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लाहौल । अटल टनल बनने के बाद जनजातीय लाहौल घाटी में ठंड बढ़ने के साथ -साथ वीकेंड पर पर्यटक शीत मरुस्थल की वादियों को निहार रहे है। ठंड के मौसम में भी अटल टनल रोहतांग को देखने के लिए सैकड़ों पर्यटक लाहौल पहुंचे है। पर्यटकों ने अटल टनल को करीब से देखने के बाद शीत मरुस्थल लाहौल की वादियों को भी निहारने के लिये निकल पड़ते हैं। अक्टूबर महीने में ठंड के बावजूद अटल टनल को लेकर सैलानियों की उत्साह कम नहीं हुआ है। यह टनल बराबर अपना आकर्षण बनाये हुए है। पर्यटकों को देखते हुए अक्टूबर महीने में भी अप्रैल , मई जैसी रौनक देखने को मिल रही है। दिनभर लाहौल घाटी में घूमने के बाद सैलानी रहने के लिए मनाली लौट रहे है। ऐसे में सैलानियों को नया टूरिस्ट स्पॉट मिल गया है। अटल टनल रोहतांग का लोकार्पण होते ही लाहौल घाटी में पर्यटकों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि मन्दिरों में दर्शन करने के लिए एक दो घंटे तक लाइन में खड़े रहना पड़ता है। कोरोना के चलते हुए भी पर्यटकों की संख्या बढ़ी हुई है ।
लाहौल । अटल टनल बनने के बाद जनजातीय लाहौल घाटी में ठंड बढ़ने के साथ -साथ वीकेंड पर पर्यटक शीत मरुस्थल की वादियों को निहार रहे है। ठंड के मौसम में भी अटल टनल रोहतांग को देखने के लिए सैकड़ों पर्यटक लाहौल पहुंचे है। पर्यटकों ने अटल टनल को करीब से देखने के बाद शीत मरुस्थल लाहौल की वादियों को भी निहारने के लिये निकल पड़ते हैं। अक्टूबर महीने में ठंड के बावजूद अटल टनल को लेकर सैलानियों की उत्साह कम नहीं हुआ है। यह टनल बराबर अपना आकर्षण बनाये हुए है।
पर्यटकों को देखते हुए अक्टूबर महीने में भी अप्रैल , मई जैसी रौनक देखने को मिल रही है। दिनभर लाहौल घाटी में घूमने के बाद सैलानी रहने के लिए मनाली लौट रहे है। ऐसे में सैलानियों को नया टूरिस्ट स्पॉट मिल गया है। अटल टनल रोहतांग का लोकार्पण होते ही लाहौल घाटी में पर्यटकों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि मन्दिरों में दर्शन करने के लिए एक दो घंटे तक लाइन में खड़े रहना पड़ता है। कोरोना के चलते हुए भी पर्यटकों की संख्या बढ़ी हुई है ।
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