
- विज्ञापन (Article Top Ad) -
शिमला ! राज्य सरकार ने करूणामूलक आधार पर सरकारी सेवा में नियुक्तियों से संबंधित नीति में महत्वपूर्ण संशोधन को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य दिवंगत सरकारी कर्मचारियों के परिजनों को समय पर सहायता प्रदान करना और चिरलंबित मांगों का समाधान करना है। प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने जानकारी दी कि संशोधित नीति के अनुसार अब परिवार की वार्षिक आय सीमा 2.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी गई है, जिससे अधिक पात्र परिवार इस नीति के अंतर्गत लाभान्वित हो सकेंगे। उन्होंने बताया कि 45 वर्ष से कम आयु की विधवाओं, माता-पिता से वंचित आवेदकों तथा ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले कर्मचारियों के आश्रितों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, पात्र आवेदकों को कोटे की सीमा के कारण इस योजना से वंचित न होना पड़े, इसके लिए 5 प्रतिशत कोटे में एकमुश्त छूट को भी स्वीकृति दी गई है। प्रवक्ता ने बताया कि युवा विधवाएं अचानक पति की मौत के कारण परिवार की सम्पूर्ण जिम्मेदारी उठाने को विवश होती हैं और उन्हें बच्चों की शिक्षा व बुजुर्गों की देखभाल के लिए तत्काल सहायता की आवश्यकता होती है। यह नीति संशोधन उन्हें स्थिरता व सहारा देने की दिशा में एक संवेदनशील प्रयास है। यह नीति मूलतः 18 जनवरी, 1990 को बनाई गई थी, ताकि सेवा के दौरान दिवंगत कर्मचारियों, जिसमें आत्महत्या के मामले भी शामिल हैं, के आश्रितों को राहत स्वरूप रोजगार दिया जा सके। इसके अंतर्गत विधवा, पुत्र या अविवाहित पुत्री को करूणामूलक आधार पर नियुक्ति का अधिकार है। यदि दिवंगत कर्मचारी अविवाहित हो, तो माता-पिता, भाई या अविवाहित बहन को इसका लाभ मिल सकता है। उन्होंने बताया कि नीति की समीक्षा और सुझाव के लिए शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में एक मंत्रिमंडलीय उप-समिति का गठन किया गया था, जिसमें तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी और आयुष मंत्री यादविंदर गोमा सदस्य थे। समिति ने चार बैठकें आयोजित कर विस्तृत सिफारिशें दीं, जिन्हें अब राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया है। यह संशोधन करूणामूलक नियुक्ति नीति को अधिक प्रभावी व उत्तरदायी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
शिमला ! राज्य सरकार ने करूणामूलक आधार पर सरकारी सेवा में नियुक्तियों से संबंधित नीति में महत्वपूर्ण संशोधन को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य दिवंगत सरकारी कर्मचारियों के परिजनों को समय पर सहायता प्रदान करना और चिरलंबित मांगों का समाधान करना है।
प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने जानकारी दी कि संशोधित नीति के अनुसार अब परिवार की वार्षिक आय सीमा 2.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी गई है, जिससे अधिक पात्र परिवार इस नीति के अंतर्गत लाभान्वित हो सकेंगे। उन्होंने बताया कि 45 वर्ष से कम आयु की विधवाओं, माता-पिता से वंचित आवेदकों तथा ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले कर्मचारियों के आश्रितों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, पात्र आवेदकों को कोटे की सीमा के कारण इस योजना से वंचित न होना पड़े, इसके लिए 5 प्रतिशत कोटे में एकमुश्त छूट को भी स्वीकृति दी गई है।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
प्रवक्ता ने बताया कि युवा विधवाएं अचानक पति की मौत के कारण परिवार की सम्पूर्ण जिम्मेदारी उठाने को विवश होती हैं और उन्हें बच्चों की शिक्षा व बुजुर्गों की देखभाल के लिए तत्काल सहायता की आवश्यकता होती है। यह नीति संशोधन उन्हें स्थिरता व सहारा देने की दिशा में एक संवेदनशील प्रयास है।
यह नीति मूलतः 18 जनवरी, 1990 को बनाई गई थी, ताकि सेवा के दौरान दिवंगत कर्मचारियों, जिसमें आत्महत्या के मामले भी शामिल हैं, के आश्रितों को राहत स्वरूप रोजगार दिया जा सके। इसके अंतर्गत विधवा, पुत्र या अविवाहित पुत्री को करूणामूलक आधार पर नियुक्ति का अधिकार है। यदि दिवंगत कर्मचारी अविवाहित हो, तो माता-पिता, भाई या अविवाहित बहन को इसका लाभ मिल सकता है।
उन्होंने बताया कि नीति की समीक्षा और सुझाव के लिए शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में एक मंत्रिमंडलीय उप-समिति का गठन किया गया था, जिसमें तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी और आयुष मंत्री यादविंदर गोमा सदस्य थे। समिति ने चार बैठकें आयोजित कर विस्तृत सिफारिशें दीं, जिन्हें अब राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया है। यह संशोधन करूणामूलक नियुक्ति नीति को अधिक प्रभावी व उत्तरदायी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -