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हिमाचल प्रदेश में कोरोना संकट के चलते हर एक उद्योग घाटे की जद में है। वहीं हिमाचल में पर्यटन को भी करोड़ों का नुकसान हुआ है। जिसको लेकर शराब कारोबारियों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि अब ठेके खुल गए हैं लेकिन खरीददार न मिलने से शराब कारोबारी खासे परेशान हैं। प्रदेश में पर्यटक नहीं हैं जिस कारण से शराब भी बिक नहीं रही है । सरकार की तरफ से जो टारगेट शराब बेचने का ठेके वालों को निर्धारित किया गया है वह पूरा नहीं हो पा रहा है। इसलिए शराब कारोबारियों ने सरकार से निर्धारित कोटे के टारगेट को 50 फीसदी कम करने या हर रोज की बिक्री के आधार पर टैक्स देने की मांग की है। शिमला में हुई शराब कारोबारियों नीरज खन्ना और इन्द्र सिंह कालटा की अध्यक्षता में बैठक हुई जिसमे यह फैसला लिया है अगर सरकार इस मांग को नहीं मानती है तो शराब कारोबारी अपने ठेके को बंद करने पर मजबूर हो जाएगी ।
हिमाचल प्रदेश में कोरोना संकट के चलते हर एक उद्योग घाटे की जद में है। वहीं हिमाचल में पर्यटन को भी करोड़ों का नुकसान हुआ है। जिसको लेकर शराब कारोबारियों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि अब ठेके खुल गए हैं लेकिन खरीददार न मिलने से शराब कारोबारी खासे परेशान हैं।
प्रदेश में पर्यटक नहीं हैं जिस कारण से शराब भी बिक नहीं रही है । सरकार की तरफ से जो टारगेट शराब बेचने का ठेके वालों को निर्धारित किया गया है वह पूरा नहीं हो पा रहा है। इसलिए शराब कारोबारियों ने सरकार से निर्धारित कोटे के टारगेट को 50 फीसदी कम करने या हर रोज की बिक्री के आधार पर टैक्स देने की मांग की है।- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
शिमला में हुई शराब कारोबारियों नीरज खन्ना और इन्द्र सिंह कालटा की अध्यक्षता में बैठक हुई जिसमे यह फैसला लिया है अगर सरकार इस मांग को नहीं मानती है तो शराब कारोबारी अपने ठेके को बंद करने पर मजबूर हो जाएगी ।
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