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मंडी , 14 मार्च ! नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार महिला सम्मान निधि के नाम पर एक बार फिर से प्रदेश की मातृशक्ति के साथ धोखा कर कर रही है। चुनावों से लेकर मीडिया के बीच मुख्यमंत्री और कांग्रेस के बड़े-छोटे सभी नेता कहते हैं कि 18 से 59 साल की सभी महिलाओं को महिला सम्मान निधि मिलेगी। लेकिन जब इसकी अधिसूचना जारी होती है तो वह सिर्फ़ सफ़ेद हाथी साबित होती है। जो भी नियम शर्ते लगाई गई हैं उसके हिसाब से प्रदेश की अधिकांश महिलाएं सरकार की इस योजना का से बाहर हो रही हैं। कहा कि प्रदेश की मातृशक्ति कांग्रेस के उन नेताओं को खोज रही हैं जो ’एक होला तो 1500, दो होला तो त्रई हज़ार और चार होला तो छो हज़ार का नारा दे रहे थे। अब जब चुनाव सर पर आया तो आनन-फ़ानन में बिना बजट के सरकार ने योजना की घोषणा तो कर दी लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि अब उनके हथकंडे चलने वाले नहीं हैं। जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार ने चुनाव के नाते, प्रदेश के लोगों द्वारा हर जगह हो रहे सरकार के विरोध के बाद में नारी सम्मान निधि देने की घोषणा तो कर दी लेकिन सरकार इस योजना को न लागू करने और ज़्यादा से ज़्यादा माताओं-बहनों को इस योजना से बाहर निकालने की तरकीबें निकाल रही है। जिससे सरकार अपनी गारंटी पूरी करने का ढिंढोरा भी पीट सके और किसी को इस योजना का लाभ भी न मिले। उन्होंने कहा कि जब भी सरकार कोई योजना लाती है तो उसका लक्ष्य ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को उसमें जोड़ने का होता है लेकिन कांग्रेस की सुक्खू सरकार द्वारा लाई गई योजना में सरकार ने इस बात के पूरे प्रयास किए कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को इस योजना से बाहर किया जा सके। सरकार ने इस योजना में इतने ‘राइडर’ लगा दिये हैं कि इनकी नीति और नीयत दोनों पर सवाल उठ रहे हैं। जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के हिसाब से सरकारी, बोर्ड, निगमों में नौकरी वाले, पेंशनधारियों और उनके आश्रित तो छोड़िए, सामाजिक सुरक्षा पेंशन यानी की वृद्धा, दिव्यांग पेंशन पाने वालों के परिवार जनों को भी यह सुविधा नहीं मिलने वाली है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अनुबंध, आउटसोर्स, दैनिक वेतनभोगी, अंशकालिक कर्मचारी, आशा, आंगनबाड़ी, मिड डे मील वर्कर के परिवारों को भी इस योजना से बाहर रखा गया है। इसका मतलब जिन ग़रीबों को वृद्धा या दिव्यांग पेंशन मिल रही है उनकी बेटियों को भी इस योजना का लाभ नहीं मिलने वाला है। जबकि मुख्यमंत्री और उनके पार्टी के नेता 18 से 59 वर्ष की सभी महिलाओं को इस योजना में शामिल करने की बात कर रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार को यह भी बताना चाहिए कि इतने राइडर्स बाद इस योजना के पात्र कितने लोग बच रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को इस बात का जवाब देना चाहिए कि इस योजना में इतनी शर्तें थोपकर माताओं-बहनों के साथ नाइंसाफ़ी क्यों की जा रही है।
मंडी , 14 मार्च ! नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार महिला सम्मान निधि के नाम पर एक बार फिर से प्रदेश की मातृशक्ति के साथ धोखा कर कर रही है। चुनावों से लेकर मीडिया के बीच मुख्यमंत्री और कांग्रेस के बड़े-छोटे सभी नेता कहते हैं कि 18 से 59 साल की सभी महिलाओं को महिला सम्मान निधि मिलेगी। लेकिन जब इसकी अधिसूचना जारी होती है तो वह सिर्फ़ सफ़ेद हाथी साबित होती है। जो भी नियम शर्ते लगाई गई हैं उसके हिसाब से प्रदेश की अधिकांश महिलाएं सरकार की इस योजना का से बाहर हो रही हैं।
कहा कि प्रदेश की मातृशक्ति कांग्रेस के उन नेताओं को खोज रही हैं जो ’एक होला तो 1500, दो होला तो त्रई हज़ार और चार होला तो छो हज़ार का नारा दे रहे थे। अब जब चुनाव सर पर आया तो आनन-फ़ानन में बिना बजट के सरकार ने योजना की घोषणा तो कर दी लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि अब उनके हथकंडे चलने वाले नहीं हैं।
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जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार ने चुनाव के नाते, प्रदेश के लोगों द्वारा हर जगह हो रहे सरकार के विरोध के बाद में नारी सम्मान निधि देने की घोषणा तो कर दी लेकिन सरकार इस योजना को न लागू करने और ज़्यादा से ज़्यादा माताओं-बहनों को इस योजना से बाहर निकालने की तरकीबें निकाल रही है। जिससे सरकार अपनी गारंटी पूरी करने का ढिंढोरा भी पीट सके और किसी को इस योजना का लाभ भी न मिले।
उन्होंने कहा कि जब भी सरकार कोई योजना लाती है तो उसका लक्ष्य ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को उसमें जोड़ने का होता है लेकिन कांग्रेस की सुक्खू सरकार द्वारा लाई गई योजना में सरकार ने इस बात के पूरे प्रयास किए कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को इस योजना से बाहर किया जा सके। सरकार ने इस योजना में इतने ‘राइडर’ लगा दिये हैं कि इनकी नीति और नीयत दोनों पर सवाल उठ रहे हैं।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के हिसाब से सरकारी, बोर्ड, निगमों में नौकरी वाले, पेंशनधारियों और उनके आश्रित तो छोड़िए, सामाजिक सुरक्षा पेंशन यानी की वृद्धा, दिव्यांग पेंशन पाने वालों के परिवार जनों को भी यह सुविधा नहीं मिलने वाली है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अनुबंध, आउटसोर्स, दैनिक वेतनभोगी, अंशकालिक कर्मचारी, आशा, आंगनबाड़ी, मिड डे मील वर्कर के परिवारों को भी इस योजना से बाहर रखा गया है।
इसका मतलब जिन ग़रीबों को वृद्धा या दिव्यांग पेंशन मिल रही है उनकी बेटियों को भी इस योजना का लाभ नहीं मिलने वाला है। जबकि मुख्यमंत्री और उनके पार्टी के नेता 18 से 59 वर्ष की सभी महिलाओं को इस योजना में शामिल करने की बात कर रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार को यह भी बताना चाहिए कि इतने राइडर्स बाद इस योजना के पात्र कितने लोग बच रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को इस बात का जवाब देना चाहिए कि इस योजना में इतनी शर्तें थोपकर माताओं-बहनों के साथ नाइंसाफ़ी क्यों की जा रही है।
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