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हिमाचल ! यदि आपने बैंकों से या गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से 2 करोड से नीचे का कोई भी कर्ज़ ले रखा है तो भारतीय रिजर्व बैंक के आदेशानुसार आपको साधारण ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज के बीच का अंतर के मूल्य के पैसे आपके खाते में वापस डालने हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में आदेश जारी किए हैं कि किसी भी ऋणकर्ता को कोरोना काल की अपूर्व स्थिति को देखते हुए, बैंक, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां आवास वित्तीय कंपनियों को 6 महीने के लिए चक्रवृदि ब्याज और साधारण ब्याज के बीच के अंतर को अनुदान में बदलकर, उसे माफ करते हुए ऋण कर्ताओं के खाते में वापस डालना होगा, और यह प्रक्रिया 5 नवंबर 2020 तक पूरी की जाए। इस योजना के लाभ उठाने वाले कर्ज़दारों में एम एस एम ई, शिक्षा, आवास, उपभोक्ता ड्यूरेबल, क्रेडिट कार्ड, ऑटोमोबाइल के अलावा व्यक्तिगत ऋण उद्योग ऋण भी शामिल हैं जिन की राशि 29.02.2020 से अधिक ना हो। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने सरकार द्वारा पूर्ण रूप से मोरटोरियम(किश्त ना देने) का विकल्प भी चुना था। ऐसा करने के लिए बैंक बाध्य हैं। इस के लिये कर्ज़दार को किसी प्रकार की कोई आवेदन या अर्ज़ी नहीं देनी पड़ेगी। साधारण ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज का अंतर पात्र खातों में डालने के लिए 5 नवंबर तक सारी प्रक्रिया पूरी करनी होगी। कोरोना काल के दौरान सरकार बैंकों से अनुग्रह राशि के रूप में जनता को इस महामारी के दौरान यह पैसा लौटाने के लिए कह रही है और बैंक ऐसा करने के लिए बाध्य है। 1 मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020 लोन खातों में लिए गए चक्र वृद्धि ब्याज को वापस देना है। वित्त मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि कृषि और संबंधित गतिविधियों के लिए चक्रवृद्धि ब्याज यानी ब्याज पर ब्याज माफी की योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इस योजना के तहत फसल और ट्रैक्टर कृषि और संबंधित गतिविधियों को यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। हम एक बार फिर बताना चाहते हैं कि यह सारी प्रक्रिया 5 नवंबर तक पूरी की जानी है। बैंक और वित्तीय संस्थाएं जनता को वापस किए गए पैसे की प्रतिपूर्ति के दावे भारत सरकार को प्रस्तुत करेगी, जो बैंकों को वापस कर दिए जाएंगे। पैसे लौटाने का काम बैंकों का रहेगा और बैंक सुनिश्चित करेंगे कि उनके ऋण कर्ताओं को पैसे वापस दिए गए हैं। कंप्यूटरीकरण के बाद देश के सारे बैंक कंप्यूटरों के माध्यम से कमांड देकर ब्याज का आकलन करते हैं। कंप्यूटर अपने आप ही विभिन्न खातों में ब्याज लगा देते हैं यह बयान चक्र विधि ब्याज ही होते हैं। सामान्यतया जब तक की साधारण ब्याज लेने लिये कंप्यूटर को विशेष कमांड़ ना दी गई हो। खाताधारकों को यह देखना होगा कि 1 मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020 तक पहले कितना ब्याज लगा था, क्योंकि वह ब्याज सामान्य ब्याज के साथ चक्रवृद्धि ब्याज भी है। हम पहले भी स्पष्ट कर चुके हैं कि चक्रवृद्धि ब्याज का मतलब ब्याज के ऊपर ब्याज है। आपका दायित्व है यह सुनिश्चित करें कि सरकार ने जो सुविधा ऋण खाता धारकों को दे रखी है उसका फायदा उठाएं और नजर रखें। बैंकों को यह काम करने में थोड़ी दिक्कत तो जरूर होगी क्योंकि एक बार जो ब्याज लग जाता है वह अपने आप से वापस नहीं होता उसे बाकायदा वापस करना पड़ता है। इसकी पूरी संभावना है कि सरकार ने वापस किए जाने वाले ब्याज की प्रतिपूर्ति बैंकों को करने का जिम्मा लिया है, फिर भी इस पर ध्यान देना होगा कि ये बैंक कर्ज़दारों के खातों में अपेक्षित धनराशि यथा समय जमा करें और धन राशि की गणना (कैलकुलेशन) ठीक तरीके से की गई हो। क्योंकि कुछ मामलों में यह गणना मैनुअल की जानी है। इनमें वे लोग भी शामिल है जो कोरोना काल के दौरान इस अवधि में एन पी ए बन गए हैं ।पेनल इंट्रस्ट को भी छोड़ा जाना है। एक बात का ध्यान रहे कि यह सुविधा लेने के लिए आपका ऋण खाता 29 फरवरी 2020 स्टैंडर्ड अकाउंट होना है। अगर इस तिथि को कर्जदार के खाते को एनपीए- गैर निष्पादित खाता घोषित किया गया तो यह सुविधा नहीं मिलेगी। "क्रिसिल" विश्लेषण के अनुसार इस प्रक्रिया से ऋणकर्ता को सुविधा देने के लिए सरकार को 1.5 लाख करोड़ रुपयों का भार पड़ेगा। तो हो जाइए तैयार जिस बैंक से आपने लोन ले रखा है उस बैंक के संपर्क में रहिए और अपने लोन खातों में जमा होने वाली राशि पर नजर रखे, उसका गऩणा भी कीजिए क्या आप के खाते में आने वाली राशि सही है या नहीं या सिर्फ बैंकों ने काम की प्रतिपूर्ति की है। सरकार की इल सुविधा से उन कर्ज़दारों को तो जरूर फायदा होगा जिनके लोन खाते कोरोना काल के दौरान खराब हो गए हैं , वे किश्ते नहीं दे पाये व ब्याज का भार उन पर पड़ा है। अगर बैंक आपका पैसा नहीं देते है तो यह सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंकों के आदेशों की अवहेलना होगी।
हिमाचल ! यदि आपने बैंकों से या गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से 2 करोड से नीचे का कोई भी कर्ज़ ले रखा है तो भारतीय रिजर्व बैंक के आदेशानुसार आपको साधारण ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज के बीच का अंतर के मूल्य के पैसे आपके खाते में वापस डालने हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में आदेश जारी किए हैं कि किसी भी ऋणकर्ता को कोरोना काल की अपूर्व स्थिति को देखते हुए, बैंक, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां आवास वित्तीय कंपनियों को 6 महीने के लिए चक्रवृदि ब्याज और साधारण ब्याज के बीच के अंतर को अनुदान में बदलकर, उसे माफ करते हुए ऋण कर्ताओं के खाते में वापस डालना होगा, और यह प्रक्रिया 5 नवंबर 2020 तक पूरी की जाए। इस योजना के लाभ उठाने वाले कर्ज़दारों में एम एस एम ई, शिक्षा, आवास, उपभोक्ता ड्यूरेबल, क्रेडिट कार्ड, ऑटोमोबाइल के अलावा व्यक्तिगत ऋण उद्योग ऋण भी शामिल हैं जिन की राशि 29.02.2020 से अधिक ना हो। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने सरकार द्वारा पूर्ण रूप से मोरटोरियम(किश्त ना देने) का विकल्प भी चुना था। ऐसा करने के लिए बैंक बाध्य हैं। इस के लिये कर्ज़दार को किसी प्रकार की कोई आवेदन या अर्ज़ी नहीं देनी पड़ेगी। साधारण ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज का अंतर पात्र खातों में डालने के लिए 5 नवंबर तक सारी प्रक्रिया पूरी करनी होगी। कोरोना काल के दौरान सरकार बैंकों से अनुग्रह राशि के रूप में जनता को इस महामारी के दौरान यह पैसा लौटाने के लिए कह रही है और बैंक ऐसा करने के लिए बाध्य है। 1 मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020 लोन खातों में लिए गए चक्र वृद्धि ब्याज को वापस देना है। वित्त मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि कृषि और संबंधित गतिविधियों के लिए चक्रवृद्धि ब्याज यानी ब्याज पर ब्याज माफी की योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इस योजना के तहत फसल और ट्रैक्टर कृषि और संबंधित गतिविधियों को यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। हम एक बार फिर बताना चाहते हैं कि यह सारी प्रक्रिया 5 नवंबर तक पूरी की जानी है। बैंक और वित्तीय संस्थाएं जनता को वापस किए गए पैसे की प्रतिपूर्ति के दावे भारत सरकार को प्रस्तुत करेगी, जो बैंकों को वापस कर दिए जाएंगे। पैसे लौटाने का काम बैंकों का रहेगा और बैंक सुनिश्चित करेंगे कि उनके ऋण कर्ताओं को पैसे वापस दिए गए हैं।
कंप्यूटरीकरण के बाद देश के सारे बैंक कंप्यूटरों के माध्यम से कमांड देकर ब्याज का आकलन करते हैं। कंप्यूटर अपने आप ही विभिन्न खातों में ब्याज लगा देते हैं यह बयान चक्र विधि ब्याज ही होते हैं। सामान्यतया जब तक की साधारण ब्याज लेने लिये कंप्यूटर को विशेष कमांड़ ना दी गई हो। खाताधारकों को यह देखना होगा कि 1 मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020 तक पहले कितना ब्याज लगा था, क्योंकि वह ब्याज सामान्य ब्याज के साथ चक्रवृद्धि ब्याज भी है। हम पहले भी स्पष्ट कर चुके हैं कि चक्रवृद्धि ब्याज का मतलब ब्याज के ऊपर ब्याज है। आपका दायित्व है यह सुनिश्चित करें कि सरकार ने जो सुविधा ऋण खाता धारकों को दे रखी है उसका फायदा उठाएं और नजर रखें। बैंकों को यह काम करने में थोड़ी दिक्कत तो जरूर होगी क्योंकि एक बार जो ब्याज लग जाता है वह अपने आप से वापस नहीं होता उसे बाकायदा वापस करना पड़ता है। इसकी पूरी संभावना है कि सरकार ने वापस किए जाने वाले ब्याज की प्रतिपूर्ति बैंकों को करने का जिम्मा लिया है, फिर भी इस पर ध्यान देना होगा कि ये बैंक कर्ज़दारों के खातों में अपेक्षित धनराशि यथा समय जमा करें और धन राशि की गणना (कैलकुलेशन) ठीक तरीके से की गई हो। क्योंकि कुछ मामलों में यह गणना मैनुअल की जानी है। इनमें वे लोग भी शामिल है जो कोरोना काल के दौरान इस अवधि में एन पी ए बन गए हैं ।पेनल इंट्रस्ट को भी छोड़ा जाना है।
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