होटल पर लगाए आरोपों को लेकर भड़के पूर्व विधायक, डीसी को दिया निर्देश: दुकानों के मामले की जांच करके करें कड़ी कार्रवाई।
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ऊना , 23 दिसंबर [ शिवानी ] ! ऊना जिला की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। पूर्व विधायक सतपाल सिंह रायजादा और वर्तमान विधायक एवं भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती के बीच आरोप–प्रत्यारोप खुलकर सामने आ गए हैं। होटल के बाहर हुए गोलीकांड के बाद लगाए गए कथित आरोपों को लेकर पूर्व विधायक ने इसे अपनी छवि धूमिल करने की साजिश बताया है। उनका कहना है कि सार्वजनिक मंचों और सोशल मीडिया पर लगाए गए आरोपों से न केवल उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा, बल्कि राजनीतिक माहौल भी विषाक्त हुआ है। इसी क्रम में पूर्व विधायक ने न्यायालय की शरण लेने का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने जिला प्रशासन की हालिया व्यवस्थाओं, खासकर नो पार्किंग और नो वेंडिंग जोन को लेकर भी तीखी नाराजगी जाहिर की है। सरकारी दुकानों के किराए और सबलेटिंग के मुद्दे पर भी प्रशासन को कठघरे में खड़ा करते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है। पूर्व विधायक सतपाल सिंह रायजादा ने स्पष्ट किया है कि वह वर्तमान विधायक सतपाल सिंह सत्ती के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे। मंगलवार को जिला मुख्यालय स्थित सर्किट हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि 19 नवंबर को उनके होटल के बाहर हुए गोलीकांड के बाद विधायक द्वारा होटल में वेश्यावृत्ति जैसे गंभीर आरोप लगाए गए। उन्होंने बताया कि इस संबंध में भेजे गए कानूनी नोटिस के जवाब में विधायक ने आरोप लगाने से इनकार किया, जबकि उनके बयान मीडिया और सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित हुए, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा। अब वह विधायक के खिलाफ मानहानि का दावा दायर करने जा रहे हैं। पूर्व विधायक सतपाल रायजादा ने जिला प्रशासन की नीतियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि नो पार्किंग और नो वेंडिंग जोन के नाम पर जिस तरह से कारोबारियों और ग्राहकों के वाहनों के चालान किए जा रहे हैं, उससे व्यापार जगत को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने दो टूक कहा कि ऐसी व्यवस्थाएं किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं होंगी और वह कारोबारियों के साथ मजबूती से खड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि प्रशासन को व्यवस्था बनाने से पहले एक बार कारोबारी वर्ग से भी बात करनी चाहिए थी। इसके अलावा पूर्व विधायक ने उपायुक्त को सरकारी दुकानों को किराए पर देने और उन्हें सबलेट करने के मामलों की एक सप्ताह के भीतर जांच करने के निर्देश दिए। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा विधायक सहित कई भाजपा नेताओं ने सरकारी दुकानों को अपने नाम पर लेकर बाद में दूसरों को किराए पर देकर अनियमितताएं की हैं। उन्होंने कहा कि मामला गंभीर है और प्रशासन को इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
ऊना , 23 दिसंबर [ शिवानी ] ! ऊना जिला की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। पूर्व विधायक सतपाल सिंह रायजादा और वर्तमान विधायक एवं भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती के बीच आरोप–प्रत्यारोप खुलकर सामने आ गए हैं। होटल के बाहर हुए गोलीकांड के बाद लगाए गए कथित आरोपों को लेकर पूर्व विधायक ने इसे अपनी छवि धूमिल करने की साजिश बताया है।
उनका कहना है कि सार्वजनिक मंचों और सोशल मीडिया पर लगाए गए आरोपों से न केवल उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा, बल्कि राजनीतिक माहौल भी विषाक्त हुआ है। इसी क्रम में पूर्व विधायक ने न्यायालय की शरण लेने का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने जिला प्रशासन की हालिया व्यवस्थाओं, खासकर नो पार्किंग और नो वेंडिंग जोन को लेकर भी तीखी नाराजगी जाहिर की है। सरकारी दुकानों के किराए और सबलेटिंग के मुद्दे पर भी प्रशासन को कठघरे में खड़ा करते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है।
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पूर्व विधायक सतपाल सिंह रायजादा ने स्पष्ट किया है कि वह वर्तमान विधायक सतपाल सिंह सत्ती के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे। मंगलवार को जिला मुख्यालय स्थित सर्किट हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि 19 नवंबर को उनके होटल के बाहर हुए गोलीकांड के बाद विधायक द्वारा होटल में वेश्यावृत्ति जैसे गंभीर आरोप लगाए गए। उन्होंने बताया कि इस संबंध में भेजे गए कानूनी नोटिस के जवाब में विधायक ने आरोप लगाने से इनकार किया, जबकि उनके बयान मीडिया और सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित हुए, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा। अब वह विधायक के खिलाफ मानहानि का दावा दायर करने जा रहे हैं।
पूर्व विधायक सतपाल रायजादा ने जिला प्रशासन की नीतियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि नो पार्किंग और नो वेंडिंग जोन के नाम पर जिस तरह से कारोबारियों और ग्राहकों के वाहनों के चालान किए जा रहे हैं, उससे व्यापार जगत को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने दो टूक कहा कि ऐसी व्यवस्थाएं किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं होंगी और वह कारोबारियों के साथ मजबूती से खड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि प्रशासन को व्यवस्था बनाने से पहले एक बार कारोबारी वर्ग से भी बात करनी चाहिए थी।
इसके अलावा पूर्व विधायक ने उपायुक्त को सरकारी दुकानों को किराए पर देने और उन्हें सबलेट करने के मामलों की एक सप्ताह के भीतर जांच करने के निर्देश दिए। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा विधायक सहित कई भाजपा नेताओं ने सरकारी दुकानों को अपने नाम पर लेकर बाद में दूसरों को किराए पर देकर अनियमितताएं की हैं। उन्होंने कहा कि मामला गंभीर है और प्रशासन को इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
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