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सोलन , [ बद्दी ] 09 फरवरी [ पंकज गोल्डी ] ! बद्दी मे स्थित कंपनी बंकरमैन ने एक नई स्वदेशी तकनीक विकसित की है जिसके द्वारा घर के अंदर या बाहर की दूषित हवा से कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य घातक गैसों को आसानी से अलग करके सांस लेने वाली विशुद्ध व स्वस्थ हवा मे बदला जा सकता है। कंपनी के चेयरमैन मेजर जनरल डॉक्टर श्रीपाल (रिटायर्ड) ने बताया कि बड़े शहरों मे जो आजकल प्रदूषण की समस्ष्या बढ़ रही है, इस तकनीक के इस्तेमाल से उसका भी समाधान आसानी से किया जा सकता है और आने वाले समय मे संपूर्ण वातावरण को जन स्वास्थ्य के अनुकूल साफ एवं शुद्ध रखा जा सकता है तथा उसे भविष्य मे और ज्यादा प्रदूषित होने से भी बचाया जा सकता है। बंकरमैन कंपनी ने इस तकनीक से बने अपने सन्यन्त्रों का प्रदर्शन व परीक्षण हाल ही मे बद्दी मे किया और इसमें भारतीय सेना के अफसरों, वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, आई आई टी के प्रोफेसरों तथा देश के अन्य वैज्ञानिकों व इंजीनियरों ने भी सुचारू रूप से भाग लिया। इन सभी ने परीक्षण के सफल परिणामों की सराहना की। कंपनी ने अभी भी अपने इन सन्यन्त्रों का प्रदर्शन एवं परीक्षण बद्दी में जारी रखा है और देश विदेश के वैज्ञानिकों व इंजीनियरों को इसका निरीक्षण व परीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया है। इस तकनीक की सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इसमे लगे सन्यन्त्रों द्वारा प्रदूषित हवा से कार्बन डाइऑक्साइड, अन्य घातक गैसों तथा प्रदूषण को आसानी से निकालकर पहले फ़िल्टर सामग्री मे इकट्ठा किया जाता है, तथा बाद मे इसके कचरे को ओर्गनिक खाद कैल्सियम रिच ओर्गनिक मैन्योर (क्रोम) मे परिवर्तित करके पोधों और फसलों मे इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह यह एक टिकाऊ परिस्थितिकी तन्त्र की तरह काम करता है जिसमे पेड़ पोधे हमे स्वस्थ जीवन के लिए ऑक्सिजन देते हैं, और हम ( मनुष्य एवं मवेशी ) जो कार्बन डाइऑक्साइड, प्रदूषण व अन्य गैसें प्राकृतिक वातावरण मे उत्पन्न करते हैं, उन्हे हम इन सन्यन्त्रों द्वारा हवा से निकालकर पेड़ पोधो को उर्वरक ओरगनिक खाद के रूप मे वापस कर देते हैं। मेजर जनरल डॉक्टर श्रीपाल को विश्व के अग्रणी वैज्ञानिक और भारत के बंकरमैन के रूप में जाना जाता है। उपर्युक्त अनुसंधान व अन्वेषण इस फील्ड में उनके 45 साल से भी ज्यादा समय के व्यावहारिक अनुभव का परिणाम है। उन्होंने हाल ही मे चावल की भूसी और पराली जैसे कृषि के कचरे से एक्टिवेटेड कार्बन और सिलिकॉन बनाने की स्वदेशी तकनीकी भी खोज निकाली है। इससे बने प्रोडक्टस को वे अपने बंकरमैन के फ़िल्टरों मे इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होने भरोसा जताया है कि इस तकनीकी को व्यावसायिक उत्पाद मे लाने से पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश मे चावल की भूसी और पराली जैसे कृषि के कचरे की समस्या का भी आसानी से समाधान और सदुपयोग किया जा सकता है। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
सोलन , [ बद्दी ] 09 फरवरी [ पंकज गोल्डी ] ! बद्दी मे स्थित कंपनी बंकरमैन ने एक नई स्वदेशी तकनीक विकसित की है जिसके द्वारा घर के अंदर या बाहर की दूषित हवा से कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य घातक गैसों को आसानी से अलग करके सांस लेने वाली विशुद्ध व स्वस्थ हवा मे बदला जा सकता है। कंपनी के चेयरमैन मेजर जनरल डॉक्टर श्रीपाल (रिटायर्ड) ने बताया कि बड़े शहरों मे जो आजकल प्रदूषण की समस्ष्या बढ़ रही है, इस तकनीक के इस्तेमाल से उसका भी समाधान आसानी से किया जा सकता है और आने वाले समय मे संपूर्ण वातावरण को जन स्वास्थ्य के अनुकूल साफ एवं शुद्ध रखा जा सकता है तथा उसे भविष्य मे और ज्यादा प्रदूषित होने से भी बचाया जा सकता है।
बंकरमैन कंपनी ने इस तकनीक से बने अपने सन्यन्त्रों का प्रदर्शन व परीक्षण हाल ही मे बद्दी मे किया और इसमें भारतीय सेना के अफसरों, वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, आई आई टी के प्रोफेसरों तथा देश के अन्य वैज्ञानिकों व इंजीनियरों ने भी सुचारू रूप से भाग लिया। इन सभी ने परीक्षण के सफल परिणामों की सराहना की। कंपनी ने अभी भी अपने इन सन्यन्त्रों का प्रदर्शन एवं परीक्षण बद्दी में जारी रखा है और देश विदेश के वैज्ञानिकों व इंजीनियरों को इसका निरीक्षण व परीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया है।
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इस तकनीक की सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इसमे लगे सन्यन्त्रों द्वारा प्रदूषित हवा से कार्बन डाइऑक्साइड, अन्य घातक गैसों तथा प्रदूषण को आसानी से निकालकर पहले फ़िल्टर सामग्री मे इकट्ठा किया जाता है, तथा बाद मे इसके कचरे को ओर्गनिक खाद कैल्सियम रिच ओर्गनिक मैन्योर (क्रोम) मे परिवर्तित करके पोधों और फसलों मे इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह यह एक टिकाऊ परिस्थितिकी तन्त्र की तरह काम करता है जिसमे पेड़ पोधे हमे स्वस्थ जीवन के लिए ऑक्सिजन देते हैं, और हम ( मनुष्य एवं मवेशी ) जो कार्बन डाइऑक्साइड, प्रदूषण व अन्य गैसें प्राकृतिक वातावरण मे उत्पन्न करते हैं, उन्हे हम इन सन्यन्त्रों द्वारा हवा से निकालकर पेड़ पोधो को उर्वरक ओरगनिक खाद के रूप मे वापस कर देते हैं।
मेजर जनरल डॉक्टर श्रीपाल को विश्व के अग्रणी वैज्ञानिक और भारत के बंकरमैन के रूप में जाना जाता है। उपर्युक्त अनुसंधान व अन्वेषण इस फील्ड में उनके 45 साल से भी ज्यादा समय के व्यावहारिक अनुभव का परिणाम है। उन्होंने हाल ही मे चावल की भूसी और पराली जैसे कृषि के कचरे से एक्टिवेटेड कार्बन और सिलिकॉन बनाने की स्वदेशी तकनीकी भी खोज निकाली है।
इससे बने प्रोडक्टस को वे अपने बंकरमैन के फ़िल्टरों मे इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होने भरोसा जताया है कि इस तकनीकी को व्यावसायिक उत्पाद मे लाने से पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश मे चावल की भूसी और पराली जैसे कृषि के कचरे की समस्या का भी आसानी से समाधान और सदुपयोग किया जा सकता है।
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