
- विज्ञापन (Article Top Ad) -
चम्बा ,31मार्च [ शिवानी ] ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में 30 मार्च 2023 को 'कला सृजन पाठशाला' द्वारा कवि "कुमार कृष्ण की कविता में दरबारी प्रतिपक्ष" विषय पर आयोजन सत्र-46 के तहत कविता-पाठ तथा लेख-पाठ गूगल-मीट के माध्यम से किया गया। इस सुअवसर पर कला सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ राजकीय महाविद्यालय चम्बा के छात्रों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम के आरंभ में दिवंगत साहित्यकारो को याद करते हुए 2 मिनट का मौन रखा गया। इसके बाद अध्यक्ष शरत् शर्मा ने कवि कुमार कृष्ण का व्यक्तित्व एवं कृतित्व पढ़ा तथा उनके काव्य का विश्लेषण भी किया। इसके पश्चात सभी कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओ से सभी को भावविभोर किया। कार्यक्रम की शुरूआत चम्बा महाविद्यालय के छात्र सौरभ ने "संघर्ष की व्यथा" कविता द्वारा जीवन में संघर्ष करने का संदेश दिया। कवि हेम राज ने "मुझे पंजाब जाना पड़ेगा " कविता द्वारा आतंकी घटनाओं पर आक्रोश दिखाया। कला सृजन पाठशाला के महासचिव तथा राजकीय महाविद्यालय चम्बा के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संतोष कुमार ने कुमार कृष्ण की कविता "जेबें " द्वारा मंत्र मुग्ध किया। वरिष्ठ कवि भूपेंद्र जसरोटिया ने "बोल्दा नि ए बूटा" कविता द्वारा पेड़ पौधों की रक्षा करने का संकल्प लिया। इन्होंने "ठहर जाना" कविता द्वारा बेटियों के ऊपर होने वाली क्रूरता पर मार्मिक कविता पढ़ी। पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने प्रसिद्ध कवि कुमार कृष्ण पर लेख पढ़ कर महत्त्वपूर्ण जानकारी दी। उसके बाद कर्जदार, ठंड का जुगाड़, तथा तबेले के बाहर कविताओं का पाठ कर के सभी सदस्यों को मंत्रमुग्ध किया। कला सृजन पाठशाला के संरक्षक बालकृष्ण पराशर ने अपने वक्तव्य में कहा कि विचार पीढ़ी दर पीढ़ी निरन्तर बहता रहता है जिससे समय के साथ-साथ सामाजिक संरचना में परिष्कार होता रहता है। इसी से ही सामाजिक बदलाव सांस्कृतिक बदलाव में प्रवेश पाता है। इसके लिए सृजनकर्मियों की बड़ी भूमिका भी रहती और बड़ी जिम्मेदारी भी रहती है। जिसके लिए वह हमेशा ही जवाबदेही होता है। वित्त सलाहकार धर्मवीर शर्मा ने कहा भले ही कला सृजन पाठशाला की गतिविधियां जन-जन तक पहुंचने में कामयाबी की तरफ बढ़ रही हों परन्तु उन्हें अभी तक स्कूलों और महाविद्यालयों के परिसरों में ले जाकर सक्रिय करने की आवश्यकता भी है। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर संतोष कुमार ने अपनी त्वरित टिप्पणियों के साथ किया। इस अवसर पर दिल्ली की प्रसिद्ध कवयित्री प्रियंवदा त्यागी तथा भाषा अध्यापक तथा कवि अनूप राही मुख्य रूप से उपस्थित रहे। कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने आयोजन सत्र-46 में पढ़ी गई सभी रचनाओं का बारीकी तथा गहराई से विश्लेषण करते हुए कार्यक्रम को समापन की ओर अग्रेसित करते हुए सभी उपस्थित रचनाकारों की सक्रियता के श्रम को रेखांकित किया। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
चम्बा ,31मार्च [ शिवानी ] ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में 30 मार्च 2023 को 'कला सृजन पाठशाला' द्वारा कवि "कुमार कृष्ण की कविता में दरबारी प्रतिपक्ष" विषय पर आयोजन सत्र-46 के तहत कविता-पाठ तथा लेख-पाठ गूगल-मीट के माध्यम से किया गया। इस सुअवसर पर कला सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ राजकीय महाविद्यालय चम्बा के छात्रों ने भी भाग लिया।
कार्यक्रम के आरंभ में दिवंगत साहित्यकारो को याद करते हुए 2 मिनट का मौन रखा गया। इसके बाद अध्यक्ष शरत् शर्मा ने कवि कुमार कृष्ण का व्यक्तित्व एवं कृतित्व पढ़ा तथा उनके काव्य का विश्लेषण भी किया। इसके पश्चात सभी कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओ से सभी को भावविभोर किया। कार्यक्रम की शुरूआत चम्बा महाविद्यालय के छात्र सौरभ ने "संघर्ष की व्यथा" कविता द्वारा जीवन में संघर्ष करने का संदेश दिया। कवि हेम राज ने "मुझे पंजाब जाना पड़ेगा " कविता द्वारा आतंकी घटनाओं पर आक्रोश दिखाया।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
कला सृजन पाठशाला के महासचिव तथा राजकीय महाविद्यालय चम्बा के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संतोष कुमार ने कुमार कृष्ण की कविता "जेबें " द्वारा मंत्र मुग्ध किया। वरिष्ठ कवि भूपेंद्र जसरोटिया ने "बोल्दा नि ए बूटा" कविता द्वारा पेड़ पौधों की रक्षा करने का संकल्प लिया। इन्होंने "ठहर जाना" कविता द्वारा बेटियों के ऊपर होने वाली क्रूरता पर मार्मिक कविता पढ़ी।
पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने प्रसिद्ध कवि कुमार कृष्ण पर लेख पढ़ कर महत्त्वपूर्ण जानकारी दी। उसके बाद कर्जदार, ठंड का जुगाड़, तथा तबेले के बाहर कविताओं का पाठ कर के सभी सदस्यों को मंत्रमुग्ध किया।
कला सृजन पाठशाला के संरक्षक बालकृष्ण पराशर ने अपने वक्तव्य में कहा कि विचार पीढ़ी दर पीढ़ी निरन्तर बहता रहता है जिससे समय के साथ-साथ सामाजिक संरचना में परिष्कार होता रहता है। इसी से ही सामाजिक बदलाव सांस्कृतिक बदलाव में प्रवेश पाता है। इसके लिए सृजनकर्मियों की बड़ी भूमिका भी रहती और बड़ी जिम्मेदारी भी रहती है। जिसके लिए वह हमेशा ही जवाबदेही होता है।
वित्त सलाहकार धर्मवीर शर्मा ने कहा भले ही कला सृजन पाठशाला की गतिविधियां जन-जन तक पहुंचने में कामयाबी की तरफ बढ़ रही हों परन्तु उन्हें अभी तक स्कूलों और महाविद्यालयों के परिसरों में ले जाकर सक्रिय करने की आवश्यकता भी है।
इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर संतोष कुमार ने अपनी त्वरित टिप्पणियों के साथ किया। इस अवसर पर दिल्ली की प्रसिद्ध कवयित्री प्रियंवदा त्यागी तथा भाषा अध्यापक तथा कवि अनूप राही मुख्य रूप से उपस्थित रहे। कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने आयोजन सत्र-46 में पढ़ी गई सभी रचनाओं का बारीकी तथा गहराई से विश्लेषण करते हुए कार्यक्रम को समापन की ओर अग्रेसित करते हुए सभी उपस्थित रचनाकारों की सक्रियता के श्रम को रेखांकित किया।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -