
डीबीटी प्रणाली से 34 लाख लाभार्थियों के खातों में 2370.65 करोड़ रूपये की राशि हस्तांतरित
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शिमला , 10 अगस्त [ शिवानी ] ! शांत हिमालयी राज्य हिमाचल प्रदेश, शक्तिशाली डिजिटल परिवर्तन से शासन व्यवस्था को नया रूप दे रहा है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के गतिशील नेतृत्व में राज्य ने सेवाओं को कुशलता, पारदर्शिता और सीधे लोगों तक पहुंचाने के लिए डिजिटल तकनीक को अपनाने में उल्लेखनीय प्रगति की है। पिछले अढ़ाई वर्षों में डिजिटल तकनीक से न केवल प्रशासनिक कार्यप्रणाली को बेहतर बनाया है, बल्कि नागरिकों को ऐसे लाभ भी पहुंचाए हैं, जिससे शासन अधिक सुलभ और उत्तरदायी बना है। हिमाचल प्रदेश में नागरिक शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए मुख्यमंत्री सेवा संकल्प (एमएमएसएस) हेल्पलाइन 1100 एक प्रभावी मंच के रूप में कार्य कर रही है। इस हेल्पलाइन के माध्यम से वर्ष 2024-25 के दौरान कुल 1,49,490 शिकायतें दर्ज की गई हैं। इनमें से अधिकतर शिकायतों का समाधान किया जा चुका है जबकि प्राप्त शिकायतों के समाधान में संबंधित नागरिकों की संतुष्टि दर 70 प्रतिशत से बढ़कर 71 प्रतिशत हो गई है। यह नागरिकों को समय पर और प्रभावी सेवा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एमएमएसएस हेल्पलाइन विभिन्न विभागीय हेल्पलाइनों के संचालन के लिए एक केंद्रीकृत कॉल सेंटर के रूप में भी कार्य कर रही है। इसी सेवा के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) हेल्पलाइन 1967, आपदा हेल्पलाइन सहित अन्य सेवाओं को भी जोड़ा गया है, जिससे संबंधित शिकायतों के समाधान में भी तेजी आई है। इसके अतिरिक्त एमएमएसएस हेल्पलाइन प्रणाली में व्हाट्सएप चैटबॉट की सुविधा भी शुरू की है, जिससे अब नागरिक और अधिकारी दोनों ही आसानी से हेल्पलाइन से जुड़ सकते हैं और आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। प्रदेश सरकार की यह पहल भी जन सेवा को और अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक प्रभावी कदम साबित हो रही है। प्रदेश सरकार की ई-ऑफिस पहल कागज रहित प्रशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो शासन में दक्षता और स्थिरता के साथ क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। ई-ऑफिस के माध्यम से वर्ष 2024-25 के दौरान प्रदेश सचिवालय की 20 नई शाखाओं, 5 नए निदेशालयों, प्रदेश के सभी 12 उपायुक्त एवं 13 पुलिस अधीक्षक कार्यालयों सहित 71 एसडीएम, 88 बीडीओ कार्यालय तथा 127 नए फील्ड कार्यालयों को जोड़ते हुए कुल 325 फील्ड कार्यालयों को जोड़ा जा चुका है। इसके अलावा, हिमाचल ऑनलाइन सेवा (ई-डिस्ट्रिक्ट) पोर्टल नागरिकों के लिए सरकारी सेवाएं प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है। वर्ष 2024-25 में 100 नई सेवाओं को जोड़ने के साथ, यह पोर्टल अब 315 ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करता है, जिससे नागरिकों को प्रमाण पत्रों से लेकर कल्याणकारी योजनाओं तक की सेवाएं प्राप्त करना संभव हुआ है। ई-डिस्ट्रिक पोर्टल के माध्यम से वर्ष के दौरान कुल 18,94,418 लेन-देन हुए हैं, जो नागरिकों को ऑनलाइन सेवाओं का लाभ लेने में वृद्धि का संकेत है। इसके अलावा, पोर्टल में डिजी लॉकर और हिम एक्सेस सिंगल साइन-ऑन (एसएसओ)े प्रणाली के साथ एकीकरण ने इस प्रक्रिया को और अधिक आसान और सुरक्षित बना दिया है। यह कदम नागरिकों के लिए सरकारी सेवाओं की प्रक्रिया को और अधिक सुविधाजनक और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल है। ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने पूर्ण राज्यत्व दिवस के अवसर पर 25 जनवरी, 2025 को हिम परिवार परियोजना का औपचारिक शुभारंभ किया और हिम परिवार तथा हिम एक्सेस कार्ड नागरिकों को वितरित किए गए। इस परियोजना का उद्देश्य प्रदेश वासियों को एकीकृत डिजिटल पहचान प्रदान कर विभिन्न सरकारी सेवाओं की सुगमता से उपलब्धता सुनिश्चित करना है। अब तक प्रदेश भर में 19 लाख 28 हजार 270 परिवारों एवं 76 लाख 31 हजार 682 सदस्यों को हिम परिवार आईडी आवंटित की जा चुकी हैं। हिम परिवार के अंतर्गत विकसित संपूर्ण सर्वे प्लेटफॉर्म का उपयोग विभिन्न विभागों द्वारा क्षेत्रीय स्तर पर प्रमाणित आंकड़े एकत्रित करने के लिए किया जा रहा है, जिसमें शहरी विकास विभाग द्वारा 2 लाख 10 हजार 663 शहरी परिवारों का सर्वेक्षण कर 6 लाख 60 हजार 46 सदस्यों का डेटा संग्रहण किया गया है। हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड के 20 लाख 49 हजार 924 घरेलू मीटर कनेक्शनों का सर्वेक्षण कर परिवार रिकॉर्ड से जोड़ा गया है। इसी तरह भू-अभिलेख विभाग के 13 लाख, 30 हजार 728 खाता नंबरों को आधार नंबरों से जोड़ा गया तथा भवन सन्निर्माण एवं कामगार कल्याण बोर्ड के 35 हजार 280 निर्माण श्रमिकों का भी सर्वेक्षण किया गया। इसके अलावा प्रदेश सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) प्रणाली को 69 योजनाओं में सफलतापूर्वक लागू किया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान डीबीटी प्रणाली के माध्यम से कुल 2370.65 करोड़ रुपये की राशि सीधे 34 लाख लाभार्थियों के खातों में हस्तांतरित की गई है। प्रदेश सरकार की यह पहल भी विभिन्न सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों तक समयबद्ध और बिना किसी बिचौलिये के सहायता पहुंचाने में एक मील पत्थर साबित हो रही है। हिमाचल प्रदेश की डिजिटल प्रगति को अहम बनाने वाली बात सिर्फ तकनीकी नहीं है, बल्कि इसके पीछे का उद्देश्य नागरिकों को बेहतर, तेज और अधिक न्यायपूर्ण तरीके से सेवा देना है। सरकारी कार्यालयों में कागजी कार्रवाई को कम करने से लेकर दूर दराज गांव में वृद्ध पेंशनधारी को समय पर सहायता प्राप्त हो यह पहल भी सरकार को लोगों के करीब ला रही है। राज्य समावेशी डिजिटल शासन की दिशा में जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, यह देश के बाकी हिस्सों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बन रहा है। डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सरकार के इन प्रभावी कदमों के परिणामस्वरूप प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास को भी गति मिली है तथा सरकारी योजनाओं का लाभ पात्रों को घर-द्वार समयबद्ध सुनिश्चित हो रहा है।
शिमला , 10 अगस्त [ शिवानी ] ! शांत हिमालयी राज्य हिमाचल प्रदेश, शक्तिशाली डिजिटल परिवर्तन से शासन व्यवस्था को नया रूप दे रहा है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के गतिशील नेतृत्व में राज्य ने सेवाओं को कुशलता, पारदर्शिता और सीधे लोगों तक पहुंचाने के लिए डिजिटल तकनीक को अपनाने में उल्लेखनीय प्रगति की है। पिछले अढ़ाई वर्षों में डिजिटल तकनीक से न केवल प्रशासनिक कार्यप्रणाली को बेहतर बनाया है, बल्कि नागरिकों को ऐसे लाभ भी पहुंचाए हैं, जिससे शासन अधिक सुलभ और उत्तरदायी बना है।
हिमाचल प्रदेश में नागरिक शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए मुख्यमंत्री सेवा संकल्प (एमएमएसएस) हेल्पलाइन 1100 एक प्रभावी मंच के रूप में कार्य कर रही है। इस हेल्पलाइन के माध्यम से वर्ष 2024-25 के दौरान कुल 1,49,490 शिकायतें दर्ज की गई हैं। इनमें से अधिकतर शिकायतों का समाधान किया जा चुका है जबकि प्राप्त शिकायतों के समाधान में संबंधित नागरिकों की संतुष्टि दर 70 प्रतिशत से बढ़कर 71 प्रतिशत हो गई है। यह नागरिकों को समय पर और प्रभावी सेवा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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एमएमएसएस हेल्पलाइन विभिन्न विभागीय हेल्पलाइनों के संचालन के लिए एक केंद्रीकृत कॉल सेंटर के रूप में भी कार्य कर रही है। इसी सेवा के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) हेल्पलाइन 1967, आपदा हेल्पलाइन सहित अन्य सेवाओं को भी जोड़ा गया है, जिससे संबंधित शिकायतों के समाधान में भी तेजी आई है। इसके अतिरिक्त एमएमएसएस हेल्पलाइन प्रणाली में व्हाट्सएप चैटबॉट की सुविधा भी शुरू की है, जिससे अब नागरिक और अधिकारी दोनों ही आसानी से हेल्पलाइन से जुड़ सकते हैं और आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। प्रदेश सरकार की यह पहल भी जन सेवा को और अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक प्रभावी कदम साबित हो रही है।
प्रदेश सरकार की ई-ऑफिस पहल कागज रहित प्रशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो शासन में दक्षता और स्थिरता के साथ क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। ई-ऑफिस के माध्यम से वर्ष 2024-25 के दौरान प्रदेश सचिवालय की 20 नई शाखाओं, 5 नए निदेशालयों, प्रदेश के सभी 12 उपायुक्त एवं 13 पुलिस अधीक्षक कार्यालयों सहित 71 एसडीएम, 88 बीडीओ कार्यालय तथा 127 नए फील्ड कार्यालयों को जोड़ते हुए कुल 325 फील्ड कार्यालयों को जोड़ा जा चुका है।
इसके अलावा, हिमाचल ऑनलाइन सेवा (ई-डिस्ट्रिक्ट) पोर्टल नागरिकों के लिए सरकारी सेवाएं प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है। वर्ष 2024-25 में 100 नई सेवाओं को जोड़ने के साथ, यह पोर्टल अब 315 ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करता है, जिससे नागरिकों को प्रमाण पत्रों से लेकर कल्याणकारी योजनाओं तक की सेवाएं प्राप्त करना संभव हुआ है। ई-डिस्ट्रिक पोर्टल के माध्यम से वर्ष के दौरान कुल 18,94,418 लेन-देन हुए हैं, जो नागरिकों को ऑनलाइन सेवाओं का लाभ लेने में वृद्धि का संकेत है।
इसके अलावा, पोर्टल में डिजी लॉकर और हिम एक्सेस सिंगल साइन-ऑन (एसएसओ)े प्रणाली के साथ एकीकरण ने इस प्रक्रिया को और अधिक आसान और सुरक्षित बना दिया है। यह कदम नागरिकों के लिए सरकारी सेवाओं की प्रक्रिया को और अधिक सुविधाजनक और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल है।
ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने पूर्ण राज्यत्व दिवस के अवसर पर 25 जनवरी, 2025 को हिम परिवार परियोजना का औपचारिक शुभारंभ किया और हिम परिवार तथा हिम एक्सेस कार्ड नागरिकों को वितरित किए गए। इस परियोजना का उद्देश्य प्रदेश वासियों को एकीकृत डिजिटल पहचान प्रदान कर विभिन्न सरकारी सेवाओं की सुगमता से उपलब्धता सुनिश्चित करना है। अब तक प्रदेश भर में 19 लाख 28 हजार 270 परिवारों एवं 76 लाख 31 हजार 682 सदस्यों को हिम परिवार आईडी आवंटित की जा चुकी हैं।
हिम परिवार के अंतर्गत विकसित संपूर्ण सर्वे प्लेटफॉर्म का उपयोग विभिन्न विभागों द्वारा क्षेत्रीय स्तर पर प्रमाणित आंकड़े एकत्रित करने के लिए किया जा रहा है, जिसमें शहरी विकास विभाग द्वारा 2 लाख 10 हजार 663 शहरी परिवारों का सर्वेक्षण कर 6 लाख 60 हजार 46 सदस्यों का डेटा संग्रहण किया गया है। हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड के 20 लाख 49 हजार 924 घरेलू मीटर कनेक्शनों का सर्वेक्षण कर परिवार रिकॉर्ड से जोड़ा गया है। इसी तरह भू-अभिलेख विभाग के 13 लाख, 30 हजार 728 खाता नंबरों को आधार नंबरों से जोड़ा गया तथा भवन सन्निर्माण एवं कामगार कल्याण बोर्ड के 35 हजार 280 निर्माण श्रमिकों का भी सर्वेक्षण किया गया।
इसके अलावा प्रदेश सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) प्रणाली को 69 योजनाओं में सफलतापूर्वक लागू किया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान डीबीटी प्रणाली के माध्यम से कुल 2370.65 करोड़ रुपये की राशि सीधे 34 लाख लाभार्थियों के खातों में हस्तांतरित की गई है। प्रदेश सरकार की यह पहल भी विभिन्न सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों तक समयबद्ध और बिना किसी बिचौलिये के सहायता पहुंचाने में एक मील पत्थर साबित हो रही है।
हिमाचल प्रदेश की डिजिटल प्रगति को अहम बनाने वाली बात सिर्फ तकनीकी नहीं है, बल्कि इसके पीछे का उद्देश्य नागरिकों को बेहतर, तेज और अधिक न्यायपूर्ण तरीके से सेवा देना है। सरकारी कार्यालयों में कागजी कार्रवाई को कम करने से लेकर दूर दराज गांव में वृद्ध पेंशनधारी को समय पर सहायता प्राप्त हो यह पहल भी सरकार को लोगों के करीब ला रही है। राज्य समावेशी डिजिटल शासन की दिशा में जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, यह देश के बाकी हिस्सों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बन रहा है।
डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सरकार के इन प्रभावी कदमों के परिणामस्वरूप प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास को भी गति मिली है तथा सरकारी योजनाओं का लाभ पात्रों को घर-द्वार समयबद्ध सुनिश्चित हो रहा है।
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