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शिमला ! उप-मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने अमेरिका के बोस्टन में आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ स्टेट लेजिस्लेचर्स (एनसीएसएल) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार पर्यटन के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के भविष्य को नया आकार देने की दिशा में कार्य कर रही है।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के दूरदर्शी नेतृत्व में प्रदेश सरकार हिमाचल को हरित, समावेशी और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने वाले प्रगतिशील राज्य बनाने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है। केवल सिंह पठानिया ने कहा कि हिमाचल सरकार का मत है कि पर्यटन न केवल आमदनी का जरिया है, बल्कि यह समाज और प्रकृति दोनों की सेवा का माध्यम भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्मशाला को पर्यटन राजधानी बनाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। इस क्षेत्र में रामसर वेटलैंड (पोंग डैम) में जल क्रीड़ा गतिविधियां, धौलाधार पर्वत श्रृंखलाओं में ट्रैकिंग, धर्मशाला के करेरी झील और रावी नदी पर चमेरा जलाशय में तलेरू में जलक्रिड़ा गतिविधियां विकसित करने की योजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा गोविंद सागर झील में ‘शिकारा’ नाव चलाना और कयाकिंग जैसे जलक्रिड़ाएं आरम्भ की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पर्यावरण को क्षति पहुंचाए बिना पर्यटन और बुनियादी ढांचे का विकास करने की योजना पर कार्य कर रही है। ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए रज्जुमार्गों के निर्माण तथा फोरलेन सड़कों के निर्माण के लिए पहाड़ों की कटाई किए बिना सुरंगों के निर्माण पर बल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिमालयी ग्लेशियर हर वर्ष पिघलकर 15-20 मीटर पीछे खिसक रहे हैं, जिससे भविष्य में जल संकट उत्पन्न हो सकता है। इस क्षेत्र में बादल फटने, अचानक बाढ़ और जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे जैव विविधता को खतरा बढ़ा है। ईको टूरिज्म को बढ़ावा देना ही इन चुनौतियों से निपटने का प्रभावी उपाय है, जिससे न केवल राजस्व अर्जित होगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिलेगा।केवल सिंह पठानिया ने राज्य ‘ग्रीन हिमाचल’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में ई-वाहनों को बढ़ावा दे रही है और सार्वजनिक परिवहन के बेड़े में चरणबद्ध तरीके से अधिक से अधिक ई-वाहनों को शामिल किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा देश की पहली पूर्णतः पेपरलेस विधानसभा बन चुकी है, जो डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि हिमालय में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से एशिया की 1.9 अरब जनसंख्या प्रभावित हो सकती है, क्योंकि यह क्षेत्र प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल है। इसलिए हिमालय की सुरक्षा वैश्विक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में आधुनिक चिकित्सा सेवाओं में किए जा रहे सुधारों की जानकारी भी साझा की और कहा कि प्रदेश सरकार की योजनाएं शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे के बीच की खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।उन्होंने वैश्विक शोधकर्ताओं, निवेशकों और तकनीकी विशेषज्ञों से हिमाचल के सतत् विकास और प्राकृतिक संरक्षण के संयुक्त मॉडल की परिकल्पना को साकार करने में भागीदार बनने का आह्वान किया। विधायक संजय अवस्थी, विनोद सुल्तानपुरी और दीप राज भी चर्चा में शामिल हुए।
शिमला ! उप-मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने अमेरिका के बोस्टन में आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ स्टेट लेजिस्लेचर्स (एनसीएसएल) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार पर्यटन के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के भविष्य को नया आकार देने की दिशा में कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के दूरदर्शी नेतृत्व में प्रदेश सरकार हिमाचल को हरित, समावेशी और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने वाले प्रगतिशील राज्य बनाने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है।
केवल सिंह पठानिया ने कहा कि हिमाचल सरकार का मत है कि पर्यटन न केवल आमदनी का जरिया है, बल्कि यह समाज और प्रकृति दोनों की सेवा का माध्यम भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्मशाला को पर्यटन राजधानी बनाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। इस क्षेत्र में रामसर वेटलैंड (पोंग डैम) में जल क्रीड़ा गतिविधियां, धौलाधार पर्वत श्रृंखलाओं में ट्रैकिंग, धर्मशाला के करेरी झील और रावी नदी पर चमेरा जलाशय में तलेरू में जलक्रिड़ा गतिविधियां विकसित करने की योजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा गोविंद सागर झील में ‘शिकारा’ नाव चलाना और कयाकिंग जैसे जलक्रिड़ाएं आरम्भ की जा चुकी है।
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उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पर्यावरण को क्षति पहुंचाए बिना पर्यटन और बुनियादी ढांचे का विकास करने की योजना पर कार्य कर रही है। ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए रज्जुमार्गों के निर्माण तथा फोरलेन सड़कों के निर्माण के लिए पहाड़ों की कटाई किए बिना सुरंगों के निर्माण पर बल दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हिमालयी ग्लेशियर हर वर्ष पिघलकर 15-20 मीटर पीछे खिसक रहे हैं, जिससे भविष्य में जल संकट उत्पन्न हो सकता है। इस क्षेत्र में बादल फटने, अचानक बाढ़ और जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे जैव विविधता को खतरा बढ़ा है। ईको टूरिज्म को बढ़ावा देना ही इन चुनौतियों से निपटने का प्रभावी उपाय है, जिससे न केवल राजस्व अर्जित होगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिलेगा।
केवल सिंह पठानिया ने राज्य ‘ग्रीन हिमाचल’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में ई-वाहनों को बढ़ावा दे रही है और सार्वजनिक परिवहन के बेड़े में चरणबद्ध तरीके से अधिक से अधिक ई-वाहनों को शामिल किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा देश की पहली पूर्णतः पेपरलेस विधानसभा बन चुकी है, जो डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में बड़ा कदम है।
उन्होंने कहा कि हिमालय में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से एशिया की 1.9 अरब जनसंख्या प्रभावित हो सकती है, क्योंकि यह क्षेत्र प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल है। इसलिए हिमालय की सुरक्षा वैश्विक जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल में आधुनिक चिकित्सा सेवाओं में किए जा रहे सुधारों की जानकारी भी साझा की और कहा कि प्रदेश सरकार की योजनाएं शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे के बीच की खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
उन्होंने वैश्विक शोधकर्ताओं, निवेशकों और तकनीकी विशेषज्ञों से हिमाचल के सतत् विकास और प्राकृतिक संरक्षण के संयुक्त मॉडल की परिकल्पना को साकार करने में भागीदार बनने का आह्वान किया। विधायक संजय अवस्थी, विनोद सुल्तानपुरी और दीप राज भी चर्चा में शामिल हुए।
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