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शिमला , 26 नवंबर ! मुख्य सचिव आर.डी धीमान ने आज यहां मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख अधिनियम, 2017 पर राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण शिमला द्वारा आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि स्वस्थ जीवन और मानसिक स्वास्थ्य मजबूत समाज के निर्माण के लिए नितांत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी ने विश्वसनीय मानसिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। उन्होंने कहा कि अच्छा स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के वर्ष 2030 के 17 सतत विकास लक्ष्यों में से एक है। सतत विकास लक्ष्य 3 न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान केंद्रित करता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक रोकथाम और उपचार के माध्यम से गैर-संचारी रोगों से समयपूर्व मृत्यु दर को एक तिहाई कम करने और मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने व्यक्तियों, समुदायों और नीति निर्धारकों के रूप में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति मूल्य और प्रतिबद्धता को दृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक भय मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े रोगों के शीघ्र निदान और उपचार पर भी प्रभाव डालता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश मानसिक स्वास्थ्य एवं पुनर्वास अस्पताल शिमला इस विषय के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए नियमित रूप से कार्यशाला, सेमिनार और अन्य गतिविधियों का आयोजन कर रहा है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे जादुई उपचार के झांसे में न आएं क्योंकि यह प्रारंभिक निदान और उपचार में हस्तक्षेप करता है। प्रधान सचिव स्वास्थ्य सुभासीष पन्डा ने मुख्य सचिव का स्वागत किया और राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के विषय में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से ग्रस्त व्यक्तियों को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा विषय है, जिसका सामना विश्व भर में किया जा रहा है। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि यह सभी के लिए सुलभ और सस्ती हो। वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक, हिमाचल प्रदेश मानसिक स्वास्थ्य एवं पुनर्वास अस्पताल शिमला एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी हिमाचल प्रदेश राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण डॉ. संजय पाठक ने मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख अधिनियम, 2017 पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल, मानसिक रूग्णता से ग्रस्त व्यक्तियों और सेवाओं के वितरण के दौरान ऐसे व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा, प्रचार व पूर्ति करने और उससे जुड़े मामलों से सम्बन्धित प्रावधान हैं। इंदिरा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय शिमला के मनोचिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दिनेश दत्त शर्मा ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य सुखमय जीवन की एक अवस्था है, जिसमें व्यक्ति अपनी क्षमताओं का एहसास करता है, जीवन के सामान्य तनावों का सामना कर सकता है, उत्पादक और फलदायी रूप से काम कर सकता है और अपने समुदाय के लिए योगदान करने में सक्षम होता है। इस अवसर पर विभिन्न हितधारकों ने मानसिक स्वास्थ्य विषय पर चर्चा भी की। बैठक में प्रदेश सरकार के सचिवों, विभागाध्यक्षों, वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य हितधारकों ने भाग लिया। Please Submit your Opinion Poll ? [yop_poll id="6"] https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
शिमला , 26 नवंबर ! मुख्य सचिव आर.डी धीमान ने आज यहां मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख अधिनियम, 2017 पर राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण शिमला द्वारा आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि स्वस्थ जीवन और मानसिक स्वास्थ्य मजबूत समाज के निर्माण के लिए नितांत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि कोविड महामारी ने विश्वसनीय मानसिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
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उन्होंने कहा कि अच्छा स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के वर्ष 2030 के 17 सतत विकास लक्ष्यों में से एक है। सतत विकास लक्ष्य 3 न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान केंद्रित करता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक रोकथाम और उपचार के माध्यम से गैर-संचारी रोगों से समयपूर्व मृत्यु दर को एक तिहाई कम करने और मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उन्होंने व्यक्तियों, समुदायों और नीति निर्धारकों के रूप में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति मूल्य और प्रतिबद्धता को दृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक भय मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े रोगों के शीघ्र निदान और उपचार पर भी प्रभाव डालता है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश मानसिक स्वास्थ्य एवं पुनर्वास अस्पताल शिमला इस विषय के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए नियमित रूप से कार्यशाला, सेमिनार और अन्य गतिविधियों का आयोजन कर रहा है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे जादुई उपचार के झांसे में न आएं क्योंकि यह प्रारंभिक निदान और उपचार में हस्तक्षेप करता है।
प्रधान सचिव स्वास्थ्य सुभासीष पन्डा ने मुख्य सचिव का स्वागत किया और राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के विषय में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से ग्रस्त व्यक्तियों को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा विषय है, जिसका सामना विश्व भर में किया जा रहा है। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि यह सभी के लिए सुलभ और सस्ती हो।
वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक, हिमाचल प्रदेश मानसिक स्वास्थ्य एवं पुनर्वास अस्पताल शिमला एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी हिमाचल प्रदेश राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण डॉ. संजय पाठक ने मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख अधिनियम, 2017 पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल, मानसिक रूग्णता से ग्रस्त व्यक्तियों और सेवाओं के वितरण के दौरान ऐसे व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा, प्रचार व पूर्ति करने और उससे जुड़े मामलों से सम्बन्धित प्रावधान हैं।
इंदिरा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय शिमला के मनोचिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दिनेश दत्त शर्मा ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य सुखमय जीवन की एक अवस्था है, जिसमें व्यक्ति अपनी क्षमताओं का एहसास करता है, जीवन के सामान्य तनावों का सामना कर सकता है, उत्पादक और फलदायी रूप से काम कर सकता है और अपने समुदाय के लिए योगदान करने में सक्षम होता है।
इस अवसर पर विभिन्न हितधारकों ने मानसिक स्वास्थ्य विषय पर चर्चा भी की। बैठक में प्रदेश सरकार के सचिवों, विभागाध्यक्षों, वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य हितधारकों ने भाग लिया।
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