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शिमला ! कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने डीडीयू में कोरोना ग्रस्त महिला की आत्महत्या पर शोक व्यक्त करते हुए शोकाकुल परिवार के प्रति अपनी गहरी संबवेदनाएँ प्रकट की हैं। सीपीआई(एम) का मानना है कि यह आत्महत्या इस बात का संकेत है कि कोरोना से पीड़ित व्यक्ति और उसका परिवार न केवल संक्रमण से जूझता है बल्कि भारी तनाव और मानसिक दबाव से भी दो-चार होता है। पार्टी सचिव मंडल सदस्य डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि सीपीआई(एम) शुरू से ही इस बात का अंदेशा जताती रही है कि आने वाले समय में समस्या अधिक गम्भीर रूप लेगी मगर समस्या की तीव्रता के मुकाबले में सरकार की तैयारियां पर्याप्त नहीं हैं। इस बाबत पार्टी मुख्यमंत्री को पहले ही ज्ञापन दे चुकी है। डॉ. तंवर ने कहा कि सरकार को इस दुर्घटना से सबक लेकर तुरंत इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। माकपा ने कहा कि मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को इसका संज्ञान लेते हुए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। डॉ. तंवर ने कहा कि आत्महत्या करने वाली महिला कोरोना के साथ-साथ उच्च रक्तचाप और माइग्रेन की समस्या से ग्रस्त थी जिसका समाधान न मिलने पर उसने यह कदम उठाया। सीपीआई(एम) का मानना है कि जहां एक तरफ कोविड संबधी समस्या के समाधान के लिए जहां डॉक्टरों और स्टाफ की संख्या बढ़ाने और तर्कसंगत तैनाती की आवश्यकता है वहीं इस बात के लिए भी विशेषज्ञों की राय ज़रूरी है कि किस मरीज़ को किस स्तर के अस्पताल में भेजने की ज़रूरत है। सीपीआई(एम) ने सरकार को सुझाव दिया है कि संक्रमण ग्रस्त व्यक्तियों के लिए मनोचिकित्सीय परामर्श की सुविधा प्रदान की जाए ताकि उन्हें तनाव और अवसाद से बचाया जा सके। इसके लिए मनोरोग विभाग के डॉक्टरों के साथ-साथ क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट, सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद ली जा सकती है। सीपीआई(एम) ने कहा है संक्रमण से निपटने के लिए अभी योजना के स्तर पर काफी कमज़ोरी नज़र आ रही है। जो निर्णय विशेषज्ञों के परामर्श से लेने चाहिए उन्हें प्रशासनिक स्तर पर लिए जा रहे हैं वहीं सरकार और प्रशासनिक ज़िम्मेदारियाँ धीरे-धीरे डॉक्टर, स्टाफ, मरीज़ और उनके परिवार पर आती जा रही है। डॉ. तंवर ने कहा कि डीडीयू में स्थिति यह है कि 80 मरीज़ों की देखभाल के लिए एक समय में एक ही डॉक्टर होता है। ऐसे में किसी के लिए भी यह संभव नहीं है कि सभी मरीजों को हर समय बराबर समय दिया जा सके। सीपीआई(एम) ने कोविड केंद्रों में अधिक संख्या में डॉक्टरों की नियुक्ति का सुझाव दिया था। डॉ. तंवर ने कहा कि सुनियोजित व्यवस्था के अभाव में स्थिति अराजक और आक्रमक हो सकती है और मरीज़, उनके परिजनों और मेडिकल स्टाफ के बीच तनाव बढ़ेगा। इससे न केवल मेडिकल बिरादरी का मनोबल गिरेगा, मरीजों में भी हताशा उत्पन्न होगी। सीपीआई(एम) ने इस संदर्भ में सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है।
शिमला ! कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने डीडीयू में कोरोना ग्रस्त महिला की आत्महत्या पर शोक व्यक्त करते हुए शोकाकुल परिवार के प्रति अपनी गहरी संबवेदनाएँ प्रकट की हैं। सीपीआई(एम) का मानना है कि यह आत्महत्या इस बात का संकेत है कि कोरोना से पीड़ित व्यक्ति और उसका परिवार न केवल संक्रमण से जूझता है बल्कि भारी तनाव और मानसिक दबाव से भी दो-चार होता है। पार्टी सचिव मंडल सदस्य डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि सीपीआई(एम) शुरू से ही इस बात का अंदेशा जताती रही है कि आने वाले समय में समस्या अधिक गम्भीर रूप लेगी मगर समस्या की तीव्रता के मुकाबले में सरकार की तैयारियां पर्याप्त नहीं हैं। इस बाबत पार्टी मुख्यमंत्री को पहले ही ज्ञापन दे चुकी है।
डॉ. तंवर ने कहा कि सरकार को इस दुर्घटना से सबक लेकर तुरंत इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। माकपा ने कहा कि मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को इसका संज्ञान लेते हुए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। डॉ. तंवर ने कहा कि आत्महत्या करने वाली महिला कोरोना के साथ-साथ उच्च रक्तचाप और माइग्रेन की समस्या से ग्रस्त थी जिसका समाधान न मिलने पर उसने यह कदम उठाया। सीपीआई(एम) का मानना है कि जहां एक तरफ कोविड संबधी समस्या के समाधान के लिए जहां डॉक्टरों और स्टाफ की संख्या बढ़ाने और तर्कसंगत तैनाती की आवश्यकता है वहीं इस बात के लिए भी विशेषज्ञों की राय ज़रूरी है कि किस मरीज़ को किस स्तर के अस्पताल में भेजने की ज़रूरत है।
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सीपीआई(एम) ने सरकार को सुझाव दिया है कि संक्रमण ग्रस्त व्यक्तियों के लिए मनोचिकित्सीय परामर्श की सुविधा प्रदान की जाए ताकि उन्हें तनाव और अवसाद से बचाया जा सके। इसके लिए मनोरोग विभाग के डॉक्टरों के साथ-साथ क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट, सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद ली जा सकती है। सीपीआई(एम) ने कहा है संक्रमण से निपटने के लिए अभी योजना के स्तर पर काफी कमज़ोरी नज़र आ रही है। जो निर्णय विशेषज्ञों के परामर्श से लेने चाहिए उन्हें प्रशासनिक स्तर पर लिए जा रहे हैं वहीं सरकार और प्रशासनिक ज़िम्मेदारियाँ धीरे-धीरे डॉक्टर, स्टाफ, मरीज़ और उनके परिवार पर आती जा रही है।
डॉ. तंवर ने कहा कि डीडीयू में स्थिति यह है कि 80 मरीज़ों की देखभाल के लिए एक समय में एक ही डॉक्टर होता है। ऐसे में किसी के लिए भी यह संभव नहीं है कि सभी मरीजों को हर समय बराबर समय दिया जा सके। सीपीआई(एम) ने कोविड केंद्रों में अधिक संख्या में डॉक्टरों की नियुक्ति का सुझाव दिया था। डॉ. तंवर ने कहा कि सुनियोजित व्यवस्था के अभाव में स्थिति अराजक और आक्रमक हो सकती है और मरीज़, उनके परिजनों और मेडिकल स्टाफ के बीच तनाव बढ़ेगा। इससे न केवल मेडिकल बिरादरी का मनोबल गिरेगा, मरीजों में भी हताशा उत्पन्न होगी।
सीपीआई(एम) ने इस संदर्भ में सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है।
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