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सुंदरनगर ! हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर महामाया मंदिर के समीप स्थित में एकमात्र आईसीएसए विशेष योग्यता वाले बच्चियों के स्कूल में रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया (आरसीआई) के नियमों के अनुसार पालना नहीं की गई है। टीचिंग स्टाफ की योग्यता के नाम पर सरेआम गड़बड़झाला किए जाने का खुलासा दिव्यांगजन संगठन हिप्र के कानूनी सलाहकार एवं मुख्य समाजसेवी केके सकलानी ने किया है। उन्होंने बताया कि जहां पर प्रिंसीपल से लेकर जेबीटी, टीजीटी और पीजीटी स्तर पर टीचिंग स्टाफ नियमों को ताक पर रखकर तैनात कर डाला है। ऐसे में 132 के तकरीबन विशेष बच्चियों के भविष्य के साथ सरेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पिं्रसिपल से लेकर अन्य स्टाफ आरसीआई के नियमों को पूरा नहीं करता है। जबकि इस विशेष वर्ग के बच्चों को विशेष संस्थान में पढ़ाने के लिए विशेष कोर्स पास करने वाले शिक्षक ही पढ़ा सकते है। लेकिन यहां पर हालात स्थिति कुछ और ही ब्यान कर रही है। केवल खानापूर्ति के लिए बिना योग्यता वाले शिक्षक ही इस स्कूल में कन्याओं को पढ़ा रहे हैं। जोकि दृष्टिहीन और अनाथ हैं। उक्त दो दर्जन से अधिक शिक्षक विशेष बच्चियों के नाम से इस संस्थान में अपने लिए रोजगार तो प्राप्त कर लिया है। लेकिन जब तक कंप्यूटर टीचर उसमें टॉकिंग सॉफ्टवेयर के साथ ही अभी तक इस स्कूल के लिए नहीं दिया गया है और जो भी यहां पर नियुक्त किया स्टाफ उन औपचारिकताओं को आरसीआई गाइडलाइन के मुताबिक पूरा नहीं करते है। तो इस विशेष वर्ग के बच्चों को शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विशेष कैसे होगा। इस बात का अंदाजा संस्थान का दौरा करके स्वयं ही लगाया जा सकता है। जहां पर बड़े पैमाने पर नियुक्तियों और भर्तियों में गड़बड़ की गई हो। सकलानी ने प्रदेश सरकार से इस मसले की जांच के लिए एक विशेष कमेटी का गठन करके जांच करवाने की मांग की है।
सुंदरनगर ! हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर महामाया मंदिर के समीप स्थित में एकमात्र आईसीएसए विशेष योग्यता वाले बच्चियों के स्कूल में रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया (आरसीआई) के नियमों के अनुसार पालना नहीं की गई है। टीचिंग स्टाफ की योग्यता के नाम पर सरेआम गड़बड़झाला किए जाने का खुलासा दिव्यांगजन संगठन हिप्र के कानूनी सलाहकार एवं मुख्य समाजसेवी केके सकलानी ने किया है। उन्होंने बताया कि जहां पर प्रिंसीपल से लेकर जेबीटी, टीजीटी और पीजीटी स्तर पर टीचिंग स्टाफ नियमों को ताक पर रखकर तैनात कर डाला है। ऐसे में 132 के तकरीबन विशेष बच्चियों के भविष्य के साथ सरेआम खिलवाड़ किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि पिं्रसिपल से लेकर अन्य स्टाफ आरसीआई के नियमों को पूरा नहीं करता है। जबकि इस विशेष वर्ग के बच्चों को विशेष संस्थान में पढ़ाने के लिए विशेष कोर्स पास करने वाले शिक्षक ही पढ़ा सकते है। लेकिन यहां पर हालात स्थिति कुछ और ही ब्यान कर रही है। केवल खानापूर्ति के लिए बिना योग्यता वाले शिक्षक ही इस स्कूल में कन्याओं को पढ़ा रहे हैं। जोकि दृष्टिहीन और अनाथ हैं। उक्त दो दर्जन से अधिक शिक्षक विशेष बच्चियों के नाम से इस संस्थान में अपने लिए रोजगार तो प्राप्त कर लिया है। लेकिन जब तक कंप्यूटर टीचर उसमें टॉकिंग सॉफ्टवेयर के साथ ही अभी तक इस स्कूल के लिए नहीं दिया गया है और जो भी यहां पर नियुक्त किया स्टाफ उन औपचारिकताओं को आरसीआई गाइडलाइन के मुताबिक पूरा नहीं करते है। तो इस विशेष वर्ग के बच्चों को शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विशेष कैसे होगा। इस बात का अंदाजा संस्थान का दौरा करके स्वयं ही लगाया जा सकता है। जहां पर बड़े पैमाने पर नियुक्तियों और भर्तियों में गड़बड़ की गई हो। सकलानी ने प्रदेश सरकार से इस मसले की जांच के लिए एक विशेष कमेटी का गठन करके जांच करवाने की मांग की है।
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