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शिमला , 25 फरवरी ! डॉ.. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र मशोबरा तथा जुब्बल फार्म लैंड (एफ.पी.ओ.) के संयुक्त तत्वावधान में शिमला जिले के जुब्बल क्षेत्र मे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित कृषि फसलो की माईट पर नेटवर्क प्रोजैक्ट के अन्तर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में 100 से अधिक बागवानों ने भाग लिया। इस अवसर पर परियोजना प्रभारी व कीट वैज्ञानिक डॉ. संगीता शर्मा ने बागवानों को सेब, नाशपाती तथा गुठलीदार फलों को नुकसान पहुंचाने वाली विभिन्न प्रजाती की माईट के बारे मे महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बागवानों को बताया कि माईट पत्तों से रस चूसती है जिसके कारण पत्ते फीके पड़ जाते हैं और अंत में तांबें के रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। फल कच्चे तथा छोटे आकार के रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि इसके कारण अगले वर्ष बीमें कम बनते हैं और फल उत्पादन में भारी कमी आती है। उन्होंने बागवानों को मित्र कीटों के बारे में भी जागरूक किया। उन्होंने माईट के सर्दियों के अण्डों को फूटने से बचाने के लिए हार्टिकल्चरल मिनरल तैलों का हरित कली अवस्था पर छिड़काव करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि यदि माईट की संख्या प्रति पत्ता 6-8 हो जाए तो माईटनाशकों का छिड़काव किया जाना चाहिए। इस अवसर पर फल विशेषज्ञ डॉ. नीना चौहान, पादप रोग वैज्ञान्कि डॉ उषा शर्मा तथा मृदा विशेषज्ञ डॉ उपेन्द्र शर्मा ने भी बागवानी से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां बागवानों को उपलब्ध करवाई। जुब्बल फार्म लैंड के निदेशक मण्डल शेयरधारक तथा डॉ. वाई.एस. परमार बौद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के सदस्य श्री डिम्पल पांजटा भी उपस्थित थे। इस अवसर पर बागवानों को पाठ्य सामग्री भी निःशुल्क उपलब्ध करवाई गई। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
शिमला , 25 फरवरी ! डॉ.. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र मशोबरा तथा जुब्बल फार्म लैंड (एफ.पी.ओ.) के संयुक्त तत्वावधान में शिमला जिले के जुब्बल क्षेत्र मे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित कृषि फसलो की माईट पर नेटवर्क प्रोजैक्ट के अन्तर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में 100 से अधिक बागवानों ने भाग लिया।
इस अवसर पर परियोजना प्रभारी व कीट वैज्ञानिक डॉ. संगीता शर्मा ने बागवानों को सेब, नाशपाती तथा गुठलीदार फलों को नुकसान पहुंचाने वाली विभिन्न प्रजाती की माईट के बारे मे महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बागवानों को बताया कि माईट पत्तों से रस चूसती है जिसके कारण पत्ते फीके पड़ जाते हैं और अंत में तांबें के रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। फल कच्चे तथा छोटे आकार के रह जाते हैं।
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उन्होंने कहा कि इसके कारण अगले वर्ष बीमें कम बनते हैं और फल उत्पादन में भारी कमी आती है। उन्होंने बागवानों को मित्र कीटों के बारे में भी जागरूक किया। उन्होंने माईट के सर्दियों के अण्डों को फूटने से बचाने के लिए हार्टिकल्चरल मिनरल तैलों का हरित कली अवस्था पर छिड़काव करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि यदि माईट की संख्या प्रति पत्ता 6-8 हो जाए तो माईटनाशकों का छिड़काव किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर फल विशेषज्ञ डॉ. नीना चौहान, पादप रोग वैज्ञान्कि डॉ उषा शर्मा तथा मृदा विशेषज्ञ डॉ उपेन्द्र शर्मा ने भी बागवानी से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां बागवानों को उपलब्ध करवाई। जुब्बल फार्म लैंड के निदेशक मण्डल शेयरधारक तथा डॉ. वाई.एस. परमार बौद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के सदस्य श्री डिम्पल पांजटा भी उपस्थित थे। इस अवसर पर बागवानों को पाठ्य सामग्री भी निःशुल्क उपलब्ध करवाई गई।
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