महिलाओं ने विभिन्न विषयों पर चर्चा में भाग लिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार शिमला सहित प्रदेश के 26 स्थानों पर इसी प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। 19 नवम्बर को प्रदेश के महासू, चम्बा, करसोग और हमीरपुर में भी नारी शक्ति संगम आयोजित किए जाएंगे। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
शिमला ,05 नवंबर ! भारतीय जीवन मूल्य त्याग, क्षमा, दया, सेवा, सदभावना व सामंजस्य पर आधारित है। ये मूल्य महिलाओं व पुरुषों पर एक समान लागू होते हैं। भारतीय चिंतन में महिला को गृहलक्ष्मी का दर्जा प्राप्त रहा है और वर्तमान में भारतीय महिलाएं खेती से सेना तक सभी क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं। ये विचार शिमला में नारी शक्ति संगम- महिला कल, आज और कल के उद्घाटन अवसर पर केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की सदस्य श्रीमती मनोरमा मिश्रा ने रखे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारतीय विवाहों में पंड़ित वेद की जिन ऋचाएं का उच्चारण करते हैं, उनकी रचना 5 हजार साल पहले ऋषिका सूर्या सावित्री द्वारा की गई। वैदिक परम्परा में जब महिला अपनी ससुराल में प्रवेश करती थी तो उन्हें सम्राज्ञी कह कर सम्बोधित किया जाता था।
यही नहीं याज्ञवलक, शंकराचार्य जैसे का विद्वान का प्रमाणीकरण भी गृहस्थ आश्रम में रही गार्गी और भारती द्वारा किया गया। रामायण काल में महाराज राजा दशरथ को युद्ध क्षेत्र से बचाने वाली केकई हो या फिर भरत व राम की अनुपस्थिति में अयोध्या राज्य को संभालने वाली मांडवी और उर्मिला हो। द्वापर में द्रोपदी को न्याय करने वाली स्त्री का दर्जा प्राप्त हुआ।
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मनोरमा मिश्रा ने बताया कि मुगलों के आक्रमणों और अंग्रजों की गुलामी के दौर में भारत में महिलाओं पर कई अत्याचार हुए। जिसके चलते पश्चिम बंगाल और राजस्थान राज्य में सती प्रथा, बाल विवाह जैसी कुरीतियां समाज में आई। वर्तमान में भी युवाओं में नशे के प्रति बढ़ती लत, समलैंगिक विवाह, महिलाओं में बढ़ा अनिमिया का स्तर, विदेशी खानपान से कमजोर होता स्वास्थ्य, तथा विदेशी परम्पराओं से दूषित होती परिवार व्यवस्था चिंता का विषय बना हुआ है।
इन सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए भारतीय महिलाओं को अपने परिवार व बच्चों को भारतीय परम्पराओं से जोड़ना होगा उन्हें नशे के खिलाफ जागरूक करना होगा। साथ ही स्वदेशी के प्रति रूझान बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि ये सभी कार्य करने में भारतीय महिलाएं सक्षम है बस जरूत है कि भारतीय चिंतन और विचारों के अध्ययन की। उन्होंने उपस्थित महिलाओं से समाज सेवी सस्थाओं में जुड़ने का भी आह्वान किया। वहीं कार्यक्रम के समापन अवसर पर विख्यात फैशन डिजाइनर व लेखिका अन्जु पाण्डे ने महिलाओं से जल-जंगल-जानवर व जमीन की स्वच्छता के माध्यम से पर्यावरण का संदेश दिया। साथ ही लोकल फोर वोकल सहित अपने विशेष दिन व त्यौहारों को भारतीय परम्पराओं के अनुसार मनाने पर बल दिया। उन्होंने महिलाओं को डिप्रैशन से बचने के लिए समाज सेवा के कार्यों से जुड़ने का भी आह्वान किया तथा उन्हें अपने जीवन में आत्मसंतुष्टि प्राप्त हो सके।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि प्रजापति ब्रह्मकुमारी आध्यात्मिक विश्वविद्यालय पंथाघाटी शिमला की मुख्य शिक्षिका ब्रह्मकुमारी सुनीता और आर्ट ऑफ लिविंग प्रांत संयोजिका सोनिया मिनोचा उपस्थित रही। नारी शक्ति संगम में शिमला शहर और साथ लगते ग्रामीण क्षेत्रों से करीब एक हजार महिलाओं, युवतीयों ने भाग लिया। इस दौरान महिलाओं के लिए ग्रुप डिस्कशन का भी कालांश रखा गया। जहां महिलाओं ने विभिन्न विषयों पर चर्चा में भाग लिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार शिमला सहित प्रदेश के 26 स्थानों पर इसी प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। 19 नवम्बर को प्रदेश के महासू, चम्बा, करसोग और हमीरपुर में भी नारी शक्ति संगम आयोजित किए जाएंगे।
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